शिशु की रात में नींद टूटने का कारण और शिशु रात भर कब सोना शुरू करता है? 

जब बच्चे का जन्म होता है। माता-पिता को अपने बच्चों को पालने में और उसे बड़ा करने में बहुत एक्साइटमेंट होती है परंतु धीरे-धीरे पेरेंट्स को थोड़े आराम की आवश्यकता होने लगती है। वह चाहते हैं कि बच्चे की परवरिश के साथ उन्हें आराम करने का भी पूरा समय मिले बच्चे अक्सर रात में बार बार जागते (Bacho me neend) हैं जिस कारण पेरेंट्स को ठीक से आराम नहीं मिल पाता। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु की रात में नींद टूटने के कारण और शिशु रात भर (Bacho me neend se jagne ke reason)कब सोना शुरू करता है उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

रात भर सोने का क्या अर्थ है? 

बच्चे रात में कितना सोते (Bacho me sone ka arth)हैं या बार-बार कितनी बार जागते हैं। यह उनकी उम्र पर निर्भर करता हैं। बच्चों की उम्र जिस प्रकार की होती है बच्चे इस प्रकार से सोते और जागते हैं। जिन बच्चों की उम्र 3 महीने की होती है। वह 14 से 16 घंटे तक सो सकते हैं। जिनकी उम्र 4 से 11 महीने के बीच होती हैं।

शिशु की रात में नींद टूटने का कारण और शिशु रात भर कब सोना शुरू करता है 

 वह 12 से 15 घंटे सो सकते हैं जिनकी उम्र 1 से 2 साल होती है वह 11 से 14 घंटे सो सकते हैं और जिन बच्चों की उम्र 3 से 5 वर्ष होती हैं। वह 10 से 13 घंटे तक सो सकते हैं। यह बच्चे के सोने के अंदाजन घंटे हैं बच्चे की उम्र जिस हिसाब की होती हैं। उतनी देर तक बह सोता है। बच्चों के जन्म के तुरंत बाद बच्चे ज्यादा सोते हैं। और जैसे-जैसे वह ग्रो अप होते रहते हैं वैसे-वैसे उनके सोने  का समय कम होते जाते हैं और धीरे-धीरे वह बिल्कुल बैलेंस होने लगता है। 

शिशु रात भर कब सोना शुरू करते हैं? 

चाहे बच्चे हो या बड़े सभी का (Bacho me achi neend ki shuruat)रात में सोना आवश्यक होता हैं। वयस्क लोगों को 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक होती है। इससे उनका दिमाग अच्छी तरीके से काम करता है और वह अपने दिन में बिल्कुल हेल्दी फील करते हैं।

 वैसे ही बच्चे होते हैं बच्चों को भी स्वस्थ रहने के लिए 12 से 14 घंटे की नींद आवश्यक होती हैं। और बच्चों की नींद इस बात पर भी निर्भर होती है कि वह कितनी उम्र के हैं जितनी कम बच्चे की उम्र होती हैं। उतना ही बच्चा ज्यादा सोता है या कहीं की बच्चों को ज्यादा नींद की आवश्यकता होती हैं। जैसे-जैसे वह बड़ा होता रहता हैं। वैसे-वैसे उसके सोने की कैपेसिटी कम होती जाती है। 

एक अनुमान के अकॉर्डिंग ऐसा बताया गया है की बच्चों के जन्म के पश्चात वह रात में काम से कम 30 से 35 भर जागते हैं। जब बच्चे 2 महीने के हो जाते हैं तब से उनके अंदर स्लिप पैटर्न विकसित होने लगता हैं। इस स्लिप पैटर्न के अकॉर्डिंग धीरे-धीरे बच्चे अपने आप को सेट करने लगते हैं और रात भर सोना शुरू कर देते हैं।

 ज्यादातर बच्चे रात को इसीलिए जागते हैं क्योंकि उन्हें भूख लगी होती है। बच्चा यदि पूरी रात सोना भी शुरू कर देता है तो वह 6 महीने तक रात को एक बार दूध पीने के लिए जाग सकता है। इसके अलावा जब बच्चा टॉयलेट या पोटी करता है तब भी वह रात को जाग जाता है। 

शिशु को रात भर कैसे सुलाएं

हमें अपने बच्चों को रात भर कैसे (Bacho ko kaise sulaye)सुलाना चाहिए। जिससे वह रात को बार-बार न जागे और हमें परेशान ना करें। इसके कुछ तरीके होते हैं इसके विषय में आपको नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1. डेली रूटीन बनाएं : 

बच्चों का हमें डेली रूटीन बनाना चाहिए डेली रूटीन बनाने से बच्चा बड़ों के साथ व्यस्त रहता हैरान डेली रूटीन में बच्चों को कब जागना हैं। उसे रोजाना कितने टाइम नहलाना है उसकी कब मालिश करनी है। कब उसे फीड करना है यह सारी चीज फिक्स कर देनी चाहिए।

 हमें अपने बच्चों के साथ खेलना चाहिए और उसे दिन भर व्यस्त रखना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा दिन में आराम नहीं करेगा या सोएगा नहीं पूरे दिन की थकावट के बाद जब बच्चा रात को सोएगा तो उसे अच्छी नींद आएगी। और वह रात को बार-बार नहीं जागेगा इसलिए हमें अपने बच्चों का डेली रूटीन बनाए रखने के लिए कोशिश करनी चाहिए। इससे बच्चा हेल्दी बनता है। 

2. सोने के लिए समय तय करें :

हमें अपने बच्चों को सुलाने का समय तय करना चाहिए। 3 महीने तक बच्चे बार-बार उठाते हैं और उनकी नींद बार-बार टूटती हैं। इसलिए हमें अपने बच्चों को सुलाने का टाइम फिक्स कर लेना चाहिए। हमें अपने बच्चों को 7 से 9:00 तक सुलाना चाहिए इस टाइम के बीच में हमें अपने बच्चों की मालिश और उसे फीड कर देना चाहिए। जब बच्चा 9:00 बजे तक सोएगा तो वह पूरी रात आराम से सोएगा और सुबह फ्रेश तरीके से उठेगा। 

3. फीड करवाए :

बच्चों का पेट का आकार बहुत छोटा होता है वह थोड़ा सा दूध पीता है। तभी उसका पेट भर जाता है इसलिए उसे समय-समय पर फीड करने की आवश्यकता होती हैं। उसे हमें थोड़े-थोड़े समय के बाद दूध पिलाते रहना चाहिए। क्योंकि उसके पाचन की शक्ति भी थोड़े से दूध में ज्यादा होती है। बार-बार फीड करने से उसका पेट भर रहेगा और उसे अच्छी नींद आएगी। 

4. स्लीप ट्रेनिंग : 

जब आपका बच्चा 6 महीने का हो जाता है तब आप अपने बच्चों के लिए स्लिप ट्रेनिंग की शुरुआत कर सकते हैं। स्लीप ट्रेनिंग में आपका बच्चा कब सोएगा कब जागेगा उसके विषय में आप उसकी ट्रेनिंग की शुरुआत कर सकते हैं। जब बच्चे 6 महीने का हो जाता हैं। तब उसके सोने का साइन समझ में आने लगता है कई बार बच्चे सोने से पहले एक-दो मिनट के लिए बहुत रोते हैं। इन एक-दो मिनट को हमें बच्चों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और उसे सुलाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे इसलिए ट्रेनिंग से बच्चों के सोने और जागने का टाइम फिक्स हो जाएगा। 

5. शोर से दूर रखें :

रात के समय जब आपको महसूस हो रहा है कि आपका बच्चा सोने वाला है तो उसे शोर से दूर रखना चाहिए। घर में टीवी म्यूजिक सिस्टम जैसी चीजों को बंद कर देना चाहिए। जिस कमरे में आप बच्चे को सुला रहे हैं उसे कमरे की लाइट्स भी धीमी कर देनी चाहिए। इससे बच्चों को सोने का प्रॉपर एनवायरमेंट मिलता है तो वह आराम से और आसानी से सो जाता है। 

शिशु की नींद पूरी न होने के कारण :

शिशु की नींद पूरी न होने के क्या-क्या (Bachon ki neend poori na hone ke reason)कारण हो सकते हैं और किन कारणों की वजह से शिशु की नींद खराब होती है। उसके विषय में पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है।

  • शिशु को थोड़ी-थोड़ी देर के बाद भूख लगती है इसलिए जब वह भूखा होता हैं। तब उसकी नींद टूट जाती है और वह बार-बार जाग जाता है। 
  • कई बच्चे गली नवी की वजह से भी बार-बार उठ जाते हैं। बहुत सारे बच्चों को गली नवी बिल्कुल पसंद नहीं होती।
  • वह उसमें अनकंफरटेबल महसूस करते हैं और रोने लगते हैं। 
  • जब मौसम ज्यादा ठंडा होता है या बहुत ज्यादा गर्म होता है। तब भी बच्चों को आसमय नींद टूटने की समस्या हो सकती है। 
  • जब आसपास शोर होता है या लाइट ज्यादा ऑन होती है या टीवी का सिस्टम म्यूजिक का सिस्टम तेज शुरू हो जाता हैं। तब भी बच्चे की नींद टूटने की समस्या हो जाती है। 
  • कभी-कभी बच्चे बीमार पड़ जाते हैं या उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। तब भी बच्चे की नींद बार-बार खुल जाती है क्योंकि वह परेशान होता है और बहुत ज्यादा रोता है। 

शिशु की नींद पूरी करने के लिए क्या करें? 

शिशु की नींद पूरी (Bacho me neend poori krne ko kya kren) )करने के लिए हम क्या-क्या उपाय कर सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

दिन के दौरान :

  • आपको अपने बच्चों को ऐसे कमरे में सुलाना चाहिए। जहां पर सूर्य की रोशनी अच्छी तरीके से आती है। 
  • शिशु को दूध पिलाने के दौरान उससे बातें करनी चाहिए और उसे खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • उसके साथ खेलना चाहिए क्योंकि दूध पिलाते समय ज्यादा चांसेस होते हैं कि वह सो जाता है। 
  • दिन के दौरान बच्चों को शोर शराबी के बीच रखना चाहिए। जैसे कि बच्चों के आसपास टीवी म्यूजिक सिस्टम आदि चीजों को ऑन रखना चाहिए।और खिड़की दरवाजे खुले रखना चाहिए जिससे बच्चे बाहर की चीज देखे और मनोरंजन हो। 
  • घर में अगर और भी छोटे बच्चे हैं तो आप अपने बच्चों को उन बच्चों के साथ खेलने दे इससे बच्चा व्यस्त रहता है। 

रात के दौरान :

  • रात के समय 7:00 बजे के बाद शिशु को फीड कारण और उसकी मालिश करें। इस समय के बाद शिशु से ज्यादा बातें ना करें। 
  • जिस कमरे में आप अपने बच्चों को सुला रहे हैं उसे कमरे की लाइट कम रखनी चाहिए या बिल्कुल ऑफ कर देनी चाहिए।
  • जिससे बच्चों को सोने में समस्या ना हो और वह आराम से सो सके। 
  • रात के समय हमें अपने बच्चों का ध्यान इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए। यदि वह सो रहा है तो उसे आराम से सोने देना चाहिए। 

शिशु की अच्छी नींद के फायदे

बच्चे हो या बड़े यदि वह (Bachon me neend ke fayde)अच्छी तरीके से सोते हैं और अच्छी तरीके से आराम करते हैं तो उन्हें बहुत सारे फायदे होते हैं। बच्चे के अंदर भी इसके बहुत सारे फायदे देखने को मिलते हैं। इसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है। 

  • अच्छी नींद लेने से बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में लाभ मिलता है। बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। 
  • बच्चों के ध्यान केंद्रित करने की शक्ति विकसित होती हैं। उसकी एकाग्रता विकसित होती है। 
  • एक अच्छी नींद बच्चों के हृदय को हेल्दी रखने में मदद करती हैं। बच्चा यदि आराम से सोता है तो उसका हृदय भी अच्छी तरीके से काम करता है। 

शिशु की सोने के दौरान किन बातों का रखें ध्यान

जब बच्चा सो रहा होता है तब हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। उसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है। 

  • बच्चों को हमेशा पीठ के बाल ही सुलाना चाहिए। यदि आप किसी और तरीके से बच्चे को सुला देते हैं तो उसे शारीरिक समस्या हो सकती है। 
  • बच्चों को हमेशा बैठकर किनारे नहीं सुलाना चाहिए जिस स्थान पर आप बच्चे को सुला रहे हैं। उसके चारों तरफ तकिया लगाने चाहिए जिससे वह बेड से नीचे ना गिरे। 
  • जब बच्चा सो रहा है तब माँ की है जिम्मेदारी है कि वह कुछ देर तक मां के साथ सोए बच्चों का माँ से लगाओ अलग ही होता हैं। इसलिए मन को भी उसको प्यार देने आवश्यकता है। 
  • बच्चों को सुलाने से पहले या सुलाने के दौरान हमें अपने बच्चों को अच्छी तरीके से फीड करना चाहिए।
  • यदि वह भूखा रह जाएगा तो बार-बार उसकी नींद टूटेगी और वह रोएगा। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों के नींद टूटने के क्या कारण होते हैं? 

शोर बच्चों को भूख लगा या उसकी नैपी गली होना बच्चों की नींद टूटने के कारण होते हैं। 

Q. जन्म के पश्चात बच्चों की एक रात में कितनी बार नींद खुलती है? 

एक रात में बच्चा कम से कम 30 से 35 बार जागता है। 

Q. रात में बच्चों को सुलाने का सही समय क्या है? 

रात में हम अपने बच्चों को 7:00 से लेकर 9:00 तक सुला सकते हैं।

Q. जो बच्चे 3 महीने के होते हैं उन्हें कितनी नींद की आवश्यकता होती है? 

जो बच्चे 3 महीने के होते हैं वह 14 से 16 घंटे तक सो सकते हैं। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशु की रात में नींद टूटने का कारण और शिशु रात भर कब सोना शुरू करता है?(Bacho me neend) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

Leave a Comment