बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करना कैसे सिखाएं? | How to teach to express your feelings for your children?

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आता उन्हें या तो हंसना आता है या रोना आता है बाकी इसके अलावा बहुत सी बातें और भावनाएं उनके अंदर छुपी होती हैं जिन्हें भी अंदर ही अंदर महसूस तो करते हैं लेकिन किसी को पता नहीं पाते क्योंकि वह खुद ही उन भावनाओं से परिचित नहीं होते हैंl इसीलिए जब अच्छे छोटे होते हैं तो उन्हें क्या अच्छा होता है और क्या बुरा इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं होती है धीरे-धीरे उन्हें बताया जाता है तो उन्हें इन भावनाओं के बारे में पता चलता हैl

छोटे बच्चे उत्साहित होते हैं दुखी होते हैं डरे हुए होते या फिर खुश होते हैं तो वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की जगह बेचैनी घबराहट शर्मीलापन आदि जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं इस स्थिति में आप इन बच्चों की मदद कर सकते हैं जिससे भी इन भागों को अच्छे से समझ सकते हैं और दूसरों के सामने अच्छे से व्यक्त भी कर सकते हैंl तो लिए आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको baccho ko apni feelings express karne ke tarike के बारे में बताएंगे जिन्हें आपके बच्चों को सीखनी चाहिए जिससे कि वह अपनी भावनाओं को अच्छे से प्रकट कर सकेl

गतिविधियां जिनके द्वारा बच्चों को भाव व्यक्त करना सिखाना चाहिए –

बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करना कैसे सिखाएं How to teach to express your feelings for your children

1- बच्चों के साथ भाव दर्शाने वाले खेल खेलें

 जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा समय खेल खेलने में बीतता है और सबसे ज्यादा  खेल-खेल में ही सीखते भी हैं इसीलिए छोटे बच्चों को खेल विधि के माध्यम से सिखाया जाता है खेल-खेल में आप उन्हें अपने बच्चे को देखकर यह बता सकते हैं कि आपका बच्चा कैसा महसूस कर रहा है इसीलिए तुरंत ही आप अपने बच्चे को भी बताएं कि मैं क्या कहना चाह रहा है.

जैसे जब कोई बच्चा बच्चों के साथ खेलता है तो उसकी लड़ाई हो जाती है तो वह आंखें मलते हुए रोने लगता है जहां पर बच्चा दुखी होता है अन्य शब्दों में इसी प्रकार जब बच्चा ताली बजाते हुए हंसता है तो वहां पर उत्साह का भाव प्रकट होता है इसी प्रकार से बहुत सी भावनाएं जैसे – मुंह लटकाना – उदास होना, सिर पर हाथ रखना – परेशानी, किसी अंग को पकड़कर रोना – दर्द आदि के भाव प्रकट करते हैं जो कि बच्चों को भी समझ आने चाहिएl

2- किसी कहानी को सुनते हुए उन्हें भावनाओं को व्यक्त करने के बारे में बताना –

बचपन की उम्र में बच्चे अपनी दादा दादी के बहुत ही लॉर्ड दुलारे होते हैं इसीलिए उन्हें उस और में कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है इसके बाद बच्चे अपनी मन में एक कहानी बना लेते हैं इसी प्रकार बच्चों को बचपन से ही ऐसी कहानियां के बारे में सुनना चाहिए जिससे कि बच्चों को पता चले की कोई किरदार कैसा अनुभव कर रहा है और किस स्थिति में वह ऐसा अनुभव करेगा जैसे जब कोई व्यक्ति किसी खंडहर आदि में जाता है तो वहां पर डरावनी व्यक्ति का किरदार, किसी राजा और राजकुमार को देखकर जो महसूस हो रहा है उसे उत्साह का भाव कहते हैं यह बच्चों को समझना इस प्रकार से आप बच्चों को कहानियों के माध्यम से आसानी से उनके भागों को व्यक्त करने की बारे में समझ सकते हैंl

3- बच्चों के भावों को शब्द प्रदान करना

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं उनके शब्द भंडार में वृद्धि होती जाती है लेकिन जब बच्चा पैदा होता है उसके बाद सबसे पहले मैं अपने परिवार में मां पापा बाबा दादी दादी कहना ही सकता है इस प्रकार धीरे-धीरे बच्चे बड़े होते जाते हैं तो वह अपने दुख दर्द खुशी आदि को भी प्रकट करने लगते हैं जिन्हें वह रो कर और तालियां बजाकर प्रकट करते हैं इसी प्रकार बड़े होते-होते बच्चों में इन प्रतिक्रियाओं का विलोपन हो जाता है जिन्हें आप दुखी प्रश्न प्रोत्साहित उत्साहित आदि भावनाओं को समझ कर बच्चों को शब्द प्रदान कर सकते हैंl

4- भावनाओं से जुड़ी कविताएं या गीत सुनाकर

जैसे बच्चों को प्ले स्कूल में कविताएं और गीत सिखाए जाते हैं जो उन्हें उनकी शब्द भंडार और भावनाओं से जोड़ते हैं उसी प्रकार ही आप भी उन्हें की तो रखता है सुना कर ने उनकी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं जैसे-

जॉनी जॉनी एस पापा ईटिंग शुगर नो पापा टेलिंग लाइज पापा ओपन योर माउथ हाहाहा!

(Johny Johny Yes Papa Eating Sugar No Papa Telling Lie Yes Papa Open Your Mouth hahaha! )

वेन  आई क्राई आई फील सैड!

When I cry I feel sad!

ईफ यू आर हैपी ऐंड यू नो इट…(If you are happy and you know it…)

वेन आई हैप्पी, हैप्पी, हैप्पी, आई लाफ, लाफ, लाफ…(When I happy, happy, happy, I laugh, laugh, laugh…)

इस प्रकार से आप बच्चों को कविताओं के माध्यम से अपनी भावनाओं को शेयर करना सिखा सकते हैं और साथ ही साथ जैसा कि कविता में चल रहा है वैसे ही अपने फेस के एक्सप्रेशन दे जैसा की कविता में जिक्र चल रहा है इससे बच्चे आसानी से समझ पाएंगे और मनोरंजक रूप से अपनी भावनाओं के बारे में भी जान पाएंगेl

5- बच्चों से भावों से जुड़ी स्थिति पूछें

आपके बच्चों से ऐसी गतिविधियों के बारे में बात करनी चाहिए भावना के बारे में पता चलेl इसके लिए आपको उन्हें ऐसी किसी घटना के बारे में बताना होगा जो कुछ ना कुछ भाव प्रकट करें मुझे इसके बाद आपको उनसे पूछना होगा कि वह अंदर क्या महसूस कर रहे हैं जैसे बच्चे अपने अंदर उत्साहित गुस्सा इशा खुशी या फिर निराशा का भाव सीख सकते हैंl

6- बच्चों को अलग-अलग चेहरे बनाकर दिखाएं

जब आप बच्चों के चेहरों से हाथों को पहचान सकते हैं तो बच्चे भी किसी भी पसंदीदा कार्टून के अलग-अलग चेहरों को आसानी से पहचान सकते हैं क्योंकि उनके पीछे उनकी भावनाएं लिखी होती है जैसे कि आप किसी चेहरे पर आंखों के नीचे आंसू बना देते हैं तो बच्चे समझ जाते हैं कि यह दुखी हो रहा है और यदि किसी चेहरे पर सर गालों पर लाली लगा देते हैं तो यह शर्मीलेपन की निशानी होती हैl

अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से संबंधित प्रश्न उत्तर-

Ques- बच्चों को अपने भावना व्यक्त करना क्यों सीखना चाहिए?

Ans- बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आता क्योंकि मैं अंदर तो बहुत कुछ मुझे उसे करते हैं लेकिन उनके पास सब की कमी होने की वजह से bacche बात नहीं कर पातेl जिस वजह से बच्चे किसी घटना हाथी के बारे में बात नहीं कर पाती इसी पर जरूरी है कि हमें अपने भावनाओ को व्यक्त करना आना चाहिएl

Ques- क्या बच्चों को भावनाओं को व्यक्त करना भी सिखाया जाता है?

Ans- जी हां बिल्कुल बच्चे तो कोरी किताब के समान है उनके जीवन को सही दिशा देने के लिए आप कौन थे प्रत्येक मोड़ पर साथ देना होगा इसलिए बच्चों को अपनी बातों को स्पष्ट रूप से किसी को बताने के लिए भावना व्यक्त करना भी सिखाया जाता हैl

Ques- बच्चों के लिए किन-किन प्रकार से भावनाएं करना सिखाना चाहिए?

Ans- यदि आप भी अपने बच्चों को भावनाओं को व्यक्त करने के बारे में सीखना चाहते हैं तुम्हारे ऊपर लिखे आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपर्युक्त गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को सीख सकते हैंl

Ques- जिस किसी को भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आता है कैसे पता करें?

Ans- जब किसी व्यक्ति को तो आप लोगों को व्यक्त करना नहीं आएगा तो वह अपनी उदासी को बताने की जगह मुंह लटका कर बैठ जाएगा, किसी भी परेशानी में अपना सिर पीटने लगेगा या पकड़ कर बैठ जाएगा और अपना दर्द व्यक्त करने की जगह रोने लगेगा इस प्रकार से आप समझ सकते हैंl

निष्कर्ष

तो आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको बच्चों को  उनकी भावनाओं को समझने और उन्हें यह सिखाने की किस प्रकार से उन्हें अपनी गतिविधियों को समझ कर भावनाओं को व्यक्त करना चाहिए जिससे अपनी बातों को स्पष्ट रूप से कह सके l के बारे में सबको जानकारी दे रहे यदि आपको हमारे द्वारा दी गई सुव्यवस्थित जानकारी पसंद आई हो तो हमारे आर्टिकल को जरूरतमंद लोगों के साथ शेयर जरूर कर दें धन्यवाद!

Leave a Comment