शिशु को कितनी मात्रा में फार्मूला दूध की जरूरत होती है? (Shishu ke formula milk ki need) 

बच्चों की जन्म होने के पश्चात डॉक्टर के द्वारा यह रिकमेंड किया जाता है कि उसे मां का दूध 6 महीने का होने तक पिलाना आवश्यक होता हैं। ऐसे बहुत सारे कारण होते हैं जिनकी वजह से कई बार माताएं अपना दूध अपने बच्चों को नहीं पिला सकते। इसके लिए दूसरा विकल्प फॉर्मूला मिल्क के रूप में दिया जाता है। परंतु अक्सर महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं होती कि शिशु को कितनी मात्रा (Shishu me formula milk ki matra) में फॉर्मूला मिल्क पिलाया जा सकता है ।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु को फॉर्मूला मिल्क की कितनी जरूरत है(Shishu me formula milk ki jarurat) उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

कैसे पता लगाए कि बच्चा भूखा है? 

कई बार बच्चा भूखा होता है। (Sishu ke bhookhe hone ke sanket) परंतु मां-बाप उसका संकेत नहीं समझ पाए। जिसके कारण वह उसे दूध नहीं पिलाते और वह भूखा ही रह जाता है। हम यह कैसे पता लगा सकते हैं कि आपका बच्चा भूखा है उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

शिशु को कितनी मात्रा में फार्मूला दूध की जरूरत होती है
  • समानता विकास के क्रम में बच्चों की भूख अलग-अलग होती हैं। जब वह छोटा होता है तब उसकी भूख लग होती हैं। जैसे-जैसे वह बड़ा होता रहता है उसकी भूख लग होती रहती है।
  • मुंह का पता लगाने के लिए हमें इस बात का ध्यान देना चाहिए। बच्चा अपने आप ही दूध पी रहा है तो इसका मतलब है कि बच्चा भूखा हैं।
  • यदि मैं भूखा नहीं होता तो वह कुछ भी खाना पीना बंद कर देता है।
  • इसके अलावा बच्चों के द्वारा कुछ स्पष्ट संकेत भी दिए जाते हैं जिनके माध्यम से आप यह पता लगा सकते हैं।
  • कि आपका बच्चा भूखा है और उसे तुरंत दूध पिला सकते हैं उसे उन संकेतों के बारे में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

भूख लगने की शुरुआती संकेत

जब आपका बच्चा भूखा होता है तो (Shishu ke bhookhe hone ke shuruati sanket)नीचे दिए गए कुछ संकेत वह देता है। यदि यह संकेत आपको अच्छे से पता है और आपको समझ में आते हैं तो तुरंत आपको अपने बच्चों को दूध पिलाना चाहिए।

 कुछ माता-पिता शिशु के रोने का इंतजार करते हैं। यदि आप भी ऐसा करते हैं तो ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी शिशु इतना रोने लगते हैं कि वह दूध ही नहीं पीते।

  • नींद से जागते समय अपने होठों को चटना।
  • अपने हाथों को जीव को या कपड़ों को चूसना। 
  • मुंह खोलने और बंद करना। 
  • यदि बच्चा अपनी माता की छाती की तरफ देख कर अपना मुंह खोल रहा है। तो यह समझ जाना चाहिए कि बच्चा भूखा है। अंग्रेजी में प्रक्रिया को रूटिंग कहा जाता है।

भूख बढ़ने के संकेत

  • सिर ऊपर-​नीचे करना
  • चिड़चिड़ापन
  • जोर-जोर से सिर हिलाना

दूध मिलाने में देरी के संकेत रोने लगना

  • जब शिशु को तेज भूख लगती है और उसे दूध नहीं मिलता तो वह रोने लगता है। और रोते हुए बच्चे को दूध पिलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए बच्चों के भूखे होने की संकेत को ध्यान में रखकर उसे दूध पिलाना चाहिए।
  • बच्चों को दूध पिलाते समय इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि बच्चों को कितनी भूख लगी है। या उसका पेट भर गया है इसके लिए जब बच्चा दूध पीता हैं। जब मैं भूखा होता है। तब वह तेजी से दूध पीता हैं।
  • और जैसे-जैसे उसका पेट भरता रहता है उसके दूध पीने की गति धीमी हो जाती है और वह बीच-बीच में आराम करने लगता है। इस बात से हमें यह पता लगा सकते हैं कि बच्चे का पेट भर गया है और फिर उसके मुंह से हमें दूध निकाल लेना चाहिए।

शिशु को कितनी मात्रा में फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए? 

यदि आपके बच्चे ने अभी ठोस (Shishu me formula milk kitne matra me dena chahiye)आहार खाना शुरू नहीं किया है तो आप अनुमानित तरीके से यह जान सकते हैं। कि आप अपने बच्चों को कितना फॉर्मूला मिल्क पिला सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

बच्चों के जन्म के पहले सप्ताह में समानता उसे उसके भजन के हिसाब से 150 मिलीलीटर से 200 मिलीलीटर तक का दूध प्रति किलोग्राम के हिसाब से पिलाना चाहिए। इसका अर्थ हैं। यदि आपके बच्चे का वजन 3 किलो है तो आपको 400 मिलीलीटर से 600 मिलीलीटर तक बच्चों को दूध पिलाना चाहिए।

यह उसके पर्याप्त डाइट के हिसाब से होता है। जन्म से पहले सप्ताह में समानता बच्चा इसी अनुपात में दूर करता है परंतु ऐसा भी हो सकता है। कि शुरुआती हफ्तों में बच्चा काम देती है क्योंकि उसका पेट छोटा होता हैं। और उसमें संग्रहण की शक्ति भी कम होती हैं।

ऊपर दिया गया मैप अनुमान के आधार पर होता है। यह जरूरी नहीं होता कि आपके बच्चे को माफ के अनुसार ही दूध पिलाया जाए या हर बार वह एक ही मात्रा में दूध पिए दूध पीना बच्चों के इस बात पर निर्भर करता है। कि उसे कितनी भूख लगी है।

 जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता रहता है वैसे-वैसे वह दूध भी ग्रहण करता रहता है। इसलिए इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। कि बच्चों को ज्यादा कितने टाइम भूख लगी है इस बात पर नहीं कि उसे माफ के हिसाब से दूध दिया जाए।

आप कभी भी अपने बच्चों को दूध पूरा खत्म करने के लिए दबाव नहीं डालें। फिर चाहे उसकी बोतल में थोड़ा सा ही दूध बचा हो। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब बच्चा बीमार होता है या उसके दूध के दांत निकल रहे होते हैं। तो उसे दूध पीने में परेशानी हो सकती है। इस समय पर बच्चा दूध को कम या ज्यादा भी कर सकता है।

कैसे पता लगे कि शिशु को सही मात्रा में फॉर्मूला मिल्क मिल रहा है? 

माता-पिता को इस बात का ध्यान(Shishu ko sahi matra me formula milk) रखना चाहिए कि जब भी आप फॉर्मूला मिल्क मिल रहे हैं। तो सारी चीजों को बिल्कुल सही मात्रा में मिलना चाहिए।

 यदि आप फॉर्मूला मिल्क में ज्यादा पानी मिला देंगे तो वह ज्यादा पतला हो जाएगा। और शिशु को किसी भी प्रकार का पोषण नहीं मिल पाएगा। निम्न दिए गए संकेत यह बताते हैं कि शिशु को सही मात्रा में फॉर्मूला मिल्क मिल रहा है।

1.नियमित वजन वृद्धि :

शिशु का भजन उसके 10 दिन का होने तक बढ़ाना शुरू हो सकता हैं। ऐसा भी माना जाता है कि शिशु का वजन 1 साल का होने तक बहुत अधिक तेजी से बढ़ता है। शुरुआत के 1 साल में बच्चे का वजन का कर बहुत हाई रहता है।

 जन्म के समय बच्चे का वजन 10% तक काम होता है। परंतु जब बच्चा 10 दिन का हो जाता है तो उसका वजन फिर से बढ़ना शुरू हो जाता हैं। वजन के बढ़ाने की जांच डॉक्टर नियमित रूप से करते रहते हैं।

 यदि आपके शिशु का वजन सही तरीके से बढ़ रहा है और डॉक्टर भी उसे ठीक प्रकार की ग्रोथ बता रहे हैं। तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि आप जो फॉर्मूला मिल्क बच्चों को दे रहे हैं। वह फॉर्मूला मिल्क बिल्कुल सही है और आप उसे सही मात्रा में बना रहे हैं।

 2.गीले डायपर :

बच्चों को दूध पिलाने के बाद इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि बच्चा अपने डायपर को कितनी बार जिला कर रहा है। यह बच्चे की ग्रोथ की पहचान होती है कि बच्चा अपना डायपर कितनी बार गिला करता है।

 जन्म के दो-तीन दिनों तक तो बच्चा बहुत कम ही अपनी लंगोट को गिला करता है। परंतु तीन-चार दिन के बाद बच्चा देने कई बार अपनी लंगोट को गिला करता है और उसे हल्के पीले रंग की टॉयलेट आती है।

 उसकी उसे प्रक्रिया को चेक करते रहना चाहिए। यदि आपका बच्चा बहुत कम डायपर गले करता है तो आपको यह समझ जाना चाहिए। कि उसे पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पा रहा है और उसका पेट नहीं भर पा रहा है।

3.खुशनुमा शिशु :

यदि बच्चा अपने दैनिक जीवन में बहुत अच्छी तरीके से फल फूल रहा है और बहुत अच्छी तरीके से ग्रंथ कर रहा है तो आपको यह समझ जाना चाहिए। कि बच्चा सही मात्रा में फॉर्मूला मिल्क को ग्रहण कर रहा है और उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोषण तत्व है।

 यदि उसके शरीर को सही मात्रा में पोषण तत्व नहीं मिल पाते हैं तो वह बिल्कुल उदास और निराशा रहता है क्योंकि उसके शरीर में एनर्जी का सही प्रभाव नहीं है।यदि आपको अपने शिशु के विकास के लिए कोई चिंता है तो हमेशा अपने ऊपर विश्वास रखकर अपने शिशु की एक्टिविटीज को देखना चाहिए।

 यदि उसमें कोई भी चेंज दिखाई पड़ता है तो उसको सबसे पहले आप नोटिस करते हैं। और उसका पूरे भी सबसे पहले आप शुरू करते हैं। इसलिए आपको अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए और उसके सही ग्रोथ के लिए प्रयास करनी चाहिए।

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा उसे कितना दूध पीना चाहिए? 

बच्चों के बड़े होने के साथ-साथ (Shishu ko milk ki need) उसे कितने दूध की आवश्यकता होती है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

  • पहला हफ्ता : पहले हफ्ते में बच्चा 60 से 70 मिलीलीटर दूध पीता हैं। यह दूध बच्चा एक साथ नहीं पी सकता। परंतु आप थोड़ा-थोड़ा करके दूध को बच्चों को पिला सकते हैं।
  • 2 हफ्ते से 2 महीने तक: दो हफ्ते से 2 महीने तक बच्चे 75 से 105 मिलीलीटर दूध की आवश्यकता होती है। यदि आपका बच्चा एक दिन में बच्चों की इस बात को ध्यान में देना चाहिए कि बच्चा विकास के साथ-साथ अधिक दूध बढ़ा रहा है या नहीं।यदि आप उसको एक बोतल भर कर दूध दे रहे हैं और वह तेजी से उसे खत्म करने के बाद दोबारा दूध पीने के लिए मांग रहा है। तो इसका मतलब है कि बच्चा अपनी डाइट को बढ़ा चुका हैं। और आप उसको दोबारा दूध दे सकते हैं।
  • 2 से 6 महीने तक: 2 महीने से 6 महीने के बीच में आपको अपने बच्चों को 105 म से 200 म तक दूध को पिलाना चाहिए। यह बच्चे के लिए लाभकारी होता है।
  • 6 महीने होने पर: बच्चों के 6 महीने का होने पर उसे 210 से 240 मिलीलीटर दूध की आवश्यकता हो सकती है। और बच्चा एक दिन में 900 मल दूध पी सकता है। इसलिए 6 महीने पर बच्चों की डायट बढ़ जाती है उसे हिसाब से उसे दूध पिलाना चाहिए।
  • ठोसाहार शुरू करने पर: यदि आपका बच्चा 6 महीने का हो गया हैं। और आपने उसे ठोस आहार देना शुरू कर दिया हैं। तो आप अपने बच्चों को 600 मिलीलीटर तक दूध पिला सकते हैं क्योंकि ठोस आधार से भी उसका पेट भर जाता है।
  • पूरी तरीके से ठोसाहार की शुरुआत: जब आपने पूरी तरीके से ठोस आहार की शुरुआत कर दी है तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए। कि आप उसे विभिन्न विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट आहर को मिलाकर खिला सकते हैं। तो शहर के साथ-साथ बच्चे को आप 500 से 600 मिली लीटर दूध भी पिलाना जरूरी होता है। जो बच्चे के विकास की में और उसकी मदद करता हैं। यदि आपका बच्चा इतनी मात्रा में दूध नहीं पी रहा है तब भी चिंतित नहीं होना चाहिए। उसे दूध से बनी हुई अन्य चीज जैसे कि पनीर कस्टर्ड दही आदि चीजों को बनाकर खिला सकते हैं।

फॉर्मूला मिल्क की जगह ठोस आहार देना कब शुरू करना चाहिए? 

जैसा कि हम आपको पहले भी (Shishu ko solid aahar ki shuruat)कई आर्टिकल्स में बता चुके हैं कि फॉर्मूला मिल्क के अलावा बच्चों को ठोस आहार जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तब देना शुरू करना चाहिए। 6 महीने से पहले बच्चे को मां के दूध के अलावा या फॉर्मूला मिल्क के अलावा किसी अन्य चीज को नहीं खिलाना चाहिए।

 6 महीने का होने पर बच्चों के साथ हो जाती विकसित हो जाती है और आप उसे शुरुआत में हलकट होसंहार देने की शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे जब बच्चा खाना प्रारंभ कर देता है तब आप उससे पूरी तरीके से बना हुआ दोसाहार देना शुरू कर सकते हैं।

आपको अपने बच्चों को इस प्रकार का भजन देना चाहिए जो उसके शरीर के सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करें और उसको झेलना में उसकी मदद करें। यदि उसके शरीर में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति सही मात्रा में होती रहेगी तो उसका शारीरिक विकास भी तेजी से होगा।

 उसे सभी प्रोटीन विटामिन मिनरल और कैल्शियम अच्छी मात्रा में चाहिए होते हैं क्योंकि यह उसके विकास का कम होता है इसलिए उसे पर्याप्त संतुलित मात्रा में भोजन देना चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. फॉर्मूला मिल्क किसे कहा जाता है? 

मां के दूध के अलावा बाहरी तौर पर जो मिल्क बच्चों को पिलाया जाता है उसे फार्मूला मिल्क कहा जाता है? 

Q. बच्चों के भूख लगने के क्या-क्या संकेत होते हैं? 

बच्चों का कपड़ों को चटना बार-बार मुंह को खोलना होठों को चाटना या अपनी माता की ओर देखना भी भूख लगने की संकेत होते हैं।

Q. बच्चों को कितने समय के बाद ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए? 

जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तब उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए।

Q. बच्चा पहले सप्ताह में कितना दूध पीता है? 

बच्चा पहले सप्ताह में 60 से 70 मिलीलीटर दूध पीता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशु को कितनी मात्रा में फार्मूला दूध की जरूरत होती है?(Shishu me formula milk ki jarurat) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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