10 साल से कम उम्र के बच्चों पर असर करने वाली बीमारियां

10 साल से कम उम्र के बच्चों को छोटे होते हैं। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कमजोर होती हैं। इसलिए ऐसे बच्चों का हमें काश ख्याल रखने की आवश्यकता होती हैं। उनके शरीर में जरूरी हो सकता है की पूर्ति करना भी जरूरी होता है। जिससे उनकी रक्षा प्रणाली मजबूत हो परंतु 10 साल से कम उम्र के बच्चों को ऐसी बीमारियां हैं जो ज्यादा असर करती हैं (Bacho ki disease) इसके विषय में पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको 10 साल से कम उम्र के बच्चों पर ऐसा करने (Bacho ki 10 common disease)वाली बीमारियों के विषय में बताएंगे। यदि आप भी विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

क्यों होते हैं बच्चों को ज्यादा इन्फेक्शन? 

यह बात सामान्यत सभी को पता (Bacho ke infection)होता है कि बच्चों को ज्यादा इन्फेक्शन क्यों होते हैं। बच्चे के ज्यादा इंफेक्शन होने का कारण होता है कि बच्चों को किसी भी चीज की समझ नहीं होती। अक्सर वह जमीन के पास ही खेलते रहते हैं और जमीन पर पड़ी हुई कोई भी चीज को उठाकर अपने मुंह में रख लेते हैं।

 जमीन पर चिपके हुए बैक्टीरिया या वायरस उन चीजों के माध्यम से सीधे बच्चों के शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। और बच्चे को इन्फेक्शन का उसे करते हैं। इसके अलावा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कमजोर होती हैं। यदि छोटा सा भी वायरस बच्चों के शरीर के अंदर इंटर कर जाता है तो यह बच्चे को बहुत बड़ी बीमारी का कारण बन सकता हैं।

 क्योंकि उसके शरीर में रोगों के से लड़ने की कोई भी क्षमता विकसित नहीं होती इसलिए हमारे बच्चे को ज्यादा इन्फेक्शन झेलने पड़ते हैं। कई बार हमारे आंखों के पीछे भी बच्चे ऐसी बहुत सारी चीज खा लेते हैं। जो बीमारी का बहुत ज्यादा कारण बन सकता हैं। इसलिए बच्चों को इंफेक्शन से बचने के लिए उसे पर हमें हमेशा नजर रखने की आवश्यकता होती है। 

पांच बीमारियां जो करती हैं 10 साल तक के बच्चों को ज्यादा परेशान

नीचे हम आपको ऐसी पांच बीमारियों (Bacho ki common disease)की जानकारी देंगे जो आपके 10 साल तक के बच्चे को परेशान कर सकते हैं और आप उसे कैसे बचा सकते हैं। उसके विषय में बताया गया है। 

1. चिकन पॉक्स :

चिकन पॉक्स की समस्या अक्सर अपने बच्चे और पढ़ो दोनों में ही अच्छी होगी चिकन पॉक्स की समस्या एक बैक्टीरिया संक्रमण होता हैं। यह समस्या हवा में फैलने वाली बीमारी की तरह होती है यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाती हैं। इस बीमारी के लक्षण हमें तब दिखाई देते हैं जब हमारे शरीर पर लाल फोड़ जैसे दाने दिखाई देने लगते हैं।

 हमारे पूरे शरीर पर लाल-लाल दाने होते हैं इन दोनों में रशेस खुजली होती है और हमें बुखार जैसी समस्याएं होने लगते हैं। हमारे भारत देश में आज भी बहुत सारी ऐसी बीमारियां है जो बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती हैं। उनमें से एक चिकन पॉक्स भी है वैसे तो चिकन पॉक्स को आप वैक्सीनेशन के द्वारा रोका गया हैं। परंतु जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी हैं।

 उनके अंदर अभी भी चिकन पॉक्स की समस्या देखी गई हैं। या जो लोग काम रोग प्रतिरोधक क्षमता से पीड़ित हैं। उनके अंदर भी चिकन पॉक्स की समस्या पाई जाती है यदि किसी भी व्यक्ति को चिकन पॉक्स एक बार हो जाता हैं। और उसके शरीर में इस बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती हैं।

 तो यह बीमारी दोबारा कभी भी उसे व्यक्ति को पीड़ित नहीं करते इसलिए हमें किसी बीमार व्यक्ति से या संक्रमित व्यक्ति से अपने बच्चों को दूर रखने की आवश्यकता होती है। 

2. इनफ्लुएंजा :

इन्फ्लूएंजा की बीमारी इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होती हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस समानता बदलते मौसम में ज्यादा जोर करता हैं। इन्फ्लूएंजा कर तरीके का होता हैं। इन्फ्लूएंजा एबीसी ओडी इनमें से इनफ्लुएंजा ए और बी सबसे ज्यादा संक्रमण कोर्स करता हैं।

 जब मौसम बदलता है इनफ्लुएंजा ए और भी बदलते मौसम में सर्दी जुकाम बुखार इंफेक्शन नाक में श्वास नली में इन्फेक्शन आदि का कारण बन सकता हैं। इसके अलावा इसके कारण बुखार कब कभी दर्द कफ खांसी आदि जैसी समस्याएं भी देखने को मिल जाती हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण डायरिया चक्कर आना थकान आदि समस्याएं भी होने लगते हैं। 

यदि हम इन्फ्लूएंजा से बचना चाहते हैं तो हमें वैक्सीन हमेशा लगवाने की आवश्यकता होती हैं। वैक्सीन हमारे शरीर के अंदर एंटीबॉडीज का प्रोडक्शन कर देती है। जब हमें इन्फ्लूएंजा का उसे करता है। तो हमारे शरीर में उपस्थित पहले ही इन्फ्लूएंजा कि एंटीबॉडी उपस्थित होती है जो इससे हमारे शरीर को संक्रमित करने से बचाती हैं और हमारे शरीर को मजबूत रखते हैं।

 वैक्सीन की पूरी जानकारी डॉक्टर के पास उपलब्ध होती है। इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन के विषय में आप पूरी जानकारी डॉक्टर से प्राप्त कर सकते हैं। और उसकी रेगुलर दोसेस लगवा सकते हैं। 

3. निमोनिया :

निमोनिया एक तरीके का लंग इन्फेक्शन होता है। निमोनिया में बच्चों को सर्दी खांसी जुकाम बुखार आता जैसे समस्या होने लगते हैं। लंग इन्फेक्शन के कारण बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है। निमोनिया वैसे तो किसी भी उम्र के बच्चे को हो सकती है परंतु यदि यह 2 साल से कम उम्र के बच्चे के अंदर हो गई है।

 तो यह बहुत ज्यादा परेशानी का कारण बन सकती है और बच्चे को परेशानी झेलनी पड़ सकती हैt यदि बच्चे को निमोनिया हुआ है तो उसे बहुत ज्यादा मात्रा में सर्दी और खांसी होती है। सर्दी और खांसी के कारण यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाती है। यदि आपके बच्चे को जरूर से ज्यादा फीवर है।

 उसे सांस लेने में समस्या हो रही है उसको चेस्ट पेन है बहुत ज्यादा उसे खांसी आ रही है। बच्चों को भूख नहीं लग रही है या उसे चक्कर आ रहा है तो आप को अपने बच्चों को डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए। 

निमोनिया के मुख्य कारण होते हैं कि बच्चों को न्यूट्रिशन की कमी है या उसे साफ पानी और साफ एनवायरमेंट नहीं मिल रहा है तो बच्चे को निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों को साफ एनवायरमेंट में रखना चाहिए। वायु प्रदूषण से दूर रखना चाहिए और उसे लगातार ब्रेस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की बहुत सारी बीमारियां खत्म हो सकती हैं।

 इसके अलावा उसे जरूरी न्यूट्रिशन प्रोवाइड करना चाहिए और बच्चे को विटामिन ए की डाइट प्रदान करनी चाहिए। हमें बच्चों को एक साफ सुथरा एनवायरमेंट में रखना चाहिए और यदि आप अपने बच्चों को एंटीबायोटिक दवाइयां दे रहे हैं तो बिना डॉक्टर से संपर्क किया आपने अपने बच्चों को एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं देनी है। डॉक्टर के द्वारा बताइए की दवाइयां का सेवन आप बच्चे को करवा सकते हैं। 

4.डायरिया :

बच्चों के अंदर देखे जाने वाली सबसे आम समस्या होती है। ज्यादातर बच्चों के अंदर अपने डायरिया की समस्या होते हुए देखा होगा बच्चे डायरिया से बहुत ज्यादा जल्दी पीड़ित हो जाते हैं। और डायरिया बच्चों के अंदर परेशानी का मुख्य कारण बन जाता है डायरिया होने के कारण बच्चों को बहुत ज्यादा दस्त की समस्या हो जाती है।

 बच्चों के अंदर डायरिया होने का मुख्य कारण रोटो वायरस होता है यह एक तरीके का परजीवी होता है। यदि आपके बच्चे को डायरिया हुआ है। तो उसे फीवर डिहाइड्रेशन उल्टी दस्त यह सभी तरीके की समस्याएं देखने को मिलेगी आपको तुरंत समझ जाना चाहिए। कि आपका बच्चा डायरिया से पीड़ित है बच्चों के अंदर डायरिया कई तरीके की हो सकती हैं।

 परंतु बच्चों को होने वाली डायरिया में क्यूट डायरिया सबसे आम होती है। क्यूट डायरिया 1 से 2 दिन में सुधार जाती है। परंतु यदि बच्चे को एक-दो दिन में भी आराम नहीं मिल रहा है तो उसे अवश्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। और डॉक्टर के द्वारा बताइए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बच्चों को पर करना चाहिए। 

डायरिया में बच्चों को सबसे ज्यादा डिहाइड्रेशन की समस्या होती है उल्टी दस्त के कारण बच्चों के शरीर में पानी की बहुत ज्यादा कमी हो जाती है। इसलिए हमें अपने बच्चों के शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए उसे ओआरएस का घोल देना चाहिए। ओआरएस का घोल उसे पोषक तत्व प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा मां को बच्चों को ज्यादा से ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क का सेवन करना चाहिए जिससे उसका शरीर मजबूत रहे बच्चे को अधिक से अधिक पानी पिलाने की भी आवश्यकता होती है। 

5.मलेरिया :

भारत में पाई जाने वाली सबसे आम समस्याओं में एक सबसे आम समस्या है। मलेरिया मलेरिया डायरिया और निमोनिया यह तीन चीज बच्चों में सबसे ज्यादा देखी जाती हैं और तीनों का कारण ही गंदगी होता है। मलेरिया का मुख्य कारण होता है। प्लाज्मोडियम विवेक्स वायरस प्लाज्मोडियम विवेक्स यदि बच्चे के शरीर में एंटी कट जाता है। तो यह मलेरिया का कारण बन जाता है।

 प्लाज्मोडियम विवेक्स बच्चों के शरीर में या किसी भी व्यक्ति के शरीर में मच्छरों के द्वारा फैलता है। इस वायरस की मुख्य वॉक फीमेल एनोफिलीस नाम की मच्छर होती है यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इस वाइरस को फैलाने का काम करती है। इसलिए हमें अपने आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

 जिससे मच्छर हमारे आसपास नापन पर और मलेरिया ना हो मलेरिया होने पर बच्चों को थकान बुखार पर में दर्द उल्टी सर दर्द स्क्रीन की समस्या कामा या फिर डेथ भी हो सकती है। यह बहुत सीरियस समस्या होती है। इसलिए समय रहते इसका ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। 

यदि बच्चों के अंदर मलेरिया बिगड़ जाता है तो यह बच्चे के दिमाग पर भी असर डाल सकता हैं। मलेरिया होने के कारण बच्चों के शरीर में एनीमिया भी हो सकती है और बच्चा खून की कमी से भी पीड़ित हो सकता हैं। इसलिए जब शुरुआत में ही मलेरिया के लक्षण दिखाई देते हैं। तो हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इसका इलाज शुरू कर देना चाहिएy क्योंकि यदि यह ज्यादा विकराल रूप ले लेता है तो यह बच्चे को बहुत ज्यादा परेशानी का कारण बन सकता है। 

घर पर इन नियमों का करें पालन

यदि हमें अपने बच्चों को बचाना है ((Bacho ko disease protection ke niyam) और उसे बीमारियों से पीड़ित नहीं होने देना है तो हमें कुछ जरूरी बातों का घर पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। जैसे नीचे बताया गया है। 

  • हमें अपने बच्चों को यह समझने की आवश्यकता हैं। कि हमें बीमारियों से कैसे बचाना है और बीमारियां हमारे अंदर क्या आप दुष्प्रभाव प्रभाव डालते हैं। इसलिए उसे बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 
  • हमें अपना घर हमेशा साफ रखना चाहिए मार्केट में ऐसे बहुत सारे केमिकल्स हैं। जो हमारे फर्श को साफ रखने में मदद करते हैं। हमें इन्हीं केमिकल का इस्तेमाल करना चाहिए।और जमीन पर पड़ी हुई चीजों को बच्चों को मुंह में रखने से रोकना चाहिए और उसकी ऐसी आदत को कम करने का प्रयास करना चाहिए। 
  • यदि आपका बच्चा घुटने के बाल चलता है तो आपको जमीन की सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। उसको रोजाना फिनायल से या एंटीबैक्टीरियल आदि केमिकल से हमें साफ करने की आवश्यकता होती है जैसे बच्चे को इन्फेक्शन ना हो। 
  • हमारे घर के आसपास यह हमारे घर में यदि कोई बहुत ज्यादा बीमार रहता है और उसका इन्फेक्शन हमारे बच्चे के अंदर भी हो सकता हैं। तो हमें ऐसे व्यक्ति से अपने बच्चों को दूर रखना चाहिए। 
  • हमें अपने घर के आस-पास भी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि आसपास पानी इकट्ठा है तो उसे साफ करते रहना चाहिए और मच्छरों को पनपना से रोकना चाहिए।
  • अपने घर के पानी की सफाई का ध्यान रखना चाहिए बच्चों को हमें बिल्कुल साफ पानी पिलाने की आवश्यकता होती हैं। जिससे उसे डायरी जैसी समस्या ना हो। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों के अंदर कौन सी बीमारियां आम तरीके से देखने को मिलती हैं? 

बच्चों के अंदर हमें डायरिया निमोनिया चिकन पॉक्स मलेरिया जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। 

Q. बच्चों के अंदर होने वाले चिकन पॉक्स को कैसे रोका जा सकता है? 

चिकन पॉक्स की वैक्सीनेशन के द्वारा बच्चों के अंदर होने वाले वायरस को रोका जा सकता है। 

Q. मलेरिया कौन से वायरस के कारण होता है? 

मलेरिया प्लाज्मोडियम विवेक्स नाम के वायरस के कारण होता है जो कि मच्छरों के द्वारा फैलाया जाता है। 

Q. बच्चों को ऐसी बीमारियों से कैसे बचाया जा सकता है। 

घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखकर और बच्चे के खाने-पीने की चीजों का विशेष ध्यान रखकर हमें बच्चों को बीमारियों से बचा सकते हैं। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको 10 साल से कम उम्र के बच्चों पर असर(Bacho ki disease) करने वाली बीमारियां के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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