कहानी गोदरेज की: सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट से शुरू हुआ सफर पर अंग्रेजों की उस जिद ने सबकु छ बदल दिया

कहानी गोदरेज की: सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट से शुरू हुआ सफर पर अंग्रेजों की उस जिद ने सबकु छ बदल दिया

गोदरेज यानी वो कं पनी जिसका नाम सुनते ही जेहन में अलमारियों की तस्वीर आती है, लेकिन कं पनी की नींव रखने वाले आर्देशिर गोदरेज का शुरुआती बिजनेस यह नहीं था.

गोदरेज ग्रुप की शुरूआत पारसी समुदाय से आने वाले आर्देशिर गोदरेज ने की.पहला बिजनेस सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट बनाने से शुरू किया वकालत को गुडबाय बोलने के बाद उनके पास कोई काम नहीं था.

इसलिए एक के मिस्ट की दुकान में बतौर असिस्टेंट काम करना शुरू किया. के मिस्ट की दुकान पर काम करते हुए ही उनमें सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट बनाने की सोची

आर्देशिर को एक ब्रिटिश कं पनी के लिए सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट बनाने का मौका मिला. आर्देशिर उसे बनाने का काम करते थे और ब्रिटिश कं पनी उसे बेचने का. एक समय उसकी ब्रैंडिंग का मसला फं सा.

सवाल उठा कि आखिर सर्जिकल इंस्ट्रू मेंट पर किसकी कं पनी का नाम दिखा जाए. आर्देशिर की भारतीय कं पनी का या अंग्रेजों की ब्रिटिश कं पनी का.

आर्देशिर औजारों पर ‘मेड इन इंडिया’ का ठप्पा लगाना चाहते थे, लेकिन ब्रिटिश उसे मानने को तैयार नहीं थे. देशप्रेम के खातिरआर्देशिर ने उस बिजनेस को बंद करने का फै सला लिया.

आर्देशिर रुके नहीं, उन्होंने अपनी कोशिशें जारी रखीं. उस दौर में बंबई में चोरी की घटनाएं बढ़ रही थीं. अखबार में चोरी की घटनाएं सुर्खियां बन रही थीं. यही से उन्हें नया प्रोडक्ट तैयार करने का आइडिया मिला.

उन्हीं खबरों को पढ़कर गोदरेज ने ऐसे ताले बनाने का सोचा जो अधिक सुरक्षा दे सके . गोदरेज ने ऐसे ताले बनाए जो वर्तमान में मौजूद तालों से कहीं ज्यादा बेहतर थे. उन्होंने गारंटी दी कि हमारे बनाए ताले दूसरी चाबी से नहीं खो जा सकें गे.