मानसून के दौरान शिशु की देखभाल कैसे करें? (Monsoon me shishu ki dekhbhal) 

बच्चे अपने शारीरिक एवं बाहरी रूप से बहुत ही कमजोर होते हैं। उनकी विशेष देखभाल करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है तभी उन्हें हम बिना बीमारियों के पाल पहुंच सकते हैं। और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर शरीर दे सकते हैं। भारत में विभिन्न विभिन्न मौसम है। मौसम बदलने के दौरान बहुत सारी बीमारियों से लोग ग्रसित होने लगते हैं। इसमें एक मानसून का मौसम भी आता है मानसून के दौरान शिशु की देखभाल (Monsoon me baby ki dekhbhal kaise kare)को किस प्रकार करनी चाहिए इसके विषय में अक्सर हमें जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मानसून के दौरान शिशु की देखभाल (Monsoon me baby ki dekhbhal)के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तुम्हारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

मानसून सीजन क्या है? 

भारत में विभिन्न मौसम (Monsoon kya है) पाए जाते हैं हर मौसम का अपना एक महत्व होता है ऐसा ही एक मौसम मानसून होता है। मानसून के आने पर भारत में भारी बारिश होती है। मानसून के द्वारा ही भारत में बारिश के आसार उत्पन्न होते हैं।

मानसून के दौरान शिशु की देखभाल कैसे करें (Monsoon me shishu ki dekhbhal) 

 और इसमें बहुत सारी जर्म्स एक्टिवेट हो जाते हैं जिसके कारण इस मौसम में बीमारियां ज्यादा एक्टिव होती हैं। मानसून का मौसम भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इसी मौसम में भारत में खेत खलियानों को पानी प्राप्त होता है।

मानसून के दौरान शिशु को आराम दे कैसे रख सकते हैं? 

मानसून के मौसम में एक (Monsoon me baby ko aaram)दिन में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं। बादल और गर्मी के कारण बहुत सारे बदलाव जैसे कि दिन की शुरुआत में उमस और गर्मी देखने को मिल सकती है और दोपहर या शाम होते-होते बारिश की शुरुआत हो सकती है। जिस कारण भी बच्चे को बदलते मौसमों से सेफ रखना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है।

बाहर के मौसम के अनुकूल चलने पर यदि बाहर के मौसम में गर्मी और आद्रता ज्यादा है। और आप अपने कमरे में ऐसी या कलर का इस्तेमाल कर रहे हैं। एवं कुछ ही समय बाद मौसम के ठंडा होने के बाद आप अपने कमरे के टेंपरेचर को नॉर्मल कर दे रहे हैं। तो इस अचानक के बदलाव के कारण बच्चों के शरीर पर इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। और बच्चा आशाए महसूस कर सकता है। या उसके शरीर में अचानक से बदलाव होने के कारण वह बीमार पड़ जाता है ।

तापमान मैं बदलाव को देखते हुए यह जरूरी हैं। कि आप अपने बच्चों को आरामदायक और कम कपड़े पहना है मौसम के हिसाब से आप अपने बच्चों के शरीर के कपड़ों को कम या ज्यादा कर सकते हैं। परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। की बार-बार मौसम के बदलने की प्रक्रिया को बच्चों से दूर रखना चाहिए उसे एक नार्मल टेंपरेचर में रहने देने का प्रयास करना चाहिए।

यदि आप अपने बच्चों को कमरे से बाहर ले जा रहे हैं तो उसके 10 मिनट पहले ही ऐसी या कलर को बंद कर देना चाहिए। शिशु को ठीक ढंग से सुलाना चाहिए उसे बिल्कुल स्थिर ढंग से सुनना चाहिए। सोते समय बच्चों को पीठ के बाल सिलाए उसे आसपास आरामदायक रजाई कंबल या तकिया को नहीं रखना चाहिए। शिशु को अपने आप ही सोने की आदत डालने जाएंगे।

यदि आप अपने बच्चों को पालने या झूले में लिटा रहे हैं तो इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए कि शिशु को झूले के ऊंचे उठे हुए हिस्सों से हवा की आवाजई अवरोधित ना हो। क्योंकि हवा की आवा जई बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है और उसका रेगुलर बना रहना जरूरी होता हैं। इसलिए बच्चों के पालने को बिल्कुल जालीदार रखना चाहिए जिससे बच्चों को प्रॉपर हवा मिल सके।

गीले और उमस भरे मौसम में बच्चों को किस प्रकार के कपड़े पहनना चाहिए? 

बारिश के दिनों में कभी-कभी (Monsoon me baby ko kaise kapde pehnaye)सामान्य से ज्यादा गर्मी और असहिस्ता महसूस होती है। ऐसे मौसम में बच्चों को बिल्कुल हल्की और सूती वस्त्र पहनना चाहिए बच्चों को आर्टिफिशियल फैब्रिक से बना कपड़ा नहीं पहनना चाहिए।

 यह बच्चे को पसीना सूखने से रोकते हैं और बच्चे को अस हेज महसूस हो सकती है। प्योर कॉटन से बना हुआ कपड़ा पहनना चाहिए यह बच्चे को बहुत आराम प्रदान करता है।

यदि आप अपने बच्चों को ऐसी वाले कमरे में रख रहे हैं तो एक चादर या कंबल को हमेशा बाहर रखना चाहिए। जिससे आप आप अपने बच्चों को इसी वाले कमरे में उड़ा सके।

 यदि आप अपने बच्चों को ऐसे ही के कमरे से बाहर ला रहे हैं तो हमेशा इस बात का प्रयास करें कि कंबल को हमें बच्चों के ऊपर ना रखें। और उसे खुला खुला महसूस होने दे आरामदायक हवा को महसूस करने दे।

बच्चों को मच्छरों से बचने के लिए सबसे अच्छे तरीका है कि आप उसको हल्के रंग के पूरी बाजू के कपड़े पहना है। यदि आप बच्चे को पूरी बाजू के कपड़े पहनते हैं तो मच्छरों के काटने के आसार बहुत ज्यादा काम हो जाते हैं। इसके अलावा मच्छर गहरे रंग से ज्यादा अट्रैक्ट होते हैं।

 इसलिए हमेशा आप अपने बच्चों को हल्के रंग के कपड़े पहना है बच्चों को मच्छरों से बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि इसका अधिकांश शरीर कपड़ों से ढाका रहे।

मानसून के दिनों में बच्चों को हमेशा ढीले डाले और हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए। यदि आप अपने बच्चों को टाइट फिटिंग वाले कपड़े पहन रहे हैं तो बच्चे  को टाइट फिटेड कपड़ों में से मच्छर काट सकते हैं।

 यदि आप ढीले डाले कपड़े बच्चों को पहनाएंगे तो उन्हें मच्छर काट भी नहीं पाएंगे और बच्चे को भी बहुत आरामदायक और ठंड महसूस होगा क्योंकि उसके शरीर में ढीले डाले कपड़ों में हवा लगती रहेगी और उसे गर्मी नहीं सताएगी।

जब भी आप अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदने जाएं तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि गर्मियों के दिनों के मुकाबले बारिश के दिनों में कपड़े बहुत ज्यादा दिनों में सकते हैं इसलिए इस बात को ध्यान में रखकर ही कपड़ों को खरीदना चाहिए की आपको एक से ज्यादा कपड़ों की आवश्यकता हो सकती है।

बारिश के मौसम में हमें बच्चों को कितने बार नहलाना चाहिए? 

बारिश के मौसम में आप (Monsoon me baby ki bathing)अपने बच्चों को कितनी बार नहला सकते हैं। यह बात आप पर पूरी तरह निर्भर करती है। यदि आपका बच्चा नहाने में आनंदित महसूस कर रहा है और आप भी उसे नहलाने में इंटरेस्टेड है तो आप अपने बच्चों को रोजाना नहीं ला सकती हैं। यदि आप अपने बच्चों की मालिश करती हैं तो तेल के अवशेषों को साफ करने के लिए उसे रोज नहलाना जरूरी हो जाता है।

कुछ माय गर्मी के मौसम में अपने बच्चों को दो बार नहलाती हैं दो बार नहलाना गर्मी के मौसम में एक ठंडक का बेहतर उपाय हो सकता हैं। परंतु यदि एक बार आप अपने बच्चों को नहलाएं और एक बार उसे स्पंज बात कारण तो यह बेहतर होगा क्योंकि बार-बार अपने बच्चों को नींद आने से उसे ठंडा गरम महसूस होगा। और उसका शरीर बीमार पड़ सकता है इसलिए बच्चों को एक बार ही दिन में नहलाना चाहिए।

आप जब भी अपने बच्चों को नहलाएं तो कभी भी बहुत ज्यादा ठंडा पानी का इस्तेमाल न करेंकरें। मौसम की बहुत ज्यादा गर्मी और पानी की ठंडक की वजह से बच्चा बीमार पड़ सकता है।

 इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पानी का टेंपरेचर 38 डिग्री सेल्सियस से 39 डिग्री सेल्सियस हो जो बच्चे को नहलाने का एक सही टेंपरेचर होता है और बच्चा ऐसे पानी से नहाने से बीमार भी नहीं पड़ता।

क्या मानसून के दिनों में बच्चों के शरीर की तेल मालिश कर सकते हैं? 

शिशु के शरीर पर तेल की (Monsoon me baby ke body massage)मालिश करना बहुत ही ज्यादा अच्छा विकल्प होता है। उसके शरीर को स्वस्थ रखने का शिशु के शरीर पर तेल का इस्तेमाल करना किसी भी प्रकार के हानि बच्चों को नहीं पहुंचता। परंतु यदि शिशु की स्किन सेंसिटिव है तो हमें सेंसिटिव त्वचा के आधार पर ही तेल का चयन करना चाहिए।

यदि आप रोजाना अपने बच्चों की तेल मालिश कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप अपने बच्चों की शरीर पर लगे तेल को रोजाना नहलाने के माध्यम से उसे साफ कर सकें। क्योंकि तेल शरीर के छात्रों को बंद कर लेता है। और जब बच्चे को गर्मी के कारण पसीना आता है।

 तो उसका पसीना निकलने में दिक्कत होती है और उसे कमोरियों का सामना करना पड़ सकता है। जिससे बच्चों को दिक्कत हो सकती है इसलिए तेल की मालिश करवाने के बाद आप उसे रोजाना नहलाये।

यदि आपके शिशु की त्वचा रूखी है। जो कि गर्मियों के मौसम में बहुत कम ही देखने को मिलती है। तो आप अपने बच्चों के शरीर पर मॉइस्चराइजर क्रीम लगा सकते हैं जिससे उसकी त्वचा को नज्मेंट प्रदान हो सके।

क्या टेलकम पाउडर का इस्तेमाल करने से शिशु के शरीर पर पसीना आने से रोका जा सकता है? 

नहीं टेलकम पाउडर शरीर पर (Monsoon me baby ki talcum powder ka use) पसीना आने से नहीं रुकता यदि आप गली त्वचावार भी टेलकम पाउडर लगा देते हैं। तो यह टेलकम पाउडर गीलेपन के साथ मिक्स हो जाता है। और शरीर पर एक परत नुमा बना लेता है जो शरीर के छात्रों को बंद कर देता है यदि आपको उसके बाद पसीना आता है तो आपको असहिस्ता महसूस होने लगती है।

टेलकम पाउडर का इस्तेमाल करते समय बहुत ज्यादा एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है। यदि टेलकम पाउडर छिड़कते समय वह सांस के माध्यम से आपके फेफड़ों में चला जाता है।

 तो यह आपके फेफड़ों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए बहुत ज्यादा सतर्कता के साथ आपको वेलकम पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।

बच्चों को गर्मी में आरामदायक रहने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि उसे उसके पसीने को नरम और मुलायम सूती तो लिए से आराम से पहुंचे। उसको हमेशा ढीले डाले कपड़े पहना है। और हल्के रंग के कपड़े पहना है जिससे उसे हवादार महसूस हो और गर्मी ज्यादा महसूस ना हो।

मानसून के दौरान मैं खाद्य सुरक्षा किस तरह सुनिश्चित कर सकती हूं? 

दूषित पानी या दूषित भोजन बीमारियों का सबसे मुख्य कारण होता है। इसलिए इस बात को सुनिश्चित कर देना चाहिए पीने के लिए सुरक्षित पानी का उपयोग करना चाहिए।

यदि आप अपने बच्चों को लगातार स्तनपान कराती आ रही हैं तो उसे सिर्फ पानी नहीं पिलाना चाहिए। जब भी आपको महसूस होगी मौसम ज्यादा गर्म और आदरा है और आपके बच्चे को प्यास लग रही हैं। तो आप बार-बार उसे स्तनपान करवा सकती हैं। परंतु उसे अन्य पानी नहीं देना चाहिए पानी उसके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता हैं।

 यदि आपका शिशु ज्यादा पानी पीने की इज्जत कर रहा है तो आप अपनी पास में रख ले शिशु को एक बार में एक ही भूत पानी देना चाहिए यह मानकर चलना चाहिए। कि यह पानी भी उसके लिए ज्यादा है।

साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना और भोजन मिट्टी हो जहरों में साफ सफाई को विशेष ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। यदि बच्चा सभी हेल्दी चीज खाता है तो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। क्योंकि बड़ों के मुकाबले बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम होती हैं।

 इसलिए वह बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाते हैं मानसून के दौरान बच्चों के पेट में इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। मानसून के मौसम में आपके बच्चे का ध्यान देना बहुत ज्यादा आवश्यक हैं। उसका अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए और उसे ऐसी बीमारियों से दूर रखना चाहिए।

यदि आप अपने घर में रखे हुए बासी भोजन को फ्रिज में रखकर संरक्षित करती हैं। तो बिजली कटौती का विशेष ध्यान रखना चाहिए यदि बिजली कटौती बार-बार हो रही है और बहुत देर तक बिजली नहीं आई है।

 और वही फ्रिज में रखा हुआ भोजन आप अपने बच्चों को खिलाने जा रहे हैं तो भोजन को एक बार अवश्य ठीक प्रकार से चेक कर लेना चाहिए। यदि भोजन खाने योग्य नहीं होता तो उसमें निम्न प्रकार के संकेत दिखाई देते हैं:

  • दुर्गंध आना
  •  रंग या टेक्सचर में बदलाव 
  • भोजन पर फफूंद लगने के संकेत

बारिश के मौसम में होने वाली आम बीमारियों से बच्चे को कैसे बचाया जा सकता है? 

बारिश के मौसम में अपने बच्चों को स्वस्थ और संरक्षित रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने आसपास के एरिया में बहुत ज्यादा सफाई रखें। शिशु में मच्छर जनित बीमारियां ग्रसित कर सकती हैं इसलिए मच्छरों से बच्चे को बचाने पर विशेष ध्यान देना है।

आपकी तरह आपके बच्चे को भी बारिश के मौसम में खेलने का गीली मिट्टी में खेलने का बहुत ज्यादा शौक हो सकता है परंतु आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। बारिश के मौसम में यदि बच्चा खेलेगा तो उसे बहुत सारे नुकसान झेलना पड़ सकते हैं। और वह बहुत जल्दी बीमार पड़ सकता है। बारिश के मौसम में ठंड और गर्म मौसम बहुत जल्दी-जल्दी आता हैं। जिसके कारण बच्चों के शरीर के अंदर भी टेंपरेचर में बदलाव होते हैं और बच्चा बीमार पड़ जाता है।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. मानसून किस मौसम में आता है? 

मानसून गर्मियों के मौसम में आता है और मानसून के मौसम में बारिश होती है।

Q. बच्चों को मानसून के मौसम में कैसे बीमारी ग्रसित करती हैं? 

बच्चों को मानसून के मौसम में बहुत ज्यादा आद्रता और गर्मी ठंड के कारण बीमारियां घोषित करती हैं।

Q. क्या टेलकम पाउडर बच्चों को गर्मी लगने से बचाता है? 

टेलकम पाउडर बच्चों को गर्मी से नहीं बचता बल्कि यह पसीने को निकालने वाले फोर्स को बंद कर देता है

Q. बच्चों को हमेशा कितने डिग्री टेंपरेचर वाले पानी से नहाना चाहिए? 

बच्चों को हमेशा साहित्य से 38 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर वाले पानी से नहलाना चाहिए।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको मानसून के दौरान शिशु की देखभाल?(Monsoon me baby ki dekhbhal) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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