शिशुओं और बच्चों में निमोनिया के क्या लक्षण है? | Babies me pneumonia ka symptoms, cure

बच्चों में अक्सर सर्दी जुकाम बुखार देखने को मिलता है। इसी सर्दी जुकाम के कारण बच्चे को निमोनिया देखने को मिलती है जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ होती है। वैसे तो निमोनिया एक आम बीमारी है परंतु जब यह बढ़ जाती है तो यह बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। निमोनिया के क्या लक्षण होते हैं(Babies me pneumonia ke symptoms) इसके विषय में पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशुओं और बच्चों में निमोनिया के क्या लक्षण है और इसका क्या इलाज है(Pneumonia ke symptoms aur cure in babies) यह जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

निमोनिया क्या है? | What is pneumonia?

निमोनिया के लक्षणों को जानने से पहले यह जानना बहुत आवश्यक है कि निमोनिया क्या है( pneumonia kya hai?)निमोनिया अवस्था है जब बच्चे के या तो एक फेफड़े में या फिर दोनों फेफड़ों में संक्रमण फैल जाता है। उसके फेफड़ों के अंदर तरल पदार्थ बढ़ जाता है और सूजन आ जाती है। संक्रमण के कारण बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है। उसे खांसी आती है और कफ बनने लगता है निमोनिया बच्चे के दोनों फेफड़ों को संक्रमित करता है।

शिशुओं और बच्चों में निमोनिया के क्या लक्षण है Babies me pneumonia ka symptoms, cure

निमोनिया कितने प्रकार की है? | How many types of pneumonia are there?

निमोनिया मुख्यतः दो प्रकार (pneumonia ke types) की होती है। लोबर निमोनिया, ब्रोंकाइल निमोनिया

लोबर निमोनिया :

लोबर निमोनिया वह निमोनिया है जो फेफड़ों के 1 या उससे अधिक भाग को प्रभावित करती है।

ब्रोंकाइल निमोनिया :

ब्रोकाइल निमोनिया वह निमोनिया होती है जो दोनों फेफड़ों पर संक्रमण पैदा करती है और  दोनों फेफड़ों पर चकत्ते बना देती है।

वॉकिंग निमोनिया क्या है? | What is walking pneumonia?

वाकिंग निमोनिया हल्की निमोनिया का एक प्रकार है इसमें बच्चे के दैनिक दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता। परंतु बच्चा हल्के हल्के स्वस्थ होना शुरू कर देता है। वाकिंग निमोनिया आमतौर पर माइकोप्लाज्मा बैक्टीरिया या कभी-कभी किसी अन्य व्यक्ति रिया के कारण भी फैल जाता है।

वाकिंग निमोनिया का इलाज सामान्य निमोनिया की तरह ही होता है। इसके लक्षण भी सामान्य निमोनिया के जैसे ही हैं वाकिंग निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है। यदि इसे इग्नोर किया जाए तो यह सामान्य निमोनिया का रूप ले सकता है।

बच्चों में निमोनिया के क्या कारण है? | What are the causes of pneumonia in children

बच्चों में निमोनिया के मुख्यतः तीन कारण (Babies me pneumonia ke reason) होते हैं जो माइक्रो ऑर्गेनिसम के इंफेक्शन के कारण है। बच्चों के निमोनिया के मुख्यतः तीन कारण बैक्टीरिया वायरस और फंगल इंफेक्शन है।

हर माइक्रो ऑर्गेनिसम से किस प्रकार निमोनिया के कारक नीचे स्पष्ट किए गए हैं।

1.निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया

  • स्ट्रैप्टोकोकस निमोनिया
  • माइकोप्लाज्मा निमोनिया
  • ग्रुप-ए और ग्रुप-बी स्ट्रेप्टोकोकस
  • स्टेफिलोकोकस ऑरियस
  • न्यूमोकोकल निमोनिया

2.वायरल निमोनिया का कारण

  • रेस्पिरेटरी सिंक्राइटियल वायरस (RSV)
  • इंफ्लुएंजा
  • राइनोवायरस
  • पैराइन्फ्लुएंजा
  • एएडिनोवायरस

3.फंगल निमोनिया का कारण

  • निमोसिस्टिस जीरोवेसी
  • कोक्सीडिओडोमाइकोसिस
  • हिस्टोप्लास्मोसिस
  • कक्रिप्टोकोकस

किन बच्चों में निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है?

ऐसे बहुत सारे कारण हैं(Pneumonia ka khatra in babies) जिसकी वजह से बच्चों में निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके विषय में नीचे पॉइंट के माध्यम से आपको जानकारी प्रदान की गई है।

  • जिन बच्चों की उम्र 2 साल से कम होती है उन्हें निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उनके शरीर में रोगों से लड़ने का सिस्टम उड़ता डिवेलप नहीं हो पाता।
  • जो बच्चे अधिक प्रदूषण के संपर्क में आते हैं या धुंआ के संपर्क में अधिक रहते हैं। उनके फेफड़ों पर धुंआ का बुरा असर पड़ता है और ऐसे बच्चों में निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • क्योंकि पहले ही प्रदूषण और धुंआ के कारण बच्चे के फेफड़े प्रभावित हो चुके होते हैं।
  • कुछ बच्चों में ऐसा देखा गया है कि जन्म के तुरंत बाद ही उन्हें निमोनिया हो जाता है। ऐसे बच्चे स्ट्रैप्टॉकोक्कस बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाते हैं जिसके कारण वह उन्हें निमोनिया से प्रभावित करता है।
  • जिन बच्चों के अंदर पहले से कोई गंभीर बीमारी जैसे एचआईवी एड्स कैंसर का इलाज चल रहा है। उन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाता है और उन्हें निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस और अस्थमा जैसी परेशानियां जिन्हें पहले से होती हैं। उनके अंदर निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • जिनके फेफड़ों में पहले से ही किसी प्रकार की समस्या हो यह संक्रमण फैला हुआ है। उन्हें निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है।
  • बच्चे तरल पदार्थों का सेवन करते हैं। यदि दूध या कोई ऐसा तरल पदार्थ जो खाने की नली से वायु मार्ग में फेफड़ों के अंदर प्रवेश कर जाता है। यह कारण भी निमोनिया होने का एक महत्वपूर्ण कारण है।

बच्चों में निमोनिया के क्या लक्षण है। (Babies me pneumonia ke symptoms)

हर बच्चे के अंदर निमोनिया के लक्षण अलग-अलग होते हैं निमोनिया के लक्षण(Babies me pneumonia ke symptoms)  इस बात पर निर्भर करते हैं कि बच्चे को निमोनिया किस कारण हुआ है। कुछ निमोनिया के लक्षणों के विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

  • खांसी के साथ बलगम आना।
  • तीव्र श्वसन दर
  • खांसते समय छाती में दर्द होना।
  • उल्टी या दस्त होना।
  • भूख में कमी होना।
  • थकान होना।
  • बुखार होना।

निमोनिया के कुछ ऐसे लक्षण भी है जो बहुत ही खतरनाक होते हैं। यदि ऐसे लक्षण बच्चे के अंदर दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिन के विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

  • अगर बच्चे की छाती में जलन हो रही है तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
  • यदि बच्चे को ठंड के मौसम में भी गर्मी महसूस हो रही है तो यह निमोनिया का प्रमुख लक्षण है और यह खतरनाक भी है।
  • अगर बच्चे की हाथ पैर और होंठ नीले पढ़ रहे हैं तो यह निमोनिया का खतरनाक लक्षण है।
  • अगर बच्चे को बुखार है। उसे पसीना आ रहा है और वह काप भी रहा है तब तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • यदि बच्चे की सांस तेज तेज चल रही है और सांस लेने पर उसके अंदर से सीटी की आवाज आ रही है तो यह निमोनिया के बढ़ने का संकेत है।
  • यदि बच्चे को भूख लगने कम हो गई है। और वह कुछ भी काफी नहीं रहा तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
  • यदि बच्चे को खांसते समय  पीली या भूरे रंग की बलगम आ रही है और बलगम के साथ खून भी आ रहा है। तब बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

शिशु और बच्चों में निमोनिया का इलाज कैसे किया जा सकता है?

यदि बच्चे के अंदर निमोनिया पाया गया है तो डॉक्टर बच्चे का इलाज( pneumonia ka cure in babies) इस प्रकार करते हैं।

लक्षणों की पहचान :

निमोनिया का इलाज करने के लिए सबसे पहले आपको बच्चे के अंदर निमोनिया के लक्षणों की पहचान करनी होगी। डॉक्टर आपसे बच्चे के पुरानी फेफड़ों की दशा के विषय में जानकारी लेंगे। बच्चे के अंदर पुरानी चिकित्सीय समस्या के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।

शारीरिक जांच :

डॉक्टर स्टैथोस्कोप के माध्यम से बच्चे की शारीरिक जांच करते हैं। बच्चे के खून में ऑक्सीजन का स्तर नापा जाता है यदि बच्चे के खून में ऑक्सीजन का स्तर कम है तो यह फेफड़ों और श्वसन संबंधी समस्या की ओर इशारा करता है।

 डॉक्टर बच्चे का पल्स ऑक्सीमीटर टेस्ट करते हैं। इसमें बच्चे की उंगली पर एक यंत्र लगाया जाता है जिसके माध्यम से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर नापते हैं।

छाती का एक्स-रे :

 छाती का एक्स-रे करके भी डॉक्टर निमोनिया की जांच कर सकते हैं। एक्स-रे ऐसा तरीका है जिसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण साफ साफ पता चलता है।

 यह बच्चे के अंदर कितने स्तर तक फैला है इसके विषय में प्राप्त होती है। इससे यह समझने में भी आसानी होती है कि यह लोबुलर निमोनिया है या ब्रोंकोनिमोनिया है।

बलगम की जांच :

 इस टेस्ट में बच्चे की बलगम का नमूना लेकर जांच के लिए लैब में भेजा जाता है।

रक्त जांच :

रक्त जांच से बच्चे के शरीर के अंदर संक्रमण के स्तर को पता लगाने में मदद करती है। रक्त  जांच में सफेद रक्त कोशिकाओं की गणना की जाती है, जो संक्रमण के दौरान भारी मात्रा में बनने लगते हैं।

इनवेसिव परीक्षण :

कभी-कभी डॉक्टर सटीक निदान के लिए सीटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी व प्लुरल फ्लूड कल्चर भी कर सकते हैं।

बच्चों में निमोनिया का इलाज? | Nimoniya Ka Ilaj For Baby

बच्चों में निमोनिया का इलाज करने के लिए (Babies me pneumonia ka illaj)निम्न दवाइयों की सलाह दे सकते है।

  • निमोनिया के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक दवा दे सकते हैं। एंटीबायोटिक दवा कितनी मात्रा में और कब देनी है इसकी जानकारी डॉक्टर द्वारा दी जाती है।
  • निमोनिया में किस प्रकार की दवाई खिलाई जाए यह निमोनिया के स्तर पर निर्भर करता है। अधिक निमोनिया होने पर अस्पताल में भर्ती भी किया जा सकता है।
  • यदि निमोनिया का कारण फंगल है। तो एंटीफंगल क्या एंटीपैरासाइटिक दवाइयां दी जा सकती हैं।
  • यदि बच्चे को दर्द और बुखार है तो डॉक्टर पेरासिटामोल दवाई दे सकते हैं। यदि बच्चे को तेज खांसी हो रही है तो बच्चों को कप सिरप भी दे सकते हैं।
  • बच्चे को निमोनिया होने पर उसे ज्यादा से ज्यादा आराम करने देना चाहिए। जितना अधिक बच्चा आराम करेगा उतना जल्दी ठीक होगा।
  • यदि बच्चे की निमोनिया तेज बढ़ गई है। और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है तो उसका इलाज इस प्रकार किया जा सकता है।
  • बच्चे को एंटीबायोटिक दवाएं ड्रिप के जरिए चढ़ाई जा सकती हैं।
  • बच्चे के फेफड़े से कफ निकालने के लिए फिजियोथैरेपी या निमोला इजर की थेरेपी दी जा सकती है। इससे खांसी और कफ में बहुत आराम मिलता है।
  • यदि बच्चे के अंदर डिहाइड्रेशन है तो आप उसे तरल पदार्थ खिला सकते हैं।
  • यदि बच्चे के अंदर ऑक्सीजन की कमी हो रही है तो ऑक्सीजन देने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

बच्चों में निमोनिया इलाज के घरेलू उपचार | home remedies for pneumonia treatment in children

ऐसे कुछ घरेलू उपचार हैं (Pneumonia ke home remedies in babies) जो निमोनिया होने पर आप घर में इस्तेमाल करके निमोनिया को कम कर सकते हैं। जिसे नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।

1.हल्दी :

यदि बच्चे के अंदर निमोनिया के लक्षण पाए गए हैं तो उसके लिए हल्दी बहुत फायदेमंद हो सकती है। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो बच्चे को निमोनिया ठीक करने में मदद करते हैं।

हल्दी को भून कर उसे गर्म पानी में मिला लेना चाहिए और बच्चे के सीने को उसी पानी से सीखना चाहिए। इससे बच्चे को निमोनिया में बहुत आराम मिलता है।

2. लहसुन का पेस्ट :

लहसुन का पेस्ट निमोनिया में इस्तेमाल करने से भी बच्चे को बहुत आराम मिलता है। लहसुन की कुछ कलियों का पेस्ट बना लेना चाहिए और उसे रात को सोते समय बच्चे के सीने पर मिलना चाहिए। इसके बच्चे के सीने को गर्माहट मिलती है और उसे निमोनिया में आराम मिलता है।

3. लौंग :

लॉन्ग भी निमोनिया में बहुत फायदेमंद होती है। यदि बच्चा बड़ा हो गया है और ठोस पदार्थों का सेवन करने लगा है तो आप गर्म पानी में लॉन्ग, काली मिर्च और एक चम्मच सोडे को उबाल दें।

 उबले हुए पानी को बच्चे को दिन में दो बार पिलाना चाहिए लोंग का पानी गर्म होता है और यह बच्ची की निमोनिया कम करने में मदद करता है।

4. तुलसी :

तुलसी ए बहुत अच्छी मेडिसिन है जो बहुत सारी बीमारियों में कारगर होती है। तुलसी मैं एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं।

 तुलसी के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालकर बच्चे को दिन में दो बार इसका सेवन कराना चाहिए। इससे बच्चे कि निमोनिया में आराम मिलता है।

नोट :

हर बच्चे का शारीरिक स्तर अलग अलग होता है और उसमें निमोनिया कितने स्तर का है। यह पता लगाना मुश्किल है इसलिए घरेलू उपचार करने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए।

निमोनिया होने से रोकने के लिए कुछ जरूरी तरीके | Some important ways to prevent pneumonia

ऐसे बहुत सारे तरीके हैं(pneumonia ko rokne ke tarike in babies) जिनकी मदद से आप बच्चे को निमोनिया होने से रोक सकते हैं। इन तरीकों को पहले ही अपना कर बच्चा निमोनिया से बिल्कुल बचा रहता है।

इन तरीकों के विषय में नीचे पॉइंट के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई है।

संपूर्ण टीकाकरण :

बच्चों में टीकाकरण का एक क्रम होता है। यदि इस क्रम से बच्चे को टीके लगवाए जाएं तो बच्चे को बहुत सारी बीमारियों से बचाया जा सकता है।

न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) लगाने से निमोनिया, सेप्टिसीमिया (एक प्रकार का संक्रमण), मैनिंजाइटिस (दिमागी संक्रामक रोग, जो ज्यादातर बच्चों को होता है) और रक्त विषाक्तता के कुछ मामलों में सुरक्षा देता है। इसके अलावा, डिप्थीरिया, काली खांसी और एचआईवी के इंजेक्शन निमोनिया से बचाव करने में मदद करते हैं।

साफ सफाई का ध्यान रखें :

बच्चे के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साफ सफाई रखने से बैक्टीरियल इनफेक्शन नहीं फैलती हैं।

छींकते-खांसते  समय अपने मुंह को रुमाल से ढक लेना चाहिए। बच्चे के आसपास इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बैक्टीरिया या वायरस पनप ना पाए।

प्रदूषण से दूर रखें :

आपके बच्चे को स्वसन संबंधी समस्या ना हो इसके लिए उसे धूल मिट्टी या प्रदूषण से बिल्कुल दूर रखना चाहिए। बच्चे के आसपास धूम्रपान नहीं करना चाहिए और बच्चे को उस स्थान से दूर रखना चाहिए जहां धूम्रपान किया जाए।

 यदि बच्चे प्रदूषण में धूल मिट्टी या धूम्रपान वाले स्थान पर रहते हैं तो सांस संबंधी समस्या जल्दी होने का खतरा रहता है।

पर्याप्त पोषण दें :

बच्चे को पर्याप्त पोषण देना चाहिए जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहें और वह किसी भी बीमारी से आसानी से लड़ सके। पोषण प्रदान करने से शरीर में जरूरी तत्वों की पूर्ति होती रहती है और शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहता है।

 यदि बच्चा 6 महीने से कम है तो उसे लगातार स्तनपान कराया चाहिए। स्तनपान कराने से बच्चे के अंदर एंटीबॉडी पहुंचती है जो उसे रोगों से लड़ने में मदद करती हैं.

भीड़भाड़ वाली जगह से बचे :

बच्चे को भीड़भाड़ वाली जगह से दूर रखना चाहिए ज्यादा भीड़ वाले स्थानों पर विभिन्न प्रकार के लोग होते हैं जिनसे संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. निमोनिया कितने प्रकार की होती है ?

निमोनिया मुख्यतः दो प्रकार की होती है लोबर निमोनिया, ब्रोंकाइल निमोनिया।

Q. निमोनिया के लक्षणों की पहचान  कैसे की जाती है?

निमोनिया के लक्षणों की पहचान एक्स-रे,  रक्त जांच और बलगम की जांच के माध्यम से की जा सकती है।

Q. निमोनिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर किन दवाइयों का उपयोग करते हैं?

निमोनिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर एंटी बैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग करते हैं।

Q. निमोनिया होने से कैसे रोका जा सकता है?

निमोनिया से रोकथाम के लिए संपूर्ण टीकाकरण, साफ सफाई का ध्यान, पर्याप्त पोषण प्रदूषण से दूरी रखी जा सकती है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशुओं और बच्चों में निमोनिया के क्या लक्षण है (Babies me pneumonia ka symptoms, cure) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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