बच्चों के कान में संक्रमण के घरेलू उपचार

जब बच्चे छोटे होते हैं हमें उनके विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम होती हैं। जिसके कारण उन्हें संक्रमण जल्दी असर कर जाता है और वह जल्दी बीमार पड़ जाते हैं अक्सर आपने देखा होगा कि बच्चों के कान में संक्रमण हो जाता हैं। उसके काम से मवाद निकलने लगता है परंतु इस संक्रमण का घरेलू उपचार क्या हैं। (Ear infection kya hai?)उसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों के कान में संक्रमण के घरेलू उपचार  (Ear infection ko thik karne ke gharelu upchar) के विषय में जानकारी देंगे यदि आप इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

बच्चों के कान में संक्रमण होने के लक्षण

बच्चों के कान में संक्रमण होने  (Bacho me ear infection ke symptoms)से उन्हें दर्द तो अवश्य होता होगा। परंतु वह बोल नहीं पाते। इसलिए वह अपने दर्द को बात नहीं सकते हैं। परंतु ऐसे बहुत सारे लक्षण बच्चों के अंदर देखे जाते हैं। जिसके माध्यम से हम पता लगा सकते हैं कि बच्चों के कान के संक्रमण को कैसे ठीक किया जा सकता है। जिन्हें नीचे पॉइंट्स के माध्यम से बताया गया है। 

  • कान से तरल पदार्थ बाहर आना 
  • कान खींचने 
  • बार-बार रोना नींद ना आना 
  • भूख में कमी 
  • चिड़चिड़ापन होना 
  • कान में संक्रमण के दौरान बच्चों को चक्कर भी आ सकते हैं । 

बच्चों के कान में संक्रमण का घरेलू उपचार

जब बच्चे छोटे होते हैं तब वह किसी  (Ear infection ke gharelu upchar )भी दवा का सेवन आसानी से नहीं कर पाते एंटीबायोटिक दवाइयां बहुत ज्यादा कड़वी होती हैं। जिसके कारण वह बिल्कुल भी ऐसी दवाइयां लेना पसंद नहीं करते अगर ऐसी स्थिति है तो हम घर पर भी बच्चों के कान के संक्रमण का इलाज कर सकते हैं। वह कैसे किया जा सकता है उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1.गरम सिकाई है कान में संक्रमण का इलाज

यदि आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आपका बच्चा कान के दर्द से पीड़ित है या वह अपने कान को बार-बार खींच रहा है तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि उसके कान में दर्द हैं। कान में संक्रमण के इलाज के लिए हम सिकाई का इस्तेमाल कर सकते हैं। सिकाई के माध्यम से बच्चों के कान के संक्रमण में आराम मिलता हैं।

 उसके लिए हमें एक  रुमाल को तीन-चार बार लपेटकर उसे गर्म करना हैं। इसके पश्चात हमें कान के नीचे उसे गर्म रुमाल से सीखना हैं। ऐसा करने से हमारे कान के अंदर की सिकाई होती है और हमारा कान ठीक होने में हमें मदद मिलती हैं। रुमाल के अलावा आप गर्म हीटिंग पद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ऐसा करने से आपके बच्चे को कान में दर्द से आराम मिलता है। 

2. गरम तेल से कर सकते हैं कान का इलाज

बच्चों के कान के दर्द को ठीक करने या कान के संक्रमण को ठीक करने के लिए गर्म तेल सबसे सदरी उपाय होता हैं। यह कान के अंदर जाकर कान की नसों को ठीक करने और उन्हें सीखने का काम करता हैं। गरम तेल को कान में डालने का उपाय यह है की तेल को एक पेन में गर्म करना हैं।

 और इसमें थोड़ा सा अजवाइन और लहसुन डालकर उसे भून लेना हैं। इसके पश्चात इसे अच्छी तरीके से छान लेना है जब तेल हल्का गुनगुना हो जाता हैं। तब उसे संक्रमित बच्चों के कान में डालना चाहिए। और उसे हुई से बंद कर देना चाहिए गरम तेल से कान के अंदर की सिकाई होती है और संक्रमण को कम करने में मदद करता हैं। गर्म तेल से बच्चों के कान का दर्द भी काम हो जाता है। इसके अलावा आप सरसों का तेल जैतून का तेल आदि तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जो कान की गंदगी को भी बाहर निकलता है और कान के दर्द को भी ठीक करता है। 

3. कान के संक्रमण को ठीक करने के लिए हाइड्रेट रखें

हमारी बॉडी में हाइड्रेशन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। यदि हम पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं। और पर्याप्त मात्रा में अपने शरीर को पानी देते हैं तो यह हमारी बॉडी के लिए बहुत अच्छा होता हैं। और यह हमें बहुत सारी बीमारियों से दूर रखने में मदद करता हैं। परंतु ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो अपने बच्चों को पानी नहीं पिलाते। 

वह हर पोषक आहार देने का प्रयास करते हैं परंतु पानी नहीं देते परंतु ऐसा नहीं करना चाहिए। कान के संक्रमण को ठीक करने के लिए बच्चों को हाइड्रेट रखना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। कान के संक्रमण के दौरान यदि ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन किया जाता हैं। तो यह यूटीशियन ट्यूब को खोलने में मदद करता है। ब्यूटीशियन ट्यूब कान से अटैचेद होती है और यह कान के संक्रमण को ठीक करने में भी मदद करते हैं। 

4. बच्चों के कान का आयुर्वेदिक इलाज करें 

अपने बच्चों के कान का आयुर्वेदिक इलाज भी कर सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज में आप तेल जैतून या तुलसी के रस को निचोड़कर बच्चों के कान में डाल सकते हैं। इन सभी तेल में आयुर्वेदिक तत्व पाए जाते हैं। जो बच्चों के कान की सूजन को कम करने में मदद करते हैं और उसका दर्द भी काम करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने बच्चों के लक्षणों की तरफ ध्यान दें। और उसकी परेशानी को समझने का प्रयास करें। इसके अलावा ऐसे बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधियां भी है जिसके माध्यम से आप अंदरुनी रूप से बच्चों के कान को ठीक कर सकते हैं। 

बच्चों के कान में इंफेक्शन से बचाव

बच्चों के कान में होने वाले इन्फेक्शन  (Ear infection se bachav)को वैसे तो रोक नहीं जा सकता और आपने अक्सर बच्चों में देखा होगा की बच्चों के कान में ज्यादातर इन्फेक्शन होते रहते हैं।

 परंतु वह क्या-क्या उपाय हैं जिसके माध्यम से आप इस इन्फेक्शन के होने की दर को कम कर सकते हैं। उसे नीचे पॉइंट्स के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। 

1. स्तनपान कराना : जब तक बच्चा 1 साल का नहीं हो जाता तब तक उसे मां का दूध अवश्य पिलाते रहना चाहिए। मां का दूध बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो और किसी से बच्चे को प्राप्त नहीं होते।

 इसमें एंटीबॉडीज होती है जो बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं और विभिन्न प्रकार के संक्रमण को शरीर में होने से बचाती हैं। यह शरीर को मजबूत बनाता है इसलिए महिलाओं को अपने बच्चों को 12 महीने तक स्तनपान अवश्य करना चाहिए।

 डॉक्टर के द्वारा भी यह बताया गया है कि जब तक बच्चा 6 महीने का नहीं हो जाता तब तक उसे ना तो कोई ठोस पदार्थ खिलाया जा सकता हैं। और ना ही पानी पिलाना चाहिए 6 महीने तक सिर्फ उसे मां का दूध पिलाना ही आवश्यक होता है। 

2. बच्चों को धुएं से दूर रखें : हमें हमारे बच्चे को हमेशा धुएं से दूर रखना चाहिए। धुआ बहुत ज्यादा संवेदनशील होता है और यह पर्यावरण में प्रदूषण का कारण बनता है। इससे बच्चों को सांस लेने में भी समस्या होती है।

 इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने बच्चों को धुएं से पूरी तरीके से बचा कर रखें। हमें अपने बच्चों को तेज धूप के साथ-साथ धुएं के डायरेक्टर संपर्क में भी आने से बचना चाहिए। यदि यह सारी चीज डायरेक्टली बच्चों के संपर्क में आती रहेंगे। तो बच्चे के कान के इंफेक्शन के बढ़ जाने का ज्यादा चांस रहता है। एक स्टडी के माध्यम से भी यह पता लगा है। की सेकंड हैंड स्मोक या धुएं के कांटेक्ट में आने से बच्चे का संक्रमण बढ़ता है। 

3. बोतल का दूध सही तरीके से पिलाना : यदि आप अपने बच्चों को बोतल से दूध पिला रहे हैं तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए। कि आपको अपने बच्चों को सही तरीके से दूध पिलाना है। बच्चों को दूध पिलाते समय हमेशा दूध की बोतल को 45 डिग्री के एंगल पर रखना है।

 जिससे बच्चों के मुंह में दूध उसकी यूट्रस एंगल से वापस ना आए कई लोग बोतल को सीधा पढ़ते हैं। जिससे बच्चों को दूध पीने में बहुत दिक्कत होती है। और उसे कई बार खांसी भी आने लगती है। इससे बच्चों को समस्या हो सकती है इसलिए बोतल का दूध बिल्कुल सही तरीके से पिलाई। 

4. वातावरण स्वच्छ रखें : वातावरण की स्वच्छता रखना बहुत जरूरी होता है। यदि वातावरण को स्वच्छ रखा जाता है तो बीमारियां होने का खतरा बहुत कम हो जाता है और हमारे स्वस्थ होने के चांसेस और ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए वातावरण को हमेशा स्वच्छ रखने का प्रयास करना चाहिए। संक्रमण ज्यादातर सूक्ष्मजीवियों के कारण होते हैं। यदि स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है तो यह सूक्ष्मजीव पनपत नहीं पाते और संक्रमण का खतरा नहीं होता। 

5. टीकाकरण : पहले तो हमें यह जानना जरूरी है कि टीकाकरण होता क्या है। छोटे बच्चों को आर्टिफिशियल रूप से किसी रोग के प्रति इम्यूनिटी प्रदान करने के लिए उसकी थोड़ी मात्रा में एक वैक्सीन इंजेक्ट की जाती है।

 जिससे शरीर के अंदर पहले से ही एंटीबॉडीज का प्रोडक्शन हो पाए और जब ज्यादा बड़ा वायरस बच्चों के शरीर को इनफैक्ट करें। तो बच्चे के शरीर में उसे बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता पहले से मौजूद हो उसी को हम टीकाकरण कहते हैं।

बच्चों के लिए एक मानक सेट किया गया है कि बच्चों को कौन से महीने में कौन सा टीका लगा है। इसका एक पूरा चार्ट डॉक्टर के द्वारा पेरेंट्स को दिया जाता है। इस चार्ट के अकॉर्डिंग बच्चों को हमें टीका लगवाना जरूरी होता है। इसलिए हमें टीकाकरण की वैल्यू को समझना चाहिए और टीकाकरण को कभी भी मिस नहीं करना चाहिए। 

बच्चों के कान के संक्रमण के लिए डॉक्टर को कब दिखाएं :

यदि सारे घरेलू उपचार करने के (Ear infection doctor ko kb dikhayen)पश्चात भी बच्चे का कान ठीक नहीं हो रहा है या अभी भी उसमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो हमें डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।

 यदि कान का संक्रमण पहले से ही गंभीर है तो हमें घरेलू उपचार छोड़कर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यदि कुछ हल्के फुल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। तो हम घरेलू उपचार कर सकते हैं कि स्थिति में हम डॉक्टर को दिखा सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है। 

  • यदि आपके बच्चे को बुखार है तो आप उसे तुरंत डॉक्टर को दिखा सकते हैं। इसके लिए यदि आपका बच्चा 3 महीने से छोटा है और उसे 37 डिग्री बुखार है तो आप उसे डॉक्टर को दिखाएं।
  • यदि आपका बच्चा 3 महीने से बड़ा है और उसे  39 डिग्री बुखार है तो आप उसे डॉक्टर को अवश्य दिखा सकते हैं। 
  • यदि आपके बच्चे के कान में संक्रमण हो गया हैं। और तीन-चार दिन होने के बाद भी उसके कान का मवाद ठीक नहीं हो रहा।  तो आप उसे डॉक्टर को दिखा सकते हैं या ऐसी स्थिति है कि वह बिल्कुल भी शांत नहीं हो रहा हैं। तब भी आप उसे डॉक्टर को दिखा सकते हैं। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. संक्रमण क्या होता है? 

जो बीमारियां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने लगती हैं। उसे संक्रमण कहा जाता है। 

Q. कान में दर्द की स्थिति क्यों बनती है? 

यदि बाहरी रूप से कान में पानी चला जाता है यह बच्चा धुएं के संपर्क में आता हैं। या स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता तो कान में दर्द होने लगता है। 

Q. कान में दर्द को घरेलू उपाय से कैसे ठीक किया जा सकता है? 

गरम तेल के माध्यम से सिकाई के माध्यम से आयुर्वेदिक उपाय के माध्यम से और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए कान के दर्द को ठीक किया जा सकता है। 

Q. हमें डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? 

यदि बच्चे को तेज बुखार आ रहा है तो हमें उसे डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के कान में संक्रमण के घरेलू उपचार (Ear infection ke gharelu upchaar)के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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