न्यू मोम को बच्चों के केयर के संबंध सारी जानकारियां

पहली बार जब किसी बच्चे का जन्म होता हैं। उसके साथ शादी मन का भी जन्म होता है क्योंकि एक मां होने का एक्सपीरियंस एक औरत को पहली बार होता हैं। इसलिए उसे कोई आईडिया नहीं होता कि किस प्रकार से बच्चे को पाला पोसा जाता है और उसकी देखभाल कैसे जाती है। एक बच्चे की देखभाल करना और ज्यादा कठिन कार्य होता हैं। हमें उसे स्वस्थ रखने की आवश्यकता होती है परंतु न्यू मेंस को यह जानकारी नहीं होती (Baby care kaise karen?)कि वह अपने बच्चों की केयर कैसे कर सकती हैं। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको न्यू मॉम को बच्चों की केयर के संबंधित (Baby care ki jankari) )जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

नई मॉम बनने पर इन पांच चीजों का रखें विशेष ध्यान

न्यू मेंस को अपने बच्चों (Baby care ke tips)की देखभाल कैसे करनी चाहिए। उसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है। 

1. बच्चों को जरूर से ज्यादा कपड़े ना पहनाए :

हमें अपने बच्चों को जरूर से ज्यादा कपड़े नहीं पहनना चाहिए कभी-कभी ऐसा होता है। ज्यादा सर्दी है वायरस होने पर माता-पिता अपने बच्चों को बहुत सारी लेयरिंग में कपड़े पहना देते हैं। यह बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है बच्चे और मन दोनों को एक समान ही ठंड लगती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने छोटे बच्चों को ढक कर रखें।

यदि आप अपने बच्चों को बहुत ज्यादा कपड़ा पहना देते हैं तो उसे बहुत अनकंफरटेबल महसूस होता है। अपने शरीर को ठीक तरीके से नहीं चला पता इसलिए वह रोने लगता है जो आपको महसूस हो रहा है कि बाहर ठंडा मौसम हैं। जैसे की बारिश हो रही है या सर्दी का मौसम आने वाला है।

तो आप अपने बच्चों को एक गर्म कपड़ा पहना है और उसे हमेशा टक्कर रखें ना की बहुत सारे लेयर में बच्चों को कपड़े पहनना चाहिए। बच्चों को हमेशा ढीले और आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए यदि आप आरामदायक और ढीले डाले कपड़े बच्चों को पहनते हैं। तो उसके शरीर से निकलने वाली हिट उसके शरीर से बाहर निकल जाती हैं। और बच्चे को बहुत ज्यादा गर्मी नहीं लगती। यदि आप बहुत सारे लेयरिंग में बच्चों को कपड़े पहना देंगे तो उसे बुखार आने की संभावना होती है। क्योंकि उसके शरीर से निकलने वाली हिट बाहर नहीं निकाल पाती और उसके शरीर का अंदरूनी टेंपरेचर बहुत हाई हो जाता है। 

2. ब्रेस्टफीडिंग का ध्यान रखना है जरूरी

किसी भी बच्चों के लिए ब्रेस्टफीडिंग बहुत इंपॉर्टेंट होती हैं। इसलिए मां को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बच्चों को कुछ एक या दो घंटे के अंतराल पर ब्रेस्टफीडिंग करते हैं। जो पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं ऐसे पोषक तत्वों की पूर्ति कोई दूसरा मिल्क नहीं कर पाता। 

चाहे वह फार्मूला मिल को गाय का दूध हो ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज पाई जाती है यह और एंटीबॉडी बच्चों के शरीर को इम्यूनिटी प्रदान करने का काम करती है और उसे बहुत सारे लोगों से लड़ने में मदद करती हैं। मां का पहला पीला दूध तो बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट होता है। इसलिए यह जरूरी है की माताएं अपने बच्चों को दूध पिलाते रहे क्योंकि बच्चे का पेट बहुत छोटा होता हैं।

 थोड़ा सा दूध पीने पर उसका पेट भर जाता है और कुछ ही समय के बाद उसे भूख लग जाती है क्योंकि बच्चों के मल त्यागने की कैपेसिटी बहुत ज्यादा होती है। वह थोड़ी ही थोड़ी देर पर टॉयलेट या पॉटी करते हैं। इसलिए उन्हें बहुत जल्दी भूख लग जाती हैं मां की यह जिम्मेदारी है कि वह हर दो से तीन घंटे पर अपने बच्चों को जरूर दूध पिलाती रहे। 

कुछ माताएं ऐसी होती है जो अपने बच्चों को ब्रेस्टफीड करने में ज्यादा विश्वास नहीं रखती उन्हें ऐसा लगता है। कि बच्चों को बोतल का दूध पर्याप्त है। परंतु हर मां बनने वाली औरत को अच्छी तरीके से अपने बच्चों को पालने पहुंचने के तरीकों में इस विषय में भी जरूर पढ़ना चाहिए। बच्चों को 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए, तभी वह स्वस्थ रह सकता हैं। यदि कोई भी ठोस पदार्थ या अन्य चीज आप अपने बच्चों को पिलाते हैं तो उसके बीमार रहने की संभावना ज्यादा रहती है। 

3. अंबिलिकल कॉर्ड का ध्यान रखना है जरूरी :

मां को बच्चों से जोड़ने वाली अंबिलिकल कॉर्ड बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह मां के पेट में पल रहे बच्चे को पूरे 9 महीने पोषण प्रदान करने का काम करती हैं। जब बच्चे का जन्म होता है तो यह अंबिलिकल कॉर्ड मां के शरीर से बच्चों के शरीर तक जुड़ी हुई आती हैं। दुनिया में जन्म लेने के पश्चात इस अंबिलिकल कॉर्ड को काट दिया जाता है जिस स्थान से से काटा जाता है उसे स्थान पर थोड़ा सा जख्म हो जाता हैं। हमें अंब्लिकल कार्ड काटने वाले एरिया के विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। 

माता की यह जिम्मेदारी होती है कि जब वह अपने बच्चों की साफ सफाई करें या उसे नहलाये तो इस बात का ध्यान रखें कि अंबिलिकल कार्ड को बिल्कुल न छुए क्योंकि यदि उसमें जरा सा भी चोट लग जाती है। तो बच्चे को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। अंबिलिकल कॉर्ड बहुत दर्द दे सकती हैं। यदि इसमें चोट लग जाए तो इसलिए बच्चों को हमेशा बहुत सहजता और सजकता के साथ उठाना चाहिए।

और जब तक उसका वह एरिया सुख न जाए तब तक हमें उससे ज्यादा नहलाना डुलना नहीं चाहिए। क्योंकि डॉक्टर के भी द्वारा यह बताया गया हैं। की इन एरियाज के सूखने के बाद ही हम अपने बच्चों के शरीर पर ज्यादा पानी का प्रयोग कर सकते हैं। वरना यह अमल कल कार्ड का एरिया इंफेक्शन का उसे कर सकता है और उस बच्चे को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

4. दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाना है जरूरी :

दूध पिलाने के बाद हमें अपने बच्चों को डकार दिलाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती हैं। बच्चे बहुत छोटे होते हैं थोड़ा सा दूध पीने के बाद ही उनका पेट बिल्कुल भर जाता है इसलिए हमें अपने अंदाज से अपने बच्चों को दूध पिलाना चाहिए। आपने ऐसा देखा होगा कि कभी-कभार यदि आप दूध पिलाते हुए बच्चे को भूल जाते हैं।

 तो वह लगातार दूध पीता रहता हैं। क्योंकि उसको अपने पेट का अंदाजा नहीं होता मां की यह जिम्मेदारी है कि कितना दूर बच्चों के लिए पर्याप्त है सिर्फ उतना ही दूध है। उसे पिलाई क्योंकि बच्चे का छोटा पेट होता हैं। इसलिए वह जल्दी भर जाता है पेट भरने के कारण बच्चों को उलझन हो सकती हैं। इसलिए दूध पिलाने के बाद बच्चे को कंधे पर डालकर हमें उसे डकार अवश्य दिलवानी चाहिए। डकार लेने से बच्चों के पेट में जो हवा भर गई है। वह आराम से बाहर चली जाएगी और बच्चे को शांति महसूस होगी। 

दूध पिलाने के बाद डकार दिलाने का एक और महत्व यह है कि इससे बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहता है और बच्चे का पाचन भी बिल्कुल सही रहता है। यदि बच्चे को डकार नहीं दिलाई जाती और उसके पेट में हवा भारती रहती है तो एक समय ऐसा आता है कि बच्चा दूध पलटना शुरू कर देता हैं। यदि बच्चा दूध पलटने लगेगा तो उसका पाचन तंत्र ठीक नहीं बना रहेगा और उसके शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति भी सही से नहीं होगी। इसलिए दूध पिलाने के बाद कंधे पर डालकर अपने बच्चों को डकार अवश्य दिलाए। 

5. नवजात बच्चे को नहलाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान :

नवजात बच्चों को हमें ज्यादा नहीं नहलाना चाहिए यदि हम अपने बच्चों को रोजाना नहलाते हैं तो उनकी स्किन ड्राई हो सकती है। और उनकी कोमल त्वचा पर नुकसान पहुंच सकता है इसलिए एक हफ्ते में बच्चों को सिर्फ तीन बार ही नहलाना चाहिए। नहलाने से पहले हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें अपने बच्चों को ना ही ज्यादा ठंडा पानी से नहलाना चाहिए और नाही ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। बच्चों को नहलाने से पहले हमें अपने हाथ डालकर पानी को चेक कर लेना चाहिए। यदि सर्दी का मौसम है तो आप अपनी को हल्का गुनगुना कर सकते हैं।

 परंतु बच्चों के ऊपर पानी डालने से पहले उसको अपने हाथ से चेक करने की आवश्यकता होती है। कि पानी ज्यादा गर्म तो नहीं है बिल्कुल हल्के गुनगुने पानी से जिससे आपके बच्चे के शरीर पर कोई नुकसान न पहुंचे ऐसे पानी से बच्चे को नहलाना चाहिए। यदि बहुत ज्यादा गर्मी है और बहुत ज्यादा गर्मी का मौसम है तो आप अपने बच्चों को नॉर्मल पानी से नहला सकते हैं। नल से निकला हुआ ठंडा नॉर्मल पानी निकाल कर पहले चेक कर ले की पानी ज्यादा ठंडा ना हो उसके बाद आप अपने बच्चों को नहलाये। बच्चों को नहलाने के लिए हमें हमेशा बेबी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। 

मार्केट में ऐसे बहुत सारे बेबी प्रोडक्ट उपलब्ध है जो बच्चों के नहाने संबंधी चीजों को सेल करते हैं। परंतु इन बेबी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले हमें खुद भी इनको अच्छी तरीके से पढ़ना चाहिए और जांचना पर रखना चाहिए। बच्चों के चेहरे को साफ करते वक्त हमें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि जो हम शैंपू या सावन इस्तेमाल कर रहे हैं वह बच्चे की आंख में पहुंच सकता है और उसे जलन हो सकती है। इसलिए चेहरे पर हमें उसके सिर्फ गालों पर शैंपू या सावन का इस्तेमाल करना चाहिए और उसे अच्छी तरीके से डाल देना चाहिए। बाकी माथे पर हम सिर्फ पानी से भी अपने बच्चों के चेहरे को धुल सकते हैं। 

बच्चों के चेहरे पर हमें सीधे पानी नहीं डालना चाहिए। सीधे पानी डालने की वजह हम अपने हाथों को गिला करके उसके चेहरे को साफ करते हैं। यदि हम सीधे बच्चों के चेहरे पर पानी डालते हैं तो उसकी नाक में पानी डाल सकता है। और उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है इसलिए बच्चों के चेहरे को धोते समय हमें विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। 

न्यू मॉम को कुछ अन्य विशेष जानकारियां

  • हमें अपने बच्चों के आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के कपड़ों को हमें गंदा नहीं रखना चाहिए। और उसके कपड़ों को डिटॉल में डालकर डालना चाहिए। 
  • माता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी अपने बच्चों को गीला ना रखें। यदि आप अपने बच्चों को गीला रखती हैं तो उसे सर्दी लग सकती हैं। इसलिए हमेशा बच्चों को सूखे कपड़े पहन कर ही रखें। 
  • हमें अपने बच्चों को ज्यादा डायपर नहीं पहनना चाहिए। ज्यादा डायपर पहनाने से बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स पर ड्रेस हो सकते हैं। और उसे समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे बच्चों को बहुत ज्यादा जलन होती है और उसे खुजली लगती है इसलिए बच्चों को ज्यादा डायपर ना पहना है। 
  • हमें अपने बच्चों को सुबह की धूप में लेते आना चाहिए सुबह की धूप में विटामिन डी होता है जो बच्चे के शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। और बच्चे को धूप दिखाना भी जरूरी होता है इसलिए जब सुबह-सुबह धूप निकले तो उसे धूप में अपने बच्चों को अवश्य लेटर। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों को ज्यादा लेयरिंग में कपड़े क्यों नहीं पहनना चाहिए? 

यदि हम बच्चे को ज्यादा लेयरिंग में कपड़े पहनते हैं तो उसे अनकंफरटेबल महसूस हो सकता हैं। और ओवरहीटिंग हो सकती है। 

Q. बच्चों को कितने दिनों तक ब्रेस्टफीडिंग की आवश्यकता होती है? 

जब तक बच्चा 6 महीने का नहीं हो जाता तब तक हमें सिर्फ उसे मां का दूध ही पिलाना चाहिए। 

Q. बच्चों को नहलाने के लिए हमें कितना अंतराल लेने की आवश्यकता होती है? 

बच्चों को हमें एक हफ्ते पर सिर्फ तीन बार ही नहलाना चाहिए। क्योंकि उसकी त्वचा कोमल होती है। 

Q. बच्चों की अंबिलिकल कॉर्ड का क्या काम होता है? 

अंबिलिकल कॉर्ड बच्चों के शरीर को मां के शरीर से जोड़ने का काम करती हैं। और उसे न्यूट्रिशन प्रोवाइड करते हैं। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको  मोम को बच्चों के केयर के संबंध सारी जानकारियां (Baby care kaise karen?)के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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