बच्चों में टाइफाइड के लक्षण कारण बचाव का उपाय

आजकल के समय में यदि हमें कोई भी बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है तो वह है टाइफाइड। यदि किसी भी व्यक्ति को थोड़े समय के लिए बुखार होता है और वह उसका चेकअप कराए तो उसे टाइफाइड बन जाता है। लगातार हम उसकी दवाई लेते हैं परंतु टाइफाइड क्यों होता है। इसके होने के क्या कारण है (Typhoid ke reasons) उसके विषय में पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती जिसके कारण मैं अपने बच्चों को भी इससे नहीं बचा पाते। 

इस आर्टिकल में हम आपके बच्चों में टाइफाइड के लक्षण, कारण, बचाव के उपाय (Typhoid ke symptoms,reasons aur bachav) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

टाइफाइड क्या है? 

टाइफाइड एक प्रकार का(Typhoid kya hai?) बैक्टीरियल संक्रमण होता है जो गंदगी रखने के कारण होता है। छोटे बच्चों के अंदर टाइफाइड बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता हैं। सूक्ष्मजीवियों के कारण टाइफाइड होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता हैं।

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण कारण बचाव का उपाय

 जिन घरों में गंदे पानी का सेवन किया जाता हैं। उन घरों में टाइफाइड की बीमारी ज्यादा लगती है या जहां पर हाथ धोने की प्रथम नहीं है जो लोग साफ सफाई का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते। वह लोग टाइफाइड से पीड़ित होते हैं क्योंकि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती हैं।

 यदि ठीक प्रकार से उन्हें साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता और गंदगी में ही बच्चों को रखा जाता है तो बच्चे टाइफाइड से पीड़ित हो जाते हैं। टाइफाइड बुखार सबसे ज्यादा गरीब देश में पाया जाता है। गरीब देश के लोग साफ सफाई का विशेष ध्यान नहीं रख पाते। जिसके कारण वह लोग गंदगी से पीड़ित होते हैं और विभिन्न तरीकों की बीमारियों से भी घिर जाते हैं। 

शिशु में टाइफाइड तथ्य और कारण

शिशु में टाइफाइड होने का कारण (Typhoid ke reasons)क्या हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

  • टाइफाइड बच्चों के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक होता है। यह बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप रोग पैदा करने वाले कारकों के विषय में पूरी जानकारी रखते हैं।
  • तभी आप अपने बच्चों को टाइफाइड जैसी बीमारी से बचा सकते हैं। 
  • टाइफाइड गंदगी के कारण बहुत तेजी से फैलता है यह हैं। गंदे पानी और खाने से एक व्यक्ति कैसे दूसरे व्यक्ति में फैलता हैं। इसलिए हमें गंदे पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान गंदे पानी के कारण होता है। 
  • अपने और अपने बच्चों के हाथों को बार-बार धोना बहुत ज्यादा आवश्यक है। बच्चों के हाथों को बार-बार धोने से उसके हाथों के कीटाणु खत्म होते हैं और बच्चे के बीमार होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। 
  • हाथ धोना इसलिए भी आवश्यक हैं। ताकि यह दूध से हाथों से एक व्यक्ति के हाथ से दूसरे व्यक्ति के हाथ में न पहुंचे। 

बच्चों में टाइफाइड बुखार

टाइफाइड को आत्र ज्वार के (Bacho me Typhoid fever )नाम से भी जाना जाता हैं। टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण बच्चों को होता है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है।

 जिसके कारण बच्चों के अंदर बैक्टीरियल संक्रमण बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाता हैं। टाइफाइड बुखार किसी भी व्यक्ति चाहे वह किसी उम्र का हो सभी को हो सकता हैं। यह बहुत ज्यादा गंभीर रूप ले सकता हैं। यदि टाइम पर इसका इलाज सही तरीके से नहीं लिया जाता। 

बच्चों के अंदर इस प्रकार की बीमारी बहुत ज्यादा गंभीर हो सकती है और इस बीमारी के कारण बच्चे मर भी सकते हैं। इसलिए बच्चों के अंदर और आसपास सफाई रखने से बच्चे को टाइफाइड बुखार से बचाया जा सकता है। 

यदि बच्चे के अंदर आपको टाइफाइड बुखार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए कि आप अपने बच्चों को कौन सी दवाई दिला सकते हैं। 

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण

बच्चों के अंदर टाइफाइड (Bacho me Typhoid ke symptoms)के लक्षण 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। यदि वह गंभीर रूप ले लेंगे यदि यह 4 सप्ताह तक रह जाता है तो यह ज्यादा गंभीर रूप ले लेता है।और इस पर बच्चों की बहुत ज्यादा गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। बच्चों में टाइफाइड के क्या-क्या लक्षण होते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

  • बच्चों के शरीर में बुखार 
  • बच्चों के शरीर में कमजोरी 
  • बच्चों का सुस्त रहना 
  • बच्चों का चिड़चिड़ा रहना 
  • बच्चों के भूख में कमी आना 
  • दस्त लगना 
  • बच्चों के वजन में कमी आना 
  • शिशु को लगातार तेज बुखार रहना 
  • पेट या छाती पर अस्थाई रूप से गुलाबी धब्बे पड़ जाना

बच्चों में टाइफाइड के कारण

बच्चों में टाइफाइड के मुख्य (Bacho me Typhoid ke reasons)कारण होते हैं। गंदगी टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया गंदगी के कारण फैलता है और इस बैक्टीरिया के संक्रमण का वॉक एक व्यक्ति होता हैं।

 जब एक व्यक्ति के अंदर यह बैक्टीरिया पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति के झूठे भोजन या पानी से भी टाइफाइड बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता हैं। या संक्रमित व्यक्ति के माल या मूत्र के इस्तेमाल करने के पश्चात यदि वह अपने हाथों को साफ तरीके से नहीं जोड़ता और दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को खाना पड़ता है। तब भी यह बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति तक फैल जाता है इसलिए साफ सफाई का इस तरीके की बीमारी में खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। 

बच्चों में टाइफाइड के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए

यदि नवजात बच्चे के अंदर (Babies me typhoid hone par doctor se paramarsh) टाइफाइड के लक्षण बहुत तेजी से दिखाई दे रहे हैं। यदि बच्चे के शरीर के अंदर उल्टी दस्त बुखार बंद नहीं हो रहा है तो हमें तुरंत समझ जाना चाहिए और डॉक्टर से तुरंत हमें संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर के परामर्श के बाद हमें अपने बच्चे की भली भांति जांच करना आवश्यक है।  यदि संक्रमण के लक्षण बहुत हल्के हो फिर भी हमें डॉक्टर से बात अवश्य करनी चाहिए। 

शिशुओं में टाइफाइड का निदान

यदि बच्चे को टाइफाइड (Babies me typhoid ka nidan) बीमारी के लिए जांच करवाने आप डॉक्टर के पास ले जा रहे हैं तो डॉक्टर बच्चे से बच्चे की हालात के विषय में कुछ सवाल कर सकता है। यदि डॉक्टर को टाइफाइड के सिमटेम ज्यादा सीवर लगते हैं तो वह बच्चे को एडमिट करने की सलाह भी दे सकता है।

 वैसे तो टाइफाइड के सिम्टम्स साफ-साफ दिख जाते हैं। परंतु यह बहुत सारी बीमारियों से मैच करते हुए होते हैं। इसलिए टाइफाइड की सही पहचान करने के लिए हमें बच्चों के मल या उसके रक्त का सैंपल लेने के बाद सही तरीके से उसकी जांच करवानी चाहिए। और एक अच्छा इलाज बच्चों के लिए करवाना चाहिए जो एक प्रिसक्राइब्ड डॉक्टर के द्वारा हो। 

बच्चों में टाइफाइड का इलाज

  • यदि बीमार बच्चों में (Babies me typhoid ka ilaj) साल्मोनेला टाइफी नामक वायरस की पुष्टि हो जाती है तो डॉक्टर के द्वारा बच्चों को टाइफाइड की प्रिसक्राइब्ड मेडिसिन की शुरुआत कर दी जाती हैं। 
  • खुराक देने के कुछ समय पश्चात ही बच्चे को सिंप्टोम्स में कमी होना शुरू हो सकता है। यदि सिंप्टोम्स कम दिखाई दे रहे हैं। और धीरे-धीरे बच्चा ठीक हो रहा है तो इसका मतलब है कि बच्चा मेडिसिन से ठीक हो रहा है। 
  • शिशुओं में इलाज के दौरान मौखिक एंटीबायोटिक दावों का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। इससे भी बच्चों के ठीक होने के चांसेस होते हैं।
  • परंतु यदि बच्चा इसे ठीक नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद टाइफाइड बीमारी का पूरी तरीके से कोर्स करना आवश्यक होता है। 
  • जब बच्चे को टाइफाइड बुखार होता है तो उसे उल्टी दस्त जैसी समस्याएं होती हैं। टायफाइड फीवर में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। उल्टियां के कारण बच्चों के शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती हैं।
  • यदि बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ मिलते रहेंगे तो वह ज्यादा बीमार नहीं पड़ेगा डॉक्टर के द्वारा प्रिसक्राइब किया हुआ। डिहाइड्रेशन को ठीक करने के लिए ओआरएस पिलाना आवश्यक होता हैं।
  • ओआरएस को पानी में मिलकर बच्चों को पिलाना चाहिए इससे डिहाइड्रेशन की समस्या कम होती है। 
  • कई बार बीमारी के कारण माता-पिता अपने बच्चों को नहलाना नहीं जानते। यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते तो आप बच्चे को रिफ्रेशिंग बस अवश्य देते रहें। 
  • इससे बच्चों की साफ सफाई का ध्यान रहेगा और बच्चे के टाइफाइड से पीड़ित होने के चांसेस भी काम हो जाएंगे। टाइफाइड में बच्चों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

शिशु में टाइफाइड के जोखिम कारक

जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Babies me typhoid ke karak) कमजोर होती है। उन बच्चों में टाइफाइड बीमारी बहुत जल्दी लग जाती है और जो लोग टाइफाइड से संक्रमित होते हैं।

 उनके कांटेक्ट में आने से हेल्दी व्यक्ति भी टाइफाइड से संक्रमित हो जाता है टाइफाइड एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यदि बच्चा पूरी तरीके से स्तनपान पर आश्रित है तो यह जाहिर सी बात है कि संक्रमित मां से बच्चों में टाइफाइड बुखार होना लाजमी है। मां के दूध से बच्चे को प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद मिलती है और वह विभिन्न तरीकों की बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो पता है। 

शिशु में टाइफाइड से बचाव

शिशु को हम टायफाइड (Babies me typhoid se bachav) फीवर से कैसे बचा सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी पॉइंट्स के माध्यम से प्रदान की गई है। 

  • बच्चों के बीमार होने का सबसे बड़ा कारक होता है दूषित जल इसलिए बच्चों को हमेशा उबाल कर ही पानी पिलाना चाहिए। उबले हुए पानी में सूक्ष्मजीव नहीं होते और इससे बच्चों के बीमार पड़ने का खतरा कम होता है। 
  • बच्चों को खाना खिलाने से पहले आपको अपने हाथ और बच्चे के हाथ अच्छे तरीके से सेनीटाइज करवाने चाहिए या अच्छी तरीके से धुलना चाहिए। 
  • आपको अपने बच्चों को बार-बार दूध पिलाने की आवश्यकता होती है। 
  • पूरी तरीके से मां के दूध पर आश्रित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। ऐसे बच्चों में टाइफाइड बीमारी होने का खतरा बहुत कम हो जाता हैं।
  • इसलिए माँ के दूध से बच्चे को पोषण प्रदान करते रहना चाहिए। 
  • बच्चों के बार-बार हाथ धुलने की आवश्यकता होती है। 
  • बच्चों को हमेशा उबले हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिए। 
  • टायफाइड फीवर में बच्चों को गर्म पानी से नहलाना चाहिए और उसे साफ पानी से पूछना चाहिए। जिससे उसके शरीर के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स अच्छे तरीके से साफ हो जाए। 

बच्चों के लिए टायफाइड वैक्सीन

वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। (Babies me typhoid vaccine) यदि आप अपने बच्चों को विभिन्न तरीके की बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आप वैक्सीन का उपयोग कर सकते हैं। वैक्सीन पहले से ही हमारे शरीर में एक रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देती हैं।

 जिसके कारण हमारा शरीर उसे बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। टाइफाइड बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण करवाना बहुत ज्यादा आवश्यक होता हैं। यह टीकाकरण 2 साल तक के बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होता है। 2 से 3 साल तक के बच्चों को टायफाइड वैक्सीन के तीन टीके लगते हैं जो इसे टाइफाइड से बचाने में मदद करते हैं। 2 साल से छोटे बच्चों के लिए इस तरीके का टीकाकरण कराया जाता है। 

वैक्सीन इंजेक्शन : इस प्रकार का टीकाकरण उन बच्चों को करवाया जाता हैं। जिनकी उम्र 2 साल से कम होती है इसमें इंजेक्शन के माध्यम से बच्चों के शरीर में वैक्सीन को इंजेक्ट किया जाता है। 

मौखिक वैक्सीन : इस प्रकार की वैक्सीन उन बच्चों को लगाई जाती है। जिन बच्चों की उम्र 6 साल से ज्यादा होती है यह वैक्सीन 6 साल से ज्यादा उम्र की बच्चों में ही असरदार होते हैं। 

छोटे बच्चों में टाइफाइड की जटिलताएं

यदि टाइफाइड का इलाज (Babies me typhoid ki jatilta) सही समय पर नहीं किया जाता तो टाइफाइड बीमारी बहुत सारी जटिलताओं का कारण बन जाती हैं। उन्हें परेशानियों के विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। यदि आप अपने बच्चों को ठीक प्रकार से डॉक्टर को नहीं दिखाई तो यह बीमारी बहुत ज्यादा सीवर रूप ले सकती है। 

  • आत्र् में रक्तस्राव 
  • गंभीर रूप से वजन में कमी 
  • गंभीर दस्त की समस्या 
  • पित्ताशय में संक्रमण 
  • मेनिनजाइटिस 
  • निमोनिया 
  • ब्रोंकाइटिस 
  • रक्त विशेषाक्त 
  • लगातार तेज बुखार या मति भ्रम की समस्या

टाइफाइड में बच्चों को क्या खिलाना चाहिए

टाइफाइड एक गंभीर तरीके का विकार होता है इसलिए इसमें हमें अपने बच्चों को स्वस्थ आहार खिलाना चाहिए। जिससे उसके शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति हो और उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित होने में मदद मिल सके। बच्चों के आहार में स्तनपान एक सबसे सुरक्षित आहार माना जाता हैं। यदि टाइफाइड से पीड़ित बच्चा उम्र में बड़ा है तो उसे स्वस्थ आहार को खिलाया जा सकता हैं। इसके लिए आप नीचे दिए हुए कुछ खाने के विकल्प का चयन कर सकते हैं। 

  • कुछ प्रोटीन उत्पाद जैसे मसूर दाल बींस राजमा अंडे उबला मास
  • फल और सब्जिया
  • डेरी उत्पाद
  • टाइफाइड से पीड़ित बच्चों को हमेशा गर्म और पका हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. टाइफाइड किस तरीके के रहन-सहन के कारण होता है? 

टाइफाइड बीमारी गंदे पानी के सेवन या गंदे रहन-सहन के कारण होती है। 

Q. टाइफाइड एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है? 

टाइफाइड एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पानी के कांटेक्ट से या मल मूत्र के कांटेक्ट में आने से होता है। 

Q. टाइफाइड की पहले से रोकथाम कैसे की जा सकती है? 

टाइफाइड की पहले से रोकथाम साफ सफाई रखकर की जा सकती है। 

Q. टाइफाइड बीमारी होने पर हमें कौन सा आहार अपनाना चाहिए? 

टाइफाइड बीमारी होने पर हमें डेयरी उत्पाद फल मीट सब्जियां आदि चीजों को खाना चाहिए। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों में टाइफाइड के लक्षण कारण बचाव का उपाय (Typhoid ke symptoms,reasons aur bachav)के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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