बच्चों के कान कब क्यों छिदवाना चाहिए? | Babies ki ear piercing

बच्चे बहुत ही कोमल और नाजुक होते हैं वह बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए उन्हें हर चीज बिल्कुल साफ सुथरी चाहिए होती है। बच्चों के साथ बहुत ही कोमलता के साथ पेश आना चाहिए। क्योंकि वह अंदरुनी रूप से कमजोर होते हैं। उनकी रोक प्रतिरोधक क्षमता अच्छे से विकसित नहीं हो पाती है जिसके कारण वह बीमारियों से भी ग्रसित रहते हैं भारतीय समाज में बच्चों के कान छिदवाने की भी एक प्रथा है जिसे बचपन में ही करना आवश्यक होता है.

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों के कान छिदवाने की प्रथा (Babies me ear piercing ki pratha) के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पड़े।

कर्णवेदन विधि या  कान छिदवाना क्या है? 

कारण वेतन विधि भारतीय (Ear piercing kya hai?)समाज में प्रचलित एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधाई माना जाता है। भारतीय समाज में ऐसा माना जाता है कि बच्चों के कान छिदवाने से उसे बुरी नजर से दूर रखने में मदद मिलती हैं।

 वहीं इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी सामने आया है कि कान छिदवाने से वैज्ञानिक रूप से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। भारतीय समाज में पारंपरिक रूप से पहले से ही कान छिदवाने के प्रथा को बहुत ही महत्व दिया गया है। 

जब बच्चे 3 साल या 5 साल के हो जाते हैं। तब माता-पिता के द्वारा उनका छिदवाने की प्रथा को संपन्न किया जाता है। कुछ लोग इसे सौंदर्य के रूप में देखते हैं इसलिए आज से भी वह अपने बच्चों के कान छुड़वाते हैं।

कुछ लोग बचपन में ही अपने बच्चों के कान छिड़वा देते हैं परंतु कुछ लोग अपने बच्चों के समझदार होने का इंतजार करते हैं। उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चा अपने निर्णय खुद ले सके उतनी उम्र तक बच्चे का इंतजार करना चाहिए और इसके बाद ही बच्चों के कान छिदवाने हैं या नहीं। उसके विषय में बच्चे पर ही इस बात का निर्णय रखना चाहिए।

जवाब शिशु के कान छिदवाएं तो उसके लिए पहले से ही तैयारी करना आवश्यक होता हैं। आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से इस विषय में चर्चा कर सकते हैं कि आप किस स्थान पर अपने बच्चों के कान छिदवाना चाहते हैं। कान छिदवाने का दिन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है इसलिए विशेष रूप से इसके लिए तैयारी करना आवश्यक है।

 आप अपने आसपास के लोगों से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं कि आप किसी अच्छे डॉक्टर या किसी भी प्रतिष्ठ सुंदर से अपने बच्चों के कान छिदवा सकते हैं यह अति महत्वपूर्ण होता है क्योंकि किसी स्पेशलिस्ट व्यक्ति से ही अपने बच्चों के कान छिदवाने चाहिए यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।

अपने बच्चों के कान कब छिदवाने चाहिए? 

आपको अपने बच्चों के कान (Babies ke ear piercing kab karaye) कब छुड़वाने चाहिए। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है जिससे आप यह पता लगा सकते हैं कि आप अपने बच्चों के कान कब छिड़वा सकते हैं।

पारंपरिक तौर पर परिवार के लोग सामान्यत रोड के किनारे बैठने वाले कर्णवेदक से या किसी प्रतिष्ठित सुंदर से बच्चों के कान छिदवाने की प्रक्रिया को संबंध करते हैं। परंतु इस विषय में अपने रिश्तेदारों से भी आवश्यक जानकारी ले लेनी चाहिए।

 कि उन्होंने अपने बच्चों की कर्णवेदन विधि कहां पर करवाई है। बहुत से परिवारों में ऐसा भी प्रचलन है कि वह अपने घर में आने वाली जप दी या मालिश वाली से भी अपने बच्चों के कान छिड़वा सकती हैं।

बच्चों के कानों को छिदवाने की प्रक्रिया के विषय में आप अपने परिवार दोस्तों से सलाह ले सकते हैं। परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपको अपने बच्चों की कर्णवेदन विधि बिल्कुल स्पेशलिस्ट व्यक्ति से करवानी चाहिए। जिसके पास रोगाणु रहित उपकरण हो और जो पूरी सतर्कता से आपके बच्चे का कर्णवेदन कर सके।

आजकल के लोग बहुत हाइजीनिक हो गए हैं और वह अपने शिशु के स्वास्थ्य के विषय में किसी भी प्रकार की कोटा ही नहीं बढ़ते हैं। इस वजह से आजकल की महिलाएं किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से यह ऊंचे जौहरी से या और पियर्सिंग पार्लर से अपने कानों को छिदवाने या अपने बच्चों के कानों को छुड़वाने के लिए जाते हैं।

 यह अति महत्वपूर्ण होता है कि बच्चों के कारण वेतन विधि के अनुसार उसे पूरी तरीके से स्वच्छता भारा माहौल प्राप्त हो और किसी भी तरीके की आस्वच्छता से बच्चे को बचाया जा सके।

उचित कान के बुंदे या बाली का चयन कैसे किया जाए? 

समानता भारतीय समाज में (Ear piercing ke baad earring) अपने बच्चों के कानून या बूंद के लिए सबसे पहले कर्णवेदन विधि के अनुसार नीम की छोटी सी डांडी का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिसको कानों में डाला जाता है यह उपचार आत्मक रूप से एवं रोगाणु रहित होती है और कानों को किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन के होने से भी बचाती है।

कई शहरों में नीम की डंडी को ढूंढ पाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता हैं। इसके लिए आप दूसरा विकल्प इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें आप अपने बच्चों के कानों में सोने की लॉन्ग डाल सकते हैं। या किसी भी प्रकार की ऐसी कानों में चीज डाल सकते हैं जिसमें स्टील ना हो जो कानों को इन्फेक्शन प्रदान करें।

शुरुआत में बहुत ज्यादा कैसे हुए बंदे भी नहीं खरीदने चाहिए यदि ऐसे  बूदे आप अपने बच्चों के कान के लिए खरीद लेंगे तो बच्चे के कानों में हवा नहीं लगती हैं। और उसके कानों का इन्फेक्शन का भी डर रहता हैं। जब तक बच्चों के कान का घाव थे ठीक ना हो जाए उसको बिल्कुल हल्के और हवादार कानों के बंदे लाने का प्रयास करें।

यदि आपने अपने बच्चों के लिए सोने की बालियां लेने का सोचा है तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सोने की बालियां बिल्कुल छोटी हो । और वह अच्छी तरीके से बंद होती हूं। यदि बच्चा कान की वालियों को अच्छी तरीके से खींच लेगा तो यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती है और वह अपने आप को चोट पहुंचा सकता है।

सभी कानों की बोलियों में अच्छे तरीके से बंद होने वाले पेज होने चाहिए। जिससे यदि अपने बच्चा अपने कानों की बोलियों को खींचे तो वह खुले ना यदि वह खुल जाती है तो बच्चा उनसे अपने आप को चोट भी पहुंचा सकता है। इसके अलावा गलती से भी उसने इसे अपने मुंह में रख लिया तो वह उसकी स्वसन नाल में जाकर अटक भी सकता है।

कान छिदवाने के लिए खुद को और बच्चे को किस प्रकार से तैयार करें? 

यह जरूरी होता है कि (Ear piercing ke liye kaise taiyari kare) जब भी आप अपने बच्चों के कान छिदवाएं तो उसका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक हो।

आमतौर पर जब भी आप अपने बच्चों के कानों की पियर्सिंग हैं उसे बिना किसी दर्द के इंजेक्शन के कान छिदवानी की प्रक्रिया को संपन्न किया किया जाता है। क्योंकि दर्द को कम करने के लिए जो एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है। 

उसमें कान छिदवाने से ज्यादा दर्द होता है इसलिए किसी भी दर्द को कम करने वाले इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि सीधे तौर पर बच्चों की इयर पियर्सिंग की जाती है।

जिस दिन आप अपने बच्चों के कान की पियर्सिंग करवाने जा रहे हैं उसे दिन बच्चों को बटन वाले कपड़े पहनना चाहिए। जिससे आराम से आप बटन खोलकर उसके कपड़ों को निकाल सके। यदि आप बच्चे को टाइट कपड़े पहना देंगे तो उसके कपड़े निकालने पर बच्चों के कान दुख भी सकते हैं इसलिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना विशेष आवश्यक होता है।

इयर पियर्सिंग के दिन बच्चों के आनंददायक चीज जो उसे खुशी पहुंचती हूं। या बच्चे की जान पहचान की चीज बच्चों के आसपास रखनी चाहिए। यह जरूरी होता है कि बच्चा अपनी पसंदीदा चीजों को अपने आसपास पाए और उनसे आनंदित होकर अपने कार्यों को संपन्न करें।

अगर आपके बच्चे ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है तो आप उसके टिफिन में रंग-बिरंगे टिफिन का इस्तेमाल करें। और जो चीज बच्चों को पसंद है। मैं चीज पैक करके ले जाएं और उसे खिलाने का प्रयास करें कान छिदवाने के बाद यह टिफिन काफी काम आ सकता है।

कान किस प्रकार छेदे जाते हैं? 

समानता कानून की छेड़ने की (Ear piercing kaise hoti hai) विभिन्न विभिन्न प्रक्रिया होती हैं। कुछ माताएं अपने बच्चों को सामान्य सी से कान छिदवाना पसंद करती हैं। परंतु जिन्हें डर रहता है। कि उनके बच्चों के कानों में दर्द होगा वह एयर गन के द्वारा कानों को छिदवाने का विचार करती हैं।

 आप कोई भी तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं परंतु आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कि जिस भी उपकरण से बच्चे की खान छेड़ जा रहे हैं। वह उपकरण पूरी तरीके से भी संक्रमित होने चाहिए उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होना चाहिए।

कानों के कार्यपाली के बीचो-बीच में बच्चों के कान छेड़ जाते हैं एक प्रोफेशनल और व्यवसाय व्यक्ति यह बहुत आसानी से पहचान लेता है। कि वह बच्चों के कान कहां पर छेद सकता है परंतु जो लोग प्रोफेशनल नहीं होते उन्हें पेन या स्याही इस्तेमाल करने के लिए करना पड़ता है और वहीं पर कान छेद जाते हैं।

 यदि स्याही का इस्तेमाल पहले किया जाता है तो यह बच्चों के कानों में जलन पैदा कर सकता हैं। इसलिए कानों को छेड़ने से पहले किसी भी प्रकार की स्याही का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

कान छेदने की प्रक्रिया में जिस भी व्यक्ति के द्वारा कान छेड़ जा रहे हैं उनके हाथों को एंटीसेप्टिक घोल से धोना जरूरी है। जिस भी उपकरण से बच्चों के कान छेड़ जा रहे हैं या जो बालियान आप बच्चे को उसके कान में पहनना चाहते हैं।

 उन सभी उपकरण और बोलियों को एंटीसेप्टिक गोल से धोना आवश्यक है जिससे किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया वायरस उसे चीज को संक्रमित ना कर सके।

कान छिदवाने के दौरान अपने बच्चों को बहुत सतर्कता से और टाइट करके पकड़ना चाहिए क्योंकि सामान्यता एक कारण पाली को छिदवाने के बाद बच्चे को दर्द होना शुरू हो जाता है। और वह रोने लगता है।

 इसलिए दूसरी कारण पाली को छुड़वाने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अपने बच्चों को बहुत टाइट करके पकड़ना चाहिए जैसे उसे किसी भी प्रकार की संक्रमण या चोट लगने से बचाया जा सके।

एक कान को छेड़ने के बाद जब दूसरे कान की बारी आती है तो हो सकता है कि बच्चों को संभालने के लिए कुछ देर रुकना पड़े। क्योंकि एक कान को छेड़ने के बाद बच्चे को दर्द होना शुरू हो जाता है। दूसरे कान को छेड़ने के लिए आप बच्चे को पहले संभाल ले उसे उसके साथ खेलने का प्रयास करें।

 उसका ध्यान बांटने का प्रयास करें यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको महसूस होगा कि आप सहजता से बच्चों के दूसरे कान को छिड़वा सकते हैं। यदि बच्चा परेशान करता रहेगा तब आप अपने बच्चों के कान की पियर्सिंग तो ऐसा हो सकता है कि बच्चों के कान कहीं गलत जगह पर छिड़ जाए।

क्या कान छिदवाने में बच्चों को दर्द होता है? 

बच्चों के कान छिदवाने पर (Ear piercing me pain)उसकी दर्द होता है या नहीं इस विषय में किसी भी प्रकार के प्रश्न की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आप किसी भी विधि से बच्चों के कान छिड़वा आएंगे तो उसे अवश्य ही दर्द होगा।

 यदि सी से आप अपने बच्चों के कानों की पियर्सिंग करते हैं तो शरीर में इंजेक्शन के समान दर्द होता है। और यदि आप एयर गन से बच्चों के कानों की पियर्सिंग करते हैं। तो शरीर में स्टेपलर लगाने जितना दर्द होता है आप कोई भी तरीका बना ली परंतु बच्चों के कान में दर्द होना तो लाजमी है।

कान छिदवाने के बाद बच्चों की प्रतिक्रिया क्या रहती है इसमें तो बड़ा संदेह रहता है। समानता कान छिदवाने के बाद बच्चे को अपने कान में चुभन और दर्द महसूस होता है। यह बिल्कुल सामान्य बात होती है।

 कान छुड़वाने के बाद आप अपने बच्चों के आंसुओं के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि दर्द होने के बाद बच्चा थोड़े बहुत आंसू तो बहता हैं। और उसके कानों में चुभन होती है इसलिए लगातार आपको अपने बच्चों के कानों के घाव ठीक होने तक उनका विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

बच्चों की कानों की पर सिंह करने के बाद थोड़े समय तक बच्चों के कानों में घाव रहता है। और उसे ठीक होने में थोड़ा समय लगता हैं। इसलिए बच्चों के कानों को संक्रमण से बचने के लिए और उसके कानों के घाव को ठीक करने के लिए आपको लगातार एंटीसेप्टिक दावों का इस्तेमाल करना चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. इयर पियर्सिंग के लिए कौन सी उम्र सबसे सही रहती है?

बच्चों की इयर पियर्सिंग तब करनी चाहिए जब वह समझदार हो जाए। और उसे समझ आ जाने लगे कि वह पियर्सिंग करना चाहता है या नहीं।

Q. इयर पियर्सिंग के क्या लाभ होते हैं? 

पारंपरिक तौर पर ऐसा माना जाता है कि पियर्सिंग से बच्चे को नजर नहीं लगती। और उसके वैज्ञानिक प्रमाण भी प्राप्त होते हैं।

Q. इयर पियर्सिंग करने के कौन-कौन से तरीके हैं? 

पियर्सिंग सी के द्वारा या फिर एयर गन के द्वारा कराई जाती है दोनों ही विधि में पियर्सिंग बहुत आराम से हो जाती है।

Q. इयर पियर्सिंग करने से पहले किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए? 

इयर पियर्सिंग करने से पहले हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इस्तेमाल किए गए उपकरण पूरी तरीके से वे संक्रमित हो।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के कान छिदवाना (Babies ki ear piercing) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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