बच्चों को बोतल से दूध पिलाना | फायदे, नुकसान व सही तरीका | Baby Ko Bottle Se Dudh Pilana

जब बच्चा अपनी मां के गर्भ से निकलकर दुनिया में प्रवेश करता है तब उसे हर चीज का आभास बिल्कुल नया होता है वातावरण को ग्रहण करने में शुरुआत में उससे दिक्कतें होती हैं। मां का दूध बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है परंतु कई बार ऐसा होता है कि मजबूरन बच्चे को बोतल का दूध पिलाना पड़ जाता है इसके कई कारण हो सकते हैं।

एक कारण मुख्य तो यही है कि मां के स्तन से कभी कभी दूध नहीं निकलता इसलिए बोतल का दूध पिलाना पड़ता है बोतल का दूध पिलाने के फायदे (Bottle se doodh pilane ke faayde) हैं। बच्चे को पर्याप्त मात्रा में बोतल का दूध मिल जाता है जिससे बच्चे का पेट भर जाता है परंतु मां के दूध से बेहतर कोई भी दूध नहीं होता बोतल के दूध के कुछ नुकसान भी हैं। (Bottle ke doodh ke nuksaan) कई माताओं को यह नहीं पता होता कि किस प्रकार से बच्चे को बोतल (Bottle se doodh pilane ka shi tarika) से दूध पिलाना है तब भी बच्चे के लिए यह नुकसान भी हो सकता है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के फायदे। ( Bottle se doodh pilane ke faayde)बोतल के दूध के नुकसान (Bottle ke doodh ke nuksaan)तथा उसके सही तरीके के विषय(Bottle se doodh pilane ka shi tarika) में बताएंगे। यदि आपके परिवार में भी कोई ऐसा बच्चा है जो बोतल से दूध पीता है और आप उसके फायदे तथा नुकसान हो के विषय में जाना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

बच्चों को बोतल से दूध पिलाना कब शुरू करें?

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार बच्चे को 6 महीने तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए तथा 6 महीने से 1 साल का होने तक मां के दूध के साथ-साथ सॉलि़ड फूड भी खिलाना चाहिए। जब बच्चा 6 महीने के पश्चात बड़ा होने लगता है तब मां के दूध से उसका पेट नहीं भरता इस कारण भी बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरू करते हैं। कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है की मां के स्तन से दूध नहीं उतरता जिसके कारण बच्चे को बोतल से दूध पिलाना पड़ जाता है।

बोतल से दूध पिलाने का कोई निर्धारित समय नहीं है जब माता को यह जरूरत लगने लगे कि अब बच्चे को बोतल के दूध की आवश्यकता है तो उसे बोतल से दूध पिलाना शुरू किया जा सकता है। परंतु बोतल में दूध पिलाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है डॉक्टर से परामर्श लेने के पश्चात ही बच्चों को बोतल से दूध पिलाना शुरू करना चाहिए।

सीडीसी के अनुसार यदि बच्चे को मां का दूध पिलाना संभव नहीं है तो बच्चे को पहले दिन से ही फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है। फॉर्मूला मिल्क देने के लिए सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

शिशु को बोतल से कितना और कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?

शिशु को कितना दूध पिलाया जाना चाहिए यह शिशु की जरूरत पर निर्भर करता है बच्चे के आहार के अनुसार ही उसे दूध पिलाना चाहिए। बच्चा जितना बड़ा है उतना अधिक दूध पिएगा। नवजात शिशु की मां का दूध यदि नहीं मिल पा रहा है तो बच्चे को 29 से 59 एमएल फॉर्मूला मिल्क बच्चे को जन्म के पहले दिन हर दो से तीन घंटे के अंतराल में दिया जा सकता है।

बच्चे की जरूरत के अनुसार इस मात्रा में बदलाव भी किया जा सकता है।, नवजात को एक दिन में 8 से 12 बार फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है नवजात शिशु को बोतल का दूध विषम परिस्थितियों में पिलाना चाहिए नवजात शिशु को फॉर्मूला मिल्क शुरुआत से दिया जा सकता है। परंतु वह मां के दूध जितना कारगर नहीं हो सकता। मां के दूध में एंटीबॉडीज पाई जाती हैं जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं और उसे विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।

बोतल से शिशु को दूध कैसे पिलाएं?(Bottle se doodh kaise pilaye)

यदि आप अपने शिशु को बोतल से दूध पिला रहे हैं तो आपको इस विषय में जानकारी होनी को नहीं है कि शिशु को दूध पिलाने का सही तरीका क्या है। इसके विषय में पॉइंट के माध्यम से हमने आपको जानकारी प्रदान कि है।

  • जैसे बच्चे को स्तनपान कराया जाता है वैसे ही पोजीशन में बच्चे को बोतल से दूध पिलाना ठीक स्थिति हो सकती है। इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को दूध पीते समय कोई भी असुविधा ना हो।
  • दूध पिलाते समय हमेशा बच्चे का सिर थोड़ा ऊंचा रखें। जिससे बच्चे को दूध पीते समय समस्या ना हो।
  • बच्चे को कभी भी समतल स्थान पर लेटा कर दूध नहीं पिलाना चाहिए।
  • बच्चे को दूध पिलाते समय बोतल को बिल्कुल सीधा नहीं रखना चाहिए। बोतल को हल्का से झुका कर रखना चाहिए जिससे बच्चे के मुंह में दूध धीरे-धीरे पहुंचे और ऐसे दूध पीने में किसी भी प्रकार की समस्या ना आई।
  • कुछ बच्चे तकिए पर सिर रखकर दूध पीना पसंद करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे का ध्यान रखना चाहिए कि उसका सर कहीं भी टेढ़ा ना हो और वह सही अवस्था में लेट कर दूध पीता रहे।

कैसे पता करें कि आपका शिशु आराम से दूध पी रहा है?

कई बार शिशु को दूध पिलाते समय इस बात का अंदाजा नहीं लग पाता कि शिशु आराम से दूध पी रहा है या नहीं नीचे हमने आपको इसके कुछ तरीके बताए हैं। जिससे आप जान सकते हैं कि शिशु आराम से दूध पी पाता है या नहीं।

  • दूध पिलाते समय यदि आपको निप्पल से आवाज आ रही है तो यह समझ जाना चाहिए कि निप्पल में हवा भरी है। और वह दूध के साथ हवा भी अंदर ले रहा है इसलिए हमेशा निप्पल को तिरछा करके दूध पिलाना चाहिए जिससे निप्पल में दूध पूरी तरीके से भरा रहे और उसमें हवा की कोई गुंजाइश ना रहे।
  • दूध पीते समय बच्चा बीच-बीच में रूकती सकता है बच्चा नाजुक होता है और वह दूध पीते पीते थक जाता है। इसलिए वह रुक कर आराम करता है इस बात से समझ जाना चाहिए कि बच्चा ठीक तरीके से दूध पी रहा है।
  • यदि बच्चे को दूध पिलाने के दौरान उसके मुंह से बार-बार निप्पल हट जा रही है तब बच्चे को दूध पिलाने के लिए जो पोजीशन रखी गई है। वह सही नहीं है बच्चे को एक कंफर्टेबल पोजीशन में दूध पिलाना चाहिए जिससे बार-बार उसके मुंह से निप्पल ना गिरे।
  • यदि दूध पीते समय बच्चा खुद ही निप्पल से हटा रहा है तब यह समझ जाना चाहिए कि बच्चे का पेट भरा हुआ है।
  • यदि दूध पीते समय बच्चा मुंह से दूध निकालने लगता है तब भी यह समझ जाना चाहिए कि बच्चे का पेट भर गया है।

बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी समस्या (Doodh pilane se judi samaya)

स्तनपान की तुलना में बोतल से दूध पिलाने में बहुत समस्या होती है स्तनपान बच्चा मां के गर्भ से सीख कर आता है। बल्कि बोतल एक आर्टिफिशियल चीज है जिसे बच्चे को सिखाने की आवश्यकता होती है निप्पल से दूध पिलाने में बच्चे को निम्न प्रकार की समस्याएं होती हैं।

  1. दूध पिलाने की पोजीशन का खास ध्यान रखना होता है यदि दूध पिलाने की पोजीशन ठीक नहीं होती तो बच्चा ठीक से दूध भी नहीं पी पाता और फायदे की जगह बच्चे को नुकसान हो सकता है।
  2. यात्रा के दौरान बोतल से दूध पिलाने में बच्चे को बहुत कठिनाई होती है। यात्रा करते समय झटकों के कारण बार-बार मुंह से बोतल निकल सकती है और दूध बच्चे के मुंह पर आंख पर या कान में जा सकता है।
  3. बच्चे को दूध पिलाने वाली बोतल बहुत जल्दी जल्दी हो जाती है इसलिए उसे ठीक प्रकार से स्टराइल करना और गर्म पानी में उबालना बहुत अधिक आवश्यक होता है। यदि मंदिर बोतल का सेवन बार-बार किया जाता है तो बोतल में कीटाणु बनकर बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  4. बोतल से दूध पिलाने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है इसमें बोतल की अलग-अलग वैरायटी आती है। सादा दूध या फॉर्मूला दूध पिलाने के लिए विभिन्न कीमतों की बोतल का इस्तेमाल करना होता है।
  5. हाइजीन का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है यदि हाइजीन का ध्यान नहीं रखा गया वह बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ेगा और उसे बीमारियां जल्दी घेरंगी।

बोतल से दूध पिलाने के फायदे (Bottle se doodh pilane ke fayde)

नीचे पॉइंट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि बोतल से दूध पिलाने के क्या फायदे हैं (Bottle se doodh pilane ke fayde)

बोतल से दूध पिलाने के बहुत सारे फायदे हैं जो नीचे पॉइंट्स में स्पष्ट किया गया है।

  1. यदि कोई माता स्तनपान कराने की स्थिति में नहीं है तब तो है बच्चे को बोतल के दूध का सेवन करा सकती है और उसका पेट भर सकती हैं।
  2. स्तनपान कराने के दौरान कई महिलाओं को निप्पल में दर्द होता है और माताओं को यह चिंता रहती है कि बच्चे को दूध पिलाने के दौरान उसे दर्द का सामना करना पड़ेगा। यदि बच्चा बोतल से दूध पीता है तो माता किसी प्रकार के दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  3. बोतल से दूध बच्चे को परिवार का कोई भी सदस्य पिला सकता है। धीरे-धीरे बच्चा परिवार के सभी सदस्यों से कनेक्ट होने लगेगा और उन्हें पहचानने लगेंगे।
  4. बोतल से दूध किसी भी जगह पर आसानी से पिलाया जा सकता है। यदि बच्चे की मां भी बच्चे के साथ नहीं है तब भी किसी खास दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  5. यदि बच्चा अपनी मां का दूध पीता है तो मां के अंदर होने वाली बीमारियां जैसे सर्दी खांसी बच्चे को खोने का डर रहता है। यदि बच्चा बोतल का दूध पिएगा तो मां कुछ भी खाए पिए इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
  6. यदि बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है तो मां घर के अन्य कामों को संभाल सकती है। परंतु यदि वह स्तनपान कराती है तो वह किसी और कार्य को नहीं कर सकती।
  1. यदि बच्चे को भूख लग रही है तो अंदाज़ के साथ बच्चे का दूध तैयार किया जा सकता है। परंतु यदि मां स्तनपान कराती है तो उसे यह अंदाजा नहीं लगता कि बच्चे का पेट भर पाया है या नहीं।

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान (Bottle se doodh pilane. Ke nuksaan)

बोतल का दूध पिलाने से नवजात शिशु को बहुत सारे नुकसान है (Bottle se doodh pilane. Ke nuksaan इसके विषय में  पॉइंट के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई है।

  • प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई हर चीज बिल्कुल शुद्ध और लाभकारी होती है। मनुष्य के द्वारा प्रदान की गई चीजों की तुलना में वह हमेशा आगे रहती है मां का दूध बोतल के दूध से हजार गुना बेहतर है मां का दूध प्राकृतिक रूप से बढ़ने में बच्चे की मदद करता है। मां के दूध में एंटीबॉडी पाई जाती है जो बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत करती हैं और शरीर में होने वाली बीमारियों से लड़ने में सहायक होती हैं।
  • अगर गलती से भी बच्चे के मुंह में बोतल लगाकर छोड़ दिया जाए तो बच्चे को चोकिंग कान में संक्रमण आदि की दिक्कतें हो सकती हैं इसलिए बच्चे को दूध पिलाते समय सावधानी बरतनी पड़ती है।
  • बच्चा यदि जरूरत से अधिक दूध का सेवन कर ले तो उसे बहुत सारी शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। जैसे बच्चे का पेट खराब हो सकता है क्योंकि बच्चे का पाचन तंत्र कमजोर होता है और उससे किसी भी चीज को पचाने में दिक्कत आती है।
  • मां के द्वारा दूध पिलाने से बच्चे के मन में मां के प्रति लगाव पैदा हो जाता है परंतु यदि मां बचपन से ही बच्चे को बोतल का दूध पिलाती है तो वह लगाब कुछ काम रहता है।
  • जरूरत पड़ने पर बच्चे को तुरंत स्तनपान कराया जा सकता है। यदि माता बाहर भी हैं तब भी वह आराम से बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं। परंतु बोतल का दूध पिलाने पर यदि आपके पास दूध नहीं है तो बच्चा भूखा ही रह गया और बोतल का दूध पिलाने से पहले उसे तैयार भी करना पड़ता है।

बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय ध्यान देने वाली बातें (Doodh pilate samay kuch bato ka dhyaan)

  • बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के लिए ऐसे समय का चुनाव करना चाहिए जब ना तो बच्चे का पेट ज्यादा खाली हो और ना ही ज्यादा भरा हुआ हो ।
  • बोतल का दूध पिलाने की शुरुआत करने पर बच्चे को कम मात्रा में दूध पिलाना चाहिए जिससे धीरे-धीरे करके बच्चे का पाचन तंत्र बोतल के दूध को एक्सेप्ट कर ले और उसे बचाना शुरू करें। इसके पश्चात धीरे-धीरे बोतल के दूध को बढ़ाना चाहिए।
  • बोतल का दूध पिलाते समय बच्चे तथा मां दोनों की पोजीशन का ध्यान रखें। यह सुनिश्चित रखें कि बच्चा दूध पीते समय बिल्कुल अनकंफरटेबल ना महसूस करें बच्चे की बोतल को हमेशा थोड़ा तिरछा रखना चाहिए जिससे उसकी निप्पल दूध से भरी रहे और उसमें हवा ना भर पाए।
  • यदि दूध पीते समय बच्चा कुछ सेकंड का आराम देना चाहता है तो उसे लेने में जबरदस्ती उसके मुंह में निप्पल नहीं लगानी चाहिए।
  • निप्पल से दूध पिलाते समय इस बात का ध्यान रखें यह बच्चे का पेट भर गया है या नहीं जरूरत से अधिक बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए।
  • बच्चे को दूध पिलाने के दौरान सीधा नहीं लेट आना चाहिए और दूध पिला के समय बच्चे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। किसी एक व्यक्ति को बच्चे के साथ रहना चाहिए।
  • दूध पिलाने के दौरान बच्चे से जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। यदि बच्चे दूध नहीं पीना चाहता है तो उसके मुंह से निप्पल निकाल लेना चाहिए।

अगर बच्चा बोतल से दूध न पिए, तो क्या करें?

  • बच्चे का दूध पीने का कारण उसका पेट भरा भी हो सकता है। इसलिए बच्चे से जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए और उसके संकेत का इंतजार करना चाहिए जब वह भूखे होने का संकेत कर रहा हो।
  • बच्चे को किसी शांत कमरे में बैठा कर दूध पिलाना चाहिए। यदि किसी शोर-शराबे वाले कमरे में बैठकर बच्चा दूध पीता है तो उसे दूसरे लोगों से परेशानी हो सकती है और वह दूध पीना बंद कर सकता है।
  • अगर बच्चा बार-बार दूध पीने में आनाकानी कर रहा है और काफी लंबे समय से उसने दूध नहीं पिया है तब तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले ले जाइए ।

बच्चे की बोतल को सही ढंग से स्टेरलाइज कैसे करें?

बच्चे की दूध की बोतल को स्टराइल करने का सही तरीका क्या है इसके विषय में जानकारी नीचे पॉइंट में प्रदान की गई है।

  • सबसे पहले बच्चे की बोतल के सभी पार्ट्स को अलग कर लेना चाहिए।
  • नल चलाकर नल की धार से बोतल के सभी पार्ट को पानी से अच्छे से धुलना चाहिए।
  • इसके पश्चात सावन के पानी से बोतल के सभी पार्ट्स को धोना चाहिए।
  • फिर दोबारा साफ पानी से बोतल के पार्ट्स धोने चाहिए।
  • स्टेबलाइज करने के लिए बोतल के सभी पार्ट को 5 मिनट पानी में उबालना चाहिए जिससे बोतल के सारे कीटाणु मर जाएं।
  • इसके पश्चात बोतल के सभी पार्ट को साफ और सुरक्षित जगह पर रख देना चाहिए।

शिशु के लिए फीडिंग बोतल का चुनाव कैसे करें?

शिशु को फील्डिंग बोतल का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • बोतल किसी अच्छे ब्रांड की हो।
  • इस बात का ध्यान जरूर रखें कि लीक प्रूफ हो।
  • निप्पल को फूड ग्रेड सिलिकॉन से बनाया गया हो।
  • फीडिंग बोतल को बनाने में एवीएस तकनीक यानी एयर वेंटिलेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया हो।
  • बोतल का मटीरियल बीपीए रहित हो।
  • किसी भरोसेमंद डीलर या दुकान से ही बोतल खरीदें।
  • बोतल को बनाने में फ्थालेट जैसे हानिकारक रसायन का इस्तेमाल न किया गया हो।
  • ऑनलाइन खरीदते समय ग्राहकों के रिव्यू जरूर पढ़ें

बोतल का दूध गर्म करने का सुरक्षित तरीका क्या है?

  • फॉर्मूला मिल्क तथा बेबी मेल को पिलाने से पहले गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती परंतु बहुत से माता-पिता ऐसा मानते हैं कि दूध हल्का गुनगुना करने से बच्चे को दूध स्वादिष्ट लगेगा और वह अच्छे से  दूध को पिएगा।
  • भूलकर भी कभी बोतल को माइक्रोवेव मैं गर्म नहीं करना चाहिए। माइक्रोवेव में दूध के साथ बोतल अधिक गर्म हो सकती है और बोतल से निकलने वाले रसायनिक तत्व दूध में मिल सकते हैं।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल से बच्चों को बोतल से दूध पिलाना | फायदे, नुकसान व सही तरीका | Baby Ko Bottle Se Dudh Pilana संबंधित सारी जानकारी हमने आपको प्रदान करने का प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमारे साइड के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल सटीक और ठोस होती है यदि हमारे आर्टिकल्स आपको अच्छा लगे तो आपने अवश्य शेयर करें हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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