नवजात शिशु कैसा दिखता है? | Newborn kaisa dikhta hai?

अधिकतर माता-पिता यह सोचते हैं कि उनका बच्चा जन्म होने के पश्चात बहुत ही सुंदर दिखेगा वह बिल्कुल गोल मटोल और गुड्डे की तरह होगा परंतु ऐसा नहीं होता। बच्चे का शरीर बिल्कुल बूढ़े बेजान त्वचा की तरह दिखाई देता हैं। और बच्चा ज्यादा सुंदर नहीं होता। परंतु कुछ समय के पश्चात बच्चों की त्वचा पूरी तरीके से बदलने लगती है और वह कुछ ही समय में सुंदर दिखाई देने (Newborn ka sarir) लगता है। इस प्रकार बच्चों की त्वचा समय के साथ बदलती रहती है इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह बताएंगे कि नवजात शिशु कैसा दिखता है (Newborn kaisa dikhta hai?) यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पड़े।

जन्म के बाद शिशु कैसा दिखता है? 

नीचे हम आपको इस विषय में बताएंगे की  (Newborn birth ke baad kaisa dikhta hai?)जन्म के बाद शिशु कैसा दिखता है।  जिसके बाद आप यह पता लगा पाएंगे कि शिशु के अंदर ऐसे दिखने की क्या-क्या कारण हो सकते हैं।

1.आपके शिशु का सिर:

जन्म के समय शिशु का सिर्फ शरीर के  (Newborn ka sir)अनुपात में काफी बड़ा होता है। बच्चे की गर्दन बिल्कुल नहीं होती और गर्दन की मांसपेशियां भी बहुत कमजोर होती हैं । जिसके कारण वह बच्चों के सर को सपोर्ट नहीं दे पाते। नवजात बच्चे को गोद में उठाने से पहले उसके सर को सपोर्ट देना बहुत आवश्यक होता है।

 क्योंकि उसकी गर्दन उसके बड़े से सर को कंट्रोल नहीं कर पाए। बच्चों का सर उसकी बॉडी के अनुपात हैं बड़ा होता है और धीरे-धीरे करके यह लेवल में आता है।

समानता नवजात बच्चे की खोपड़ी इस प्रकार से बनी होती है कि उसकी सर से की हड्डियां एक दूसरे पर चढ़ी होती है। इस प्रकार के सिर के होने का कारण होता है कि प्रसव के दौरान बच्चों को डिलीवरी में आसानी होती हैं।

 और वह प्रसव नलिका के द्वारा आराम से बाहर आ सकता है जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे उसके शरीर और उसका सर गोलाकार में आने लगता है।

कई बार नवजात बच्चे के सिर के पास एक बहुत नरम भाग पाया जाता है इस नर्म भाग को देखकर चिंतित नहीं होना चाहिए। अधिकतर बच्चों में इस तरह की नर्म भाग पाए जाते हैं जब बच्चा 18 महीने का हो जाता है तब हम यह नर्म भाग आराम से ठोस भाग में परिवर्तित हो जाते हैं।

 परंतु माता-पिता को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि जब भी वह शिशु की मालिश कर रहे हैं या उसके सर के पास तकिया लगा रहे हैं। तो उसे भाग की मालिश नहीं करनी चाहिए ना तो उसे भाग को तकिए के द्वारा दबाना चाहिए। यह भाग अपने आप ही धीरे-धीरे करके ठीक हो जाता है इसलिए इस पर ज्यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए।

यदि जन्म लिया गया बच्चा लड़का होता है तो उसके जननांग में कुछ सूजन प्रतीत हो सकती है और यदि जन्म लिया गया बच्चा लड़की होती है तो उसके जननांग में खून का हिसाब भी हो सकता है। इन बातों को देखकर घबराहट नहीं होनी चाहिए यह सब प्रसव के दौरान पीड़ा के कारण होते हैं। 

प्रसव से पहले माता के द्वारा रिलीज किए गए हार्मोन और रिएक्शंस की वजह से इस तरीके के परिवर्तन बच्चों के शरीर में देखने को मिलते हैं। जन्म होने के पश्चात धीरे-धीरे करके यह समस्या अपने आप ही ठीक होने लगती है।

2.शिशु का चेहरा और शरीर :

ऐसा हमने बहुत बार देखा है जब जन्म होने  (Newborn ka face and sarir)के पश्चात हमें शिशु का चेहरा और शरीर सजा हुआ लगता है। यह इस कारण होता है कि जब प्रसव के दौरान बच्चों के शरीर पर दबाव पड़ता है। तब उसको इन सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उसे बहुत कठिनाई से गुजरना पड़ता है।

 उसका पूरा शरीर पूरी तरीके से प्रेशर झेलता है जिसके कारण उसका चेहरा और शरीर सूज जाता है। उसका चेहरा और शरीर कई बार जन्म लेने के पश्चात पूरी तरीके से लाल दिखाई देता है।

 उसके होने का भी यही कारण है की बच्चों के शरीर पर प्रेशर लगने के दौरान उसके शरीर का खून उसके चेहरे पर साफ दिखाई देने लगता है।

चाहे आपका बच्चा लड़का हो या लड़की परंतु कई बार आपको यह देखने को मिलता है कि बच्चों के स्तन कुछ बड़े हुए प्रतीत होते हैं या कभी-कभी तो उनके स्तन से सफेद रंग की लिक्विड का भी स्राव होता है। इसमें बिल्कुल समस्या या चिंतित होने की आवश्यकता नहीं होती।

 यह बिल्कुल सामान्य बात होती है समय के साथ-साथ यह अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। कभी भी बच्चों के स्तन को दबाकर नहीं देखना चाहिए यह बच्चों में इंफेक्शन पैदा कर सकता है।

अधिकांश बच्चों की टांगे धनुष के आकार की होती हैं। बच्चों की टांगे धनुष के आकार की होने का कारण होता है कि वह मां के गर्भ के अंदर अपने आप को फिट करने के लिए अपनी टांगों को टेढ़ा कर लेते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बैठना शुरु करता है वैसे धीरे-धीरे उसकी टांगें सही होने लगती है और जब बच्चा चलना प्रारंभ कर देता है।

 यानी की 2 साल तक बच्चे की टांगे बिल्कुल सीधी हो जाते हैं। यदि बच्चों की टांगों के बीच में ज्यादा गैप है और 2 साल का होने के बाद भी बच्चे की टांगे पूरी तरीके से स्वस्थ नहीं हो पा रहे हैं। तो डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चों की टांगों को ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।

जन्म के बाद शिशु की रंगत कैसे दिखाई देगी? 

हर बच्चा अपने आप में अलग इंडिविजुअल  (Newborn ke body ka color)रखता हैं। हर बच्चा अलग होता है और जन्म के बाद भी उसके फीचर उसके हवा ऑन उसका आकार और देखने का नजरिया भी अलग-अलग होता है। 

कुछ बच्चे बिल्कुल बूढ़े से दिखाई देते हैं क्योंकि उनकी त्वचा बेजान दिखाई देती है। परंतु कुछ बच्चे बहुत ही अधिक सुंदर और साफ दिखाई देते हैं। जन्म के कुछ घंटे के बाद कुछ बच्चों के होंठ बिल्कुल गुलाबी रहते हैं। बच्चों का गुलाबी होंठ होना इस बात का संकेत होता है कि बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है।

 शरीर के कुछ भागों का जन्म के पश्चात बच्चों के शरीर पर गुलाबी निशान देखने को मिल सकते हैं। बच्चों के शरीर पर गुलाबी निशान इसलिए दिखाई देते हैं। क्योंकि बच्चों के शरीर में रक्त का परिसंचरण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। जब रक्त का परिसंचरण शरीर में ठीक से होने लगता है तब बच्चे के शरीर से नीले निशान भी हटने शुरू हो जाते हैं।

ऐसा बहुत बार होता है कि शिशु के जन्म के दो हफ्ते के पश्चात शिशु के शरीर का रंग गहरा होने लगता है तो यह बिल्कुल सामान्य बात होती है। समय के साथ शिशु के शरीर का रंग भी अपने सामान्य रूप में आने लगता हैं। और जैसा शिशु का मुख्य रंग है वैसा दिखाई देने लगता है।

शिशु की त्वचा कैसी होती है? 

हर बच्चे में अलग-अलग प्रकार की ध्वजा  (Newborn baby ki skin)पाई जाती है कुछ बच्चों की त्वचा बहुत ही साफ सूत्री और हेल्दी दिखाई देती है और कुछ बच्चों की त्वचा बिल्कुल बेजान दिखाई देती है। बच्चों की त्वचा कैसी हो यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनका जन्म समय से हुआ है या नहीं हुआ है।

 यदि बच्चे का जन्म समय से पहले हो गया है तो उनके शरीर पर पतली और पारदर्शी त्वचा दिखाई देती है। जिसे हम गर्भ लोमड़ी का कहते हैं। गर्भ लोब में बच्चों की त्वचा बिल्कुल पतली पारदर्शी दिखाई देती है और इसमें किसी भी प्रकार की वजन नहीं पाए जाते।

यदि शिशु के डिलीवरी में देरी की जाती है तो बच्चे के शरीर पर बर्निक्स के कुछ निशान रह जाते हैं। और बच्चे के शरीर पर झुर्रियां भी दिखाई देने लगती हैं। बच्चे की त्वचा बिल्कुल बेजान दिखाई देने लगती हैं। परंतु समय के साथ-साथ त्वचा भी ठीक होने लगती है।

असामान्य बहस के रंग के स्थाई धब्बों से लेकर कुछ नील डब्बो तक बच्चों के शरीर पर बहुत सारे निशान हो सकते हैं। बच्चों के शरीर पर कील मुंहासे के भी निशान देखने को मिलते हैं।

 इसके अलावा उनके शरीर पर सफेद रंग की फुंसियां भी देखने को मिलती है जिसके कारण भी बच्चों को परेशानी हो सकती हैं। परंतु यह सारे ही दाग धब्बे जन्म के कुछ समय के पश्चात अपने आप ही खत्म हो जाते हैं।

क्या मेरे नवजात शिशु के सिर पर बाल होंगे? 

बच्चों के सिर पर बाल होंगे या नहीं यह पूरी  (Newborn me hairs ki presence)तरीके से इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चों के अंदर वंशानुगत किस प्रकार के जिन आए हैं। यदि वंशानुगत रूप से बच्चों के शरीर में बालों वाले जिन आए हैं।

 तो बच्चे के सर पर बाल दिखाई देंगे परंतु यदि उसके अंदर कम बालों वाले जीव है तो वह बिना बाल का भी हो सकता है।समानता हमने देखा है कि अधिकतर बच्चों के सिर पर बाल होते हैं। यह बोल असामान्य रूप से उपलब्ध होते हैं।

 जन्म लेने के 6 महीने के बाद धीरे-धीरे करके यह सारे बाल झड़ जाते हैं और नए बाल होते हैं। जो नए बाल होते हैं वह गर्व के समय उगे हुए बालों से बिल्कुल अलग होते हैं। बच्चों के सिर पर कितने बाल आएंगे और वह कितनी मात्रा में होंगे। यह पूरी तरीके से इस बात पर निर्भर करेगा कि वंशानुगत रूप से बच्चों के अंदर कैसे जीना है।

बहुत सारे बच्चों के चेहरे कंधे पीठ शरीर आदि चीजों पर बाल होते हैं। इस बात पर चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती समानता बहुत सारे बच्चों में यह बोल पाए जाते हैं। परंतु कुछ घरेलू उपचार के माध्यम से इन्हें बिल्कुल ठीक कर लिया जाता है।

शिशु के बालों को हटाने के लिए घर पर आते से बनी हुई लोहे का इस्तेमाल किया जाता हैं। आटे से बनी हुई लॉय को शरीर के बालों वाले स्थान पर फिर आया जाता हैं। 

जिससे बच्चों के शरीर के बाल कम हो जाए और वह साफ सुथरा दिखाई देने लगे। परंतु आटे की लोहे से कुछ बच्चों की त्वचा ओवर रिएक्ट कर सकती है और बच्चों को नुकसान भी पहुंच सकता है।

नवजात बच्चे की आंखें कैसी होती है? 

भारतीयों में समानता आंखों का कलर एक  (Newborn  ki eyes kaisi dikhti hai?)जैसा रहता है। भारतीय में कुछ वर्णन ऐसे पाए जाते हैं। जो सामान्यत सभी में एक जैसे होते हैं। जैसे कि सभी भारतीयों की आंखें शिशु की आंखें गहरे भूरे रंग की दिखाई देती हैं।

 जो कि सामान्यत सभी भारतीयों की आंखों का रंग होता है। परंतु यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि बच्चों के जिन में किस तरह की आंखों का कलर उपस्थित हैं। यदि बच्चे की आंखों का रंग हल्का है तो वह उसकी जीव में उपस्थित होता है।

 और बच्चे की आंखों का कलर हल्का भी हो सकता है जन्म लेने के तुरंत पश्चात ही आप बच्चे की आंखों का कलर पहचान सकते हैं। क्योंकि बच्चों की आंखों का कलर नहीं बदलता है।

आंखों का रंग देखने के अलावा आप यह पता लगा सकते हैं कि शिशु की आंखें देगी तो नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि शिशु की आंखें तेरी मेरी होने के कारण वह ठीक प्रकार से देखा नहीं पता।

 सामान्यत इस तरीके की दिक्कत कुछ समय के पश्चात ठीक हो जाती है परंतु अगर यह समस्या ठीक नहीं होती तो हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. जन्म के समय बच्चे का शरीर कैसा दिखाई देता है? 

जन्म के समय बच्चे का शरीर बिल्कुल बेजान दिखाई देता है वह बिल्कुल बूढ़ा प्रतीत होता है।

Q. क्या जन्म के समय बच्चों के शरीर पर बाल पाए जाते हैं? 

कई बच्चों के शरीर पर जन्म के समय बोल पाए जाते हैं परंतु यह पूरी तरीके से वंशानुगत कम होता है।

Q. जन्म के समय समानता बच्चों की आंखें कैसे दिखाई देती हैं? 

जन्म के समय सामान्य बच्चों की आंखें गाड़ी भूरी दिखाई देती हैं।

Q. जन्म के दो-तीन हफ्तों के पश्चात बच्चों के शरीर में क्या परिवर्तन आते हैं? 

जन्म के दो-तीन हफ्तों के बाद बच्चा चमकदार दिखाई पड़ने लगता है और वह अपने सही रंग रूप में आ जाता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको नवजात शिशु कैसा दिखता है?  (Newborn kaisa dikhta hai?)के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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