रूस जैसी 'महाशक्ति' को यूक्रेन जैसा छोटा देश क्या वाक़ई परास्त कर पाएगा?
रूस जैसी 'महाशक्ति' को यूक्रेन जैसा छोटा देश क्या वाक़ई परास्त कर पाएगा?
नेटो और यूरोपीय संघ की चेतावनी के बावजूद, रूस ने इस साल 24 फ़रवरी को यूक्रेन में अपनी सेना भेज दी थी.
नेटो और यूरोपीय संघ की चेतावनी के बावजूद, रूस ने इस साल 24 फ़रवरी को यूक्रेन में अपनी सेना भेज दी थी.
रूस ने अपने क़दम को मिलिट्री कैंपेन बताया था लेकिन यूक्रेन ने इसे हमला क़रार दिया था.
रूस ने अपने क़दम को मिलिट्री कैंपेन बताया था लेकिन यूक्रेन ने इसे हमला क़रार दिया था.
शायद रूस को उम्मीद थी कि कमज़ोर यूक्रेन उनकी सैन्य ताक़त के सामने कुछेक दिनों में ढेर हो जाएगा और उनका सैन्य अभियान अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर लेगा.
शायद रूस को उम्मीद थी कि कमज़ोर यूक्रेन उनकी सैन्य ताक़त के सामने कुछेक दिनों में ढेर हो जाएगा और उनका सैन्य अभियान अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर लेगा.
नेटो की जंग में शामिल होने से इस युद्ध के आयाम पूरी तरह से बदल जाते
नेटो की जंग में शामिल होने से इस युद्ध के आयाम पूरी तरह से बदल जाते
पश्चिमी नेताओं के दिमाग़ में ये डर है कि कहीं रूस यूक्रेन में परमाणु हथियार का इस्तेमाल न कर दे या यूक्रेन का संघर्ष बड़े यूरोपीय युद्ध में ना बदल जाए.
पश्चिमी नेताओं के दिमाग़ में ये डर है कि कहीं रूस यूक्रेन में परमाणु हथियार का इस्तेमाल न कर दे या यूक्रेन का संघर्ष बड़े यूरोपीय युद्ध में ना बदल जाए.
सीधे युद्ध में शामिल होने के अलावा पश्चिमी देशों के पास एक ही विकल्प था. यूक्रेन की सैन्य मदद.
सीधे युद्ध में शामिल होने के अलावा पश्चिमी देशों के पास एक ही विकल्प था. यूक्रेन की सैन्य मदद.
अमेरिका और यूरोप दोनों ने ही नेटो की नियमों के तहत रहते हुए, यूक्रेन को गोला-बारूद और अन्य छोटे हथियार देना शुरू कर दिए.
अमेरिका और यूरोप दोनों ने ही नेटो की नियमों के तहत रहते हुए, यूक्रेन को गोला-बारूद और अन्य छोटे हथियार देना शुरू कर दिए.
इन्हीं हथियारों में HIMARS यानी M142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम भी शामिल था. इस एक क़दम ने युद्ध में एक निर्णायक असर डाला.
इन्हीं हथियारों में HIMARS यानी M142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम भी शामिल था. इस एक क़दम ने युद्ध में एक निर्णायक असर डाला.
ये सिस्टम लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं. रूस भी जानता था कि हिमार रॉकेट उसके लिए मुसीबत बन सकता है.
ये सिस्टम लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं. रूस भी जानता था कि हिमार रॉकेट उसके लिए मुसीबत बन सकता है.