प्रीस्कूलर और टॉडलर को बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी | Babies ko body parts ki jankari

छोटे बच्चों को चीजों को समझने में थोड़ा सा समय लगता हैं। वह धीरे-धीरे अपनी शारीरिक क्रियो को करने के बाद चीजों को समझने लगते हैं। छोटे बच्चों को अपने शरीर के अंगों को भी समझने में समय लगता हैं। उन्हें धीरे-धीरे यह पता लगता है कि उनके हाथ और पैरों का क्या कार्य हैं। आप अपने बच्चों को उसकी बॉडी पार्ट्स के (Babies ko Body parts ki jankari) विषय में कैसे समझ सकते हैं इसके विषय में अक्सर आपको जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रीस्कूलर और टॉडलर को बॉडी पार्ट्स (Babies ko Body parts ki jankari) के विषय में जानकारी देने का प्रयास करेंगे यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

आप बच्चों को अपने शरीर के अंगों के विषय में कैसे बता सकते हैं

आप अपने बच्चों के शरीर (Babies ko Body parts ki jankari kaise den)के अंगों के बारे में कब उन्हें बता सकते हैं। इसकी कोई खास उम्र या सीमा नहीं होती हर बच्चे की अलग-अलग शारीरिक क्षमता होती हैं। कुछ बच्चे चीजों को जल्दी सीख जाते हैं। परंतु कुछ बच्चों को चीजों को सिखाने में समय लगता हैं।

प्रीस्कूलर और टॉडलर को बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी Babies ko body parts ki jankari

 यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा समझाने से चीजों को सीख रहा है तो आप अपने बच्चों को उसकी बॉडी पार्ट्स के बताएं विषय में बताना शुरू कर सकते हैं। कई बार शारीरिक संबंध गानों को सुनकर या कहानियों को सुनकर भी बच्चे अपने शरीर के अंगों के विषय में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं या वह अपने माता-पिता के इशारों को देखकर भी अपनी शारीरिक अंगों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं।

कई बार हम अपने बच्चों को ताली बजाने के लिए कहते हैं और ताली बजाकर उसे ईसारा भी देते हैं। इस प्रकार हम अपने बच्चों को यह बता सकते हैं कि उसके विभिन्न बॉडी पार्ट्स के क्या नाम है और उनका क्या-क्या कार्य है।

बच्चों को शरीर के अंगों के विषय में जानकारी देने के तरीके

बच्चों को शरीर के अंगों के (Babies ko Body parts ki jankari) विषय में जानकारी देने के कुछ उपाय नीचे बताए गए हैं।

1. जानवरों का संदर्भ ले :

हम अपने बच्चों को उनके अंगों के विषय में जानकारी जानवरों की मदद से भी दिला सकते हैं। आप धीरे-धीरे बच्चों को मार्केट ले जाने की शुरुआत करें। वहां पर लगने वाले पोस्टर्स को बच्चों को दिखाएं और उन्हें यह बताएं कि यह जानवरों के हाथ और पर हैं।

 यदि आप अपने बच्चों को जानवर की ऐसी तस्वीर दिखा रहे हैं जिसमें वह कुछ खा रहा है तो आप उसे यह बता सकते हैं। कि हम भी अपने मुंह से कुछ खाते हैं और अपनी जहीब से उसका स्वाद लेते हैं। यह जानवरों की पूछ है आप उन्हें यह समझाने का प्रयास करें कि जानवरों की पूछ क्यों होती हैं।

 और हमारी पूछ क्यों नहीं है और उन्हें यह स्पष्ट करें कि जानवरों के हाथ पैरों में और इंसानों के हाथ पैरों में क्या-क्या अंतर होता है और किस प्रकार हाथ पैरों का उपयोग वह कर सकते हैं। इससे बच्चों को अपने अंगों के विषय में जानकारी अच्छी प्राप्त होगी।

2. चीजों का उपयोग करें :

आप विभिन्न प्रकार की टॉयज और स्टिकर का उपयोग करके भी अपने बच्चों को अंगों के विषय में जानकारी दे सकते हैं। आप अपनी नाक पर स्टिकर लगाकर बच्चों को नाक पर से स्टीकर हटाने के लिए कहें। तब बच्चों को पता चल जाएगा कि इसे ना कहा जाता हैं।

 इसके अलावा विभिन्न प्रकार के टॉयज से खेलने के बाद उसे उसके हाथ या पैर से करने के लिए कहे। यदि टॉयज के रूप में आप फुटबॉल का उपयोग करते हैं तो आप अपने बच्चों को बार-बार यह कहने के लिए प्रोत्साहित करें कि आप पैरों से उसे फुटबॉल को मारे और उसे इशारा करें कि पर किस तरफ है और कैसे फुटबॉल को मारा जा सकता हैं। 

इससे बच्चों को यह जानकारी मिलेगी कि वह अपने पैर से क्या-क्या चीज कर सकता है। इससे बच्चों को धीरे-धीरे हाथ पैरों के विषय में जानकारी होगी।

3. विभिन्न कार्यों के विषय में बताएं :

बच्चों को विभिन्न प्रकार के कार्यों के विषय में जानकारी देनी चाहिए। उसे ऐसे खेल खिलौने चाहिए जिससे धीरे-धीरे करके उसे अपने बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी प्राप्त हो। उदाहरण के लिए बच्चों को आंख में मिचोली का खेल खिलाएं और उससे तेज से कहें की अपनी आंखें बंद करो और आप अपनी आंखों को बंद करके दिखाएं।

 उसके बाद उनसे कहे कि अपनी आंखों को खोलो ऐसा करने से बच्चों को अपनी आंखों के विषय में अच्छी जानकारी प्राप्त होगी। आप अपने बच्चों को यह भी समझ सकते हैं कि वह अपने हाथ से किन-किन चीजों को उठा सकता है या क्या-क्या कार्य कर सकता हैं।

 बच्चा अपनी दैनिक जीवन में अपने माता-पिता को जिनकाओं को करते देखा हैं। इससे भी उसे यह जानकारी प्राप्त हो जाती है कि वह अपने हाथों या पैरों से कैसे अन्य कार्य को कर सकता है।बच्चों की नाक की जानकारी उसे आप किसी प्रकार की गंध को सुंघाने से कर सकते हैं।

4. दृश्य की सहायता ले :

विभिन्न प्रकार के दृश्य की सहायता लेकर आप अपने बच्चे को बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी दे सकते हैं। किसी प्रकार का पोस्ट या कार्टून की मदद लेकर आप बच्चे को विभिन्न बॉडी पार्ट्स के विषय में बताएं।

 उसे यह बताएं कि क्या-क्या बॉडी पार्ट्स किन-किन कार्यों को करने के लिए काम आते हैं। दृश्य बच्चों के दिमाग में सब जाते हैं और वह ज्यादा दिन तक उन्हें नहीं बोलते इसलिए दृश्य बच्चों को किसी भी प्रकार की चीज समझने का सबसे बेहतर उपाय है।

 बच्चों को बॉडी पार्ट्स के विषय में बताने के बाद आप एक बड़ा सा स्केच पेपर पर बनाएं और उसे पर बच्चों के नाक कान आदि चीजों को बनाने के लिए कहे है।

5. सवाल जवाब करें :

बच्चों को बार-बार उसके दिमाग में रिमाइंड करने की आवश्यकता होती है। यदि एक बार में ही आप बच्चे को समझ कर छोड़ देंगे तो उसे चीजों को याद करने में थोड़ी सी समस्या हो सकती है। इसलिए किसी भी चीज का अभ्यास बार-बार करना चाहिए और अभ्यास आप तभी बच्चों को करवा सकते हैं।

 जब बार-बार आप उसे सवाल-जवाब करेंगे आपने कुछ दिनों पहले यदि बच्चे को बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी दी है तो दोबारा उस सवाल जवाब करके उन पार्ट्स के विषय में उससे पूछ सकते हैं। जिससे उसके दिमाग पर भी जोड़ पड़ेगा और वह अपनी चीजों को दोबारा सफलतापूर्वक याद कर पाएगा। 

बच्चों को समझने के लिए आप सरल बातों का भी उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि आप अपने बच्चों को नाक पहुंचने के लिए कहे और उसे सारे करके बताएं कि आप कैसे अपनी नाक पोंछ सकते हैं। ऐसी विभिन्न प्रकार की क्रियाएं करके बच्चा बॉडी पार्ट्स के विषय में तेजी से सीखता है।

6. संगीत की मदद :

 यदि ऊपर बताए गए सारे टिप्स के बाद भी आपका बच्चा अपनी बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाया है तो आप इस तरीके के माध्यम से अपने बच्चों को उसकी बॉडी पार्ट्स के विषय में जानकारी दे सकते हैं। शायद ही कोई ऐसा बच्चा हो जैसे म्यूजिक और डांस पसंद ना हो।

 यदि आपके बच्चे को कविताएं राइम्स या गाने बहुत ज्यादा पसंद है तो आप इसी के मदद लेकर के कुछ संगीत के विषय में जानकारी दिला सकते हैं। इसके लिए बच्चों को सुनाई जाने वाली कविता को राइम्स में बदल दें। कविता के बोल को आप बॉडी पार्ट्स में चेंज कर सकते हैं और उसके बाद बच्चे को म्यूजिक के साथ सुना सकते हैं।

 इससे बच्चों को सुनने में भी इंटरेस्ट होगा और धीरे-धीरे उसे उसके विषय में जानकारी भी प्राप्त होगी राइम्स को सुनने के साथ-साथ आप बॉडी पार्ट्स के विषय में इशारा भी कर सकते हैं। इससे बच्चों को धीरे-धीरे अपने बॉडी पार्ट्स के विषय में समझ विकसित हो जाएगी।

बच्चों को निजी अंगों के बारे में कैसे सिखाएं? 

बच्चों को हम उसके निजी (Babies ko private body parts ki jankari)अंगों के बारे में कैसे बता सकते हैं। इसके विषय में काफी चर्चा का विषय है क्योंकि प्री स्कूल या टॉडलर आगे में बच्चों के अंगों को बताना बिल्कुल ही सीमित किया गया हैं।

 प्रीस्कूल आगे में उसके प्राइवेट पार्ट्स को बताना पसंद नहीं किया जाता और शायद ही घर पर कोई ऐसा पैरेंट हो जो बच्चे के निजी अंगों को उसे साफ-साफ स्पष्ट तरीके से बताएं। इसके अलावा यदि बच्चे को टॉयलेट या पॉटी आती है तो हम बच्चे को उसके निकनेम के द्वारा समझाने के प्रयास करते हैं। परंतु माता-पिता स्पष्ट रूप से उसे उसके निजी अंगों के विषय में नहीं बताते।

बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी

कितनी छोटी सी उम्र में बच्चों को यौन शिक्षा देना ठीक नहीं होता। साइंस में भी ऐसा नहीं बताया गया है कि बच्चों को इतनी छोटी उम्र में यौन शिक्षा दे। बच्चा जैसे-जैसे समझने की शक्ति विकसित करता है धीरे-धीरे उसे एनवायरमेंट से ही अपने प्राइवेट अंगों के विषय में सारी जानकारी प्राप्त होने लगती हैं।

 जब वह साफ-साफ बोलना शुरू कर देता है तब हम उसके यौन अंगों के विषय में जानकारी उसे ठीक से दे सकते हैं। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता हैं। अपने आप ही उसे वातावरण से महिला और पुरुष के बीच में अंतर स्पष्ट करना आ जाता हैं। उसे समझ आ जाता है कि महिला पुरुष या ट्रांसजेंडर आदि लोगों में क्या डिफरेंस होता हैं।

 माता-पिता भी यदि उन सामान्य शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं जो दैनिक बाल जाल में प्रयोग किया जाता है तो बच्चा आसानी से उन चीजों को सीख पाता हैं। हमें शुरुआत में ही बच्चे को सारी जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं उन्हें इस प्रकार की जानकारी देने में हमें शंका होती है।

कुछ ही पेरेंट्स ऐसे हैं जो अपने बच्चों को उनके प्राइवेट पार्ट्स के विषय में साफ-साफ बताते हो वरना हर पैरेंट को उनके बच्चे को प्राइवेट पार्ट्स के विषय में बताने में बहुत ज्यादा संख्या होती हैं। परंतु हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि यदि हम उसकी शारीरिक अंगों के विषय में पहले ही और पूरी तरीके से उसे जानकारी दे देंगे तो आगे चलकर उसे किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।

 उम्र के साथ जरूरी जानकारी बच्चों को उसके मां-बाप को देना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब बच्चा अपने शरीर में नई-नई प्रकार की चेंज को महसूस करता है और उसे वह चेंज समझ में नहीं आते तो उसे बुरा फील होने लगता है या उसे ऐसा फील होने लगता है कि उसकी बॉडी नार्मल नहीं है। यदि पहले से ही सारी जानकारी आप अपने बच्चों को देंगे तो आपके बच्चे का जीवन बहुत ज्यादा सहज हो जाएगा।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों को उनके बॉडी पार्ट्स के विषय में बताना क्यों महत्वपूर्ण है? 

यदि हम अपने बच्चों को पहले ही उसकी बॉडी पार्ट्स के विषय में बता देंगे। तो उसे सारी जानकारी प्राप्त हो जाएगी और बच्चे को अपनी बॉडी को समझने में सहजता होगी।

Q. किस प्रकार से बच्चे को बॉडी के विषय में बता सकते हैं? 

अब बच्चे को हम जानवरों के संदर्भ में टॉयज के संदर्भ में या अपनी शारीरिक क्रिया के विषय में जानकारी दे सकते हैं।

Q. बच्चों को समझने का सबसे सही उपाय कौन सा होता है?

हम किसी प्रकार के दृश्य को देखने का बच्चों को समझने का प्रयास करते हैं। दृश्य का इंपैक्ट बच्चे पर सबसे ज्यादा होता है.

Q. हम बच्चे को उसके प्राइवेट पार्ट्स के विषय में कैसे बता सकते हैं? 

बच्चा अपने आसपास के वातावरण से या यौन शिक्षा के द्वारा बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स के विषय में जानकारी दे सकते हैं।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको प्रीस्कूलर और टॉडलर को बॉडी पार्ट्स (Babies ko Body parts ki jankari) की जानकारी देना के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया हैं।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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