बच्चों का खर्राटे लेने का कारण, नुकसान व रोकने के उपाय | Bacho Me Kharate Ka Ilaj

आजकल खर्राटे सभी ने सुने होंगे खर्राटे सोते समय मुंह से निकलने वाली ध्वनि होती है जो साफ-साफ सुनाई देती है। यदि व्यक्ति खर्राटे धीरे-धीरे लेता है तो उससे कोई समस्या नहीं होती परंतु। यदि खर्राटे तेल लिए जाते हैं तो पास वाले लोगों को सोने में बहुत परेशानी होती है लेकिन बच्चे खर्राटे क्यों लेते हैं (Babies ka kharate lene ka reason) इसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों का खर्राटे लेने का कारण, नुकसान, रोकने के उपाय (Babies ke kharate lene ka reason, nuksaan, upay) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

क्या बच्चों का खर्राटे लेना सामान्य बात है?

वैसे तो बच्चे या बड़े सभी (Babies ke kharate normal hai)का खराटे लेना एक सामान्य बात होती है। परंतु यदि खर्राटे लेने की दर ज्यादा बढ़ जाए तो यह नुकसानदेह हो सकता है।

बच्चों का खर्राटे लेने का कारण, नुकसान व रोकने के उपाय Bacho Me Kharate Ka Ilaj

 एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि बच्चा 1 सप्ताह में 4 दिन लगातार खर्राटे लेता है तो यह नुकसानदेह होता है। बच्चे का इस तरह से खर्राटे लेना अच्छे संकेत नहीं देता। एक अन्य शोध से यह मालूम पड़ा है कि लगभग 80% बच्चे आ स्थाई रूप से धीरे-धीरे खर्राटे ले लेते हैं।

 जैसे जैसे वह बड़े होते जाते हैं उनके खर्राटों का स्तर कम होता जाता है। परंतु यदि बच्चा लगातार खराटे लेता रहता है। तो यह चिंता का विषय है। और माता-पिता को इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए इसका इलाज कराना आवश्यक हो जाता है।

सोते समय बच्चों के इन लक्षणों पर ध्यान दें

वैसे तो खर्राटे लेना एक (Babies me kharate ke concern symptoms) सामान्य चीज होती है। परंतु यदि खर्राटे जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते हैं। तो यह बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो बच्चे के शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कारक होते हैं। जिन्हें नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।

  • बच्चे को सांस लेने में समस्या होना।
  • बच्चे का ठीक प्रकार से ना सो पाना।
  • सोते समय बच्चे को बहुत ज्यादा पसीना आना।
  • बच्चे का दिन के समय में अधिक सोना।
  • नाइट टेरर (रात में डर लगना) या स्लीप वॉकिंग (सोते समय चलना) की समस्या भी देखी जा सकती है।

छोटे बच्चों में खर्राटे लेने के कारण | Bachoo Ke Kharate Lene Ke Karan

बच्चे या बड़े खर्राटे तब लेते हैं (Babies ke kharate lene ka reason) जब सांस लेते समय उनकी वायु नली में किसी प्रकार की रुकावट पैदा होती है। जिससे वायु नली के उसको में कंपन पैदा होती है और सोते समय आवाज आने लगती है। इसी को खर्राटे कहते हैं। खर्राटे लेने के कुछ अन्य कारण भी हैं जिन्हें नीचे स्पष्ट किया गया है।

बढ़े हुए टॉन्सिल :

टॉन्सिल गले के पीछे मौजूद होता है। जब टॉन्सिल्स बढ़ जाते हैं तो वायु मार्ग में रुकावट पैदा करने लगते हैं। क्योंकि यह वायु मार्ग की जगह घेर लेते हैं। जिसके कारण गले की ऊतकों पर दबाव पड़ता है और उसको में कंपन शुरू हो जाती है। जिससे खर्राटे आने लगती है और खर्राटे बढ़ जाते हैं।

मोटापा :

जो लोग मोटे होते हैं उन्हें खर्राटे लेने की समस्या अधिक देखी गई है। अक्सर आपने देखा होगा कि मोटे लोग खराटे ज्यादा तेज लेते हैं वही पतले लोग कम खर्राटे लेते हैं। मोटापा खर्राटे का कारण इसलिए है क्योंकि वजन बढ़ने के कारण वायु नाल का आकार छोटा हो जाता है। जिसके कारण उसमें जगह नहीं रहती और उसके ऊतक कंप्रेस हो जाते हैं जब उसमें ज्यादा मात्रा में हवा पहुंचती है तब उतको में दबाव बढ़ता है। और उसमें कंपन पैदा हो जाती है जिसके कारण खर्राटे तेज हो जाते हैं।

घड़घड़ाहट –

जिन बच्चों के अंदर घड़घड़ाहट की समस्या होती है उन्हें खर्राटों का भी जोखिम हो सकता है।

भरी हुई नाक :

अक्सर जुखाम के कारण बच्चे की नाक भर जाती है। यह बच्चे की नाक के अंदर अन्य गंदी चीजें भी भर सकते हैं। जिससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। जुखाम बच्चों को ठंड लगने के कारण होता है।

जुखाम से बच्चे परेशान हो जाते हैं जुखाम बच्चे के दिमाग को भी प्रभावित करता है। बच्चे का दिमाग ब्लॉक हो जाता है। बच्चे की सांस नली में जगह नहीं रहती जिसके कारण खर्राटे तेज हो जाते हैं।

एलर्जी:

बच्चे बहुत नाजुक होते हैं थोड़ी सी धूल मिट्टी से भी उन्हें एलर्जी हो जाती है। यदि आपको इस बारे में ज्ञान नहीं है कि बच्चे को किन चीजों से एलर्जी है तो हर चीज का टेस्ट करके देखना चाहिए।जिस चीज को आप पहली बार खिला रहे हैं उसे खिलाने के बाद कुछ दिन इंतजार करना चाहिए। यदि उस पर अलग प्रतिक्रिया होती है तो यह समझ जाना चाहिए कि बच्चे को इस चीज से एलर्जी है। यदि बच्चे को धूल मिट्टी से एलर्जी है तो उन्हें जल्दी जुखाम हो जाता है।और उनकी नाक बंद हो जाती है नाक के द्वारा बच्चे के शरीर में भी मिट्टी पहुंचती है। जिससे खर्राटे लेने की समस्या बढ़ सकती है।

स्लीप एपनिया:

जिन बच्चों के अंदर स्लीप एपनिया नाम का डिसऑर्डर पाया जाता है। वह बच्चे खर्राटे लेने लगते हैं। यह डिसऑर्डर खर्राटे लेने का एक मुख्य कारण बनता है।

छोटे बच्चों के खर्राटे लेने से नुकसान | Bache Ke Kharate Ke Nuksan

सामान्यता खर्राटों से किसी (Babies me kharate se nuksaan) को कोई नुकसान नहीं होता परंतु जब यह ज्यादा बढ़ जाते हैं। तो यह बच्चे या बड़े किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। खर्राटों के नुकसान क्या क्या है इसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है। खर्राटों के नुकसान को जाना आपके लिए बहुत आवश्यक है जिससे आप भी इनसे बचे रहें।

  • लगातार खर्राटे आना ऑब्जेक्टिव स्लीप एपनिया का संकेत होता है। इसमें लगातार तेज खर्राटे आते हैं जिससे व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
  • खर्राटे की समस्या के कारण बच्चे अपनी नींद पूरी तरीके से सही नहीं ले पाते। जिस वजह से उन्हें थकान सिरदर्द अवसाद और दिन भर आलसी रहने के लक्षण देखे जाते हैं।
  • जो बच्चे लगातार खर्राटे लेते हैं उनका नर्वस सिस्टम प्रभावित हो जाता है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जिन बच्चों में लगातार तेज़ खर्राटे लेने की समस्या पाई जाती है।
  • उन्हें हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं उनका अन्य तंत्रिका तंत्र भी खर्राटे लेने के कारण प्रभावित होता है। बच्चे के शरीर के बाकी और ऑर्गन पर प्रभावित होते हैं और यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।
  • लगातार जोर से खर्राटे लेना बच्चे के सामाजिक और व्यावहारिक विकास को प्रभावित करता है।
  • यदि बच्चा बाहर किसी अन्य व्यक्ति के साथ सोता है तो उस दूसरे व्यक्ति को सोने में बहुत समस्या होती है। क्योंकि खर्राटों की आवाज किसी दूसरे व्यक्ति को सोने नहीं देते।

बच्चों को खर्राटे से कैसे छुटकारा दिलाएं? | Bacho Me Kharate Ka Ilaj

वैसे तो खर्राटे आना (Babies me kharate ka ilaj) एक सामान्य बात है। परंतु यदि इसके कुछ नुकसान है तो इसका इलाज कराना भी बहुत आवश्यक है।खर्राटों से बच्चे को कैसे छुटकारा दिलाए और इसका इलाज किस प्रकार कराएं इसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।

1. बच्चे का बिस्तर सही तरीके से रखें :

बच्चे का विस्तर बिल्कुल सही तरीके से रखना चाहिए बच्चे के नीचे मुलायम गद्दा बिछाना चाहिए और उसके सिर के नीचे हल्का मुलायम तकिया रखना चाहिए। बच्चे का बिस्तर बिल्कुल साफ सुथरा हो उसमें किसी भी प्रकार की धूल मिट्टी जमा ना हो जिससे  उसका सिर हल्का सा ऊंचा रहे। बच्चे के सिर को सोते समय इधर-उधर घुमाते रहना चाहिए। जिससे उसे सांस लेने में कोई भी समस्या ना हो।

2. बच्चे की नाक को साफ रखें :

अक्सर बच्चों की नाक गंदगी या जुखाम के कारण बंद हो जाती है। छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी जुखाम है ज्यादातर बच्चे ठंड में जुखाम से पीड़ित रहते हैं।

 यह  समस्या अक्सर सर्दी के मौसम में होती है जब बच्चे को सर्दी खांसी लग जाती है। उसकी नाक अक्सर बंद हो जाती है इसलिए सर्दी के मौसम में बच्चे की नाक को साफ रखना चाहिए।जिससे उसे सांस लेने में समस्या ना हो और वह खर्राटे लेना भी कम कर पाए।

3.कमरे की नमी बनाए रखें:

जिस कमरे में बच्चा सो रहा है। उस कमरे में नमी बनाए रखना आवश्यक होता है। यदि बच्चे को लगातार गर्म हवा मिलती रहेगी तो उसकी नाक सूख सकती है। और उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है इसलिए बच्चे के कमरे में हमेशा हल्की नमी बनाए रखना चाहिए। जिससे उसे किसी भी प्रकार से सांस लेने में तकलीफ ना हो और उसे खर्राटे ना आए।

4. एलर्जी वाली चीजों से दूर रखें :

बच्चों को एलर्जी वाली चीजों से बिल्कुल दूर रखना चाहिए उन्हें बिल्कुल साफ सुथरी जगह पर रखना चाहिए। एलर्जी वाली चीजों के संपर्क में आने से बच्चे की तबीयत खराब हो जाती है।

 इससे उसे सांस लेने में तकलीफ भी होती है और उसके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। यदि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होगी तो उसके गले के उसको पर प्रभाव पड़ेगा जिसके कारण बच्चे की खर्राटे लेने की समस्या और बढ़ सकती है। इसलिए बच्चे को एलर्जी वाली चीजों से हमेशा दूर रखें।

5.ठंड से बचा कर रखें:

सर्दी के मौसम में बच्चे के लिए समस्याएं बढ़ जाती हैं। उन्हें सर्दी जुखाम टॉन्सिल जैसी समस्याएं बनने लगती है। इसलिए सर्दी के मौसम में बच्चों को ठंड से बिल्कुल दूर रखना चाहिए। क्योंकि यदि बच्चे को ठंड लग गई तो उनके टॉन्सिल बढ़ जाते हैं तो टॉन्सिल्स श्वास नली के बिल्कुल पास होते हैं। इसलिए यह खर्राटे को और तेज कर देते हैं इसलिए बच्चे को ठंड से बचा कर रखना चाहिए।

6. बच्चों के वजन को नियंत्रण में रखें:

मोटापा खर्राटे लेने का मुख्य कारण होता है। शरीर मोटा होने के कारण बच्चे की श्वास नली के बीच का गैप कम हो जाता है। बच्चे के गले के उसको पर प्रभाव ज्यादा पड़ने लगता है इसलिए खर्राटे तेज हो जाते हैं। इसलिए बच्चे के वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करना चाहिए। जिससे वह अपने जीवन में स्वस्थ बना रहे।

डॉक्टर से मिलने कब जाएं

नीचे कुछ लक्षण स्पष्ट किए गए हैं (Doctor se sampark kab kare) जिनके दिखाई देने पर डॉक्टर से  तुरंत संपर्क करना चाहिए। क्योंकि यदि यह लक्षण देख कर भी डॉक्टर से संपर्क नहीं किया गया तो यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। नीचे दिए गए लक्षण वैज्ञानिक के द्वारा प्रमाणित नहीं है।

  • अगर बच्चा कई दिनों और हफ्तों से खर्राटे ले रहा हो।
  • अगर बच्चे को सोने में तकलीफ हो रही हो।
  • अगर बच्चे के खर्राटे की आवाज अधिक तेज है, तो ऐसी स्थिति में भी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. बच्चे खर्राटे क्यों लेते हैं?

बच्चे खाना डे इसलिए लेते हैं क्योंकि सांस लेने के कारण बच्चों की श्वास नली  के ऊतकों पर दबाव पड़ता है। जिससे उनमें कंपन शुरू हो जाती है और खर्राटे लेने लगते हैं।

Q. क्या खर्राटे लेना चिंता का विषय होता है?

समानता खर्राटे लेना चिंता का विषय नहीं होता परंतु यदि खर्राटे अधिक लिए जाएं तो यह चिंता का विषय बन जाता है।

Q. बच्चे के खर्राटे लेने के क्या क्या कारण होते हैं?

बच्चे के खर्राटे लेने के कारण मोटापा एलर्जी नाक साफ ना होना बड़े हुए टॉन्सिल्स आदि हो सकते हैं।

Q. बच्चे को किन परिस्थितियों में डॉक्टर को दिखाना आवश्यक होता है?

यदि बच्चा हफ्तों से खर्राटे ले रहा है, उसे सोने में तकलीफ हो रही है, या उसे ज्यादा पसीना आ रहा है तो डॉक्टर को दिखाना आवश्यक होता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों का खर्राटे लेना: कारण, नुकसान व रोकने के उपाय (Bacho Me Kharate Ka Ilaj) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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