12 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल | 12 Mahine Ke Shishu Ka Vikas

शिशु धीरे-धीरे जब बड़ा होता है। माता पिता अपने शिशु की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं कि वह कितनी उम्र में क्या-क्या गतिविधियां कर रहा है। उसकी उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसकी गतिविधियों में भी बदलाव आता रहता है। शिशु जब 12 महीने का हो जाता है तब तब उसकी गतिविधियां क्या होगी (12 Month ke shishu ki gatividhi) एवं उसकी देखभाल कैसे की जा सकती है। इसके विषय में अधिकतर माता-पिता जानने की इच्छा होती है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको 12 महीने के बच्चों की गतिविधियां विकास और देखभाल (12 Month ke shishu ki gatividhi, vikas, dekhbhal) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

12 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

12 महीने का बच्चा काफी बड़ा हो जाता है। (12 month ke sisu ka weight and height) उसकी गतिविधियां भी तेज होने लगती हैं। 12 महीने के बच्चे की वजन और हाइट भी काफी अच्छी रहती है। 12 महीने के बेबी गर्ल की हाइट 75 सेंटीमीटर होती है और उसका वजन 8 से 10 किलोग्राम के बीच होता है।12 महीने के बेबी बॉय की हाइट 75 सेंटीमीटर होती है और उसका वजन 8 किलो से 11 किलोग्राम के बीच हो सकता है।

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नोट :

हर शिशु की लंबाई और वजन उसकी हेरेडिटी पर निर्भर करता है। सभी की लंबाई और वजन अपनी उम्र के हिसाब से एक जैसा नहीं होता थोड़े बदलाव अवश्य पाए जाते हैं। इसलिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं होती। यदि आप के शिशु का विकास बिल्कुल नहीं हो रहा है तब यह आपको विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

12 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

12 महीने में शिशु काफी बड़ा हो जाता है। (12 month ke sisu ke milestones) वह बहुत कुछ जानने और समझने लगता है। इस कारण बच्चे में बहुत सारे शारीरिक और भावनात्मक बदलाव आने लगते हैं। 12 महीने के शिशु मैं क्या-क्या परिवर्तन आते हैं। इसके विषय में जानकारी प्रदान की गई है।

मानसिक विकास

छिपी हुई वस्तुओं को ढूंढना :

12 महीने में शिशु काफी बड़ा हो जाता है वह अपनी चीजों को पहचाने लगता है। यदि पेरेंट्स के द्वारा उसे किसी भी चीज को दिया जाता है और वह समझ जाता है कि वह वस्तु उसकी है। यदि उसकी चीज को छुपा दिया जाए तो वह उसे घूमना प्रारंभ कर देता है। कई बार माता-पिता के साथ बेड ढूंढने और छुपाने का खेल भी खेलते हैं। जिससे उन्हें खुशी मिलती है और माता-पिता से उनकी पहचान और गहरी होती जाती है।

चीजों को पहचानना –

12 महीने के बच्चे चीजों को उनके नाम से पहचाने लगते हैं। यदि कोई उन्हें बॉल दिखाकर यह बता दे कि है। बॉल है तो उनके दिमाग में बॉल की एक प्रति उनके नाम के साथ छप जाती है। इसी प्रकार से किताब, बेट,माँ, पिता आदि सभी के नाम वह पहचानने लगता है।

चीजों को सही तरीके से उपयोग करना –

12 महीने के बच्चे चीजों को पहचानने के साथ-साथ उनका उपयोग करना भी सीख जाते हैं। वह अपने परिवार के लोगों को देखकर यह गतिविधियां सीखते हैं। कंघी का उपयोग बाल झाड़ने में और गिलास का उपयोग पानी पीने में जैसी चीजों का सही उपयोग करना सीख जाता है।

हाव भाव की नकल करना :

12 महीने की उम्र में बच्चे अपने बड़ों के हाव भाव को देखकर उनसे सीखने लगते हैं। यदि उसके माता-पिता रोने का भाव प्रकट करते हैं तो बच्चा भी उदास होकर रोने लगता है। इसलिए बच्चे के सामने जैसे भाव आप चाहते हैं वैसा ही रहना आवश्यक है।

आवाजों को दोहराना –

12 महीने के बच्चे हाव-भाव के अलावा आवाजों को  कराने की भी नकल करते हैं। चिड़िया या कौवे की आवाज को सुनकर उसको दोहराने का प्रयास करते हैं।

शारीरिक विकास

आसानी से बैठना :

शिशु बार में महीने में आसानी से बैठना प्रारंभ कर देते हैं। उन्हें किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं होती वह आसानी से बैठकर खेल सकते हैं।

कुछ देर के लिए खड़ा होना :

12 महीने का शिशु बिना सहारे के कुछ देर के लिए खड़ा होना प्रारंभ कर देता है। वह धीरे-धीरे कोशिश करके खड़ा होना शुरू कर देता है। माता-पिता को उसकी यह गतिविधि देखकर उसे चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे वह जल्दी से जल्दी चलना भी प्रारंभ कर सकता है।

फर्नीचर पकड़कर चलने की कोशिश करना –

खड़ा होने के साथ-साथ धीरे-धीरे बच्चा सहारा लेकर चलना प्रारंभ कर देता है। वह फर्नीचर को पकड़कर आगे बढ़ता रहता है। परंतु इस समय बच्चे पर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं उसे चोट ना लग जाए।

बिना सहारे के कदम बढ़ाना :

धीरे-धीरे सहारे से चलने के साथ-साथ वह बिना सहारे के चलना भी शुरू कर देता है। पेरेंट्स के लिए उनके बच्चे का बिना सहारे का चलना एक यादगार पल होता है। जब भी बच्चा बिना सहारे के चलता है।

 बच्चे के मन में भी खुशी उत्पन्न होती है और माता-पिता भी खुश होते हैं इसलिए इस उम्र में बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए।

चीजों को पकड़ना-रखना :

12 महीने का शिशु चीजों को पकड़ना शुरू कर देता है। कभी-कभी बच्चे की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि उसके यहां से किसी चीज को ले पाना मुश्किल हो जाता है। धीरे-धीरे बच्चे सामान को डिब्बे में रखना और निकालना भी सीख जाते हैं।

तर्जनी से चीजों को दिखाना –

12 महीने का शिशु चीजों को इशारे से समझना प्रारंभ कर देता है। यदि शिशु के सामने कोई चीज रख दी जाए तो वह इशारे से समझने लगता है। और अपनी उंगलियों से इशारा करके चीजों को मांगना शुरू कर देता है।

दांत आना :

शिशु का पहला दांत 6 महीने में आता है। 12 महीने में शिशु के 1 से 8 दांत आने प्रारंभ हो जाते हैं, वह दूध के अलावा अन्य चीजों का सेवन भी करना प्रारंभ कर देते हैं।

दृष्टि में सुधार –

शिशु जैसे जैसे बड़े होते हैं उनकी दृष्टि में भी सुधार होने लगता है.वह रखी हुई चीज को देख सकते हैं। इसके साथ ही वह चलती हुई चीज पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। 12 महीने के बच्चे किताबों में तस्वीर देखने लगते हैं और चीजों को समझना प्रारंभ करते हैं।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

बोलने की कोशिश करना :

12 महीने में शिशु ना सर इशारों को समझने लगता है बल्कि बोलना भी शुरू कर देता है। शिशु मामा दादा पापा मम्मी आदि शब्दों को बोलना प्रारंभ कर देता। वह दूसरे के शब्दों को समझने का प्रयास करता है और उसे दोबारा बोलने का प्रयास करता है।

निवेदन सुनना :

शिशु बातों को सुनने और समझने लगते हैं। यदि सिसु से किसी भी प्रकार का निवेदन किया जाए तो वह से समझने का प्रयास करते हैं। और उसके प्रति प्रतिक्रिया भी देते हैं यदि आपने शिशु से किसी चीज को मांगने का निवेदन किया है वह आपको वह चीज वापस करते हैं।

डर व्यक्त करना :

12 महीने का बच्चा अपने डर को व्यक्त करने के लिए अपने चेहरे के हाव भाव प्रकट करना शुरू कर देता ।है इसके अलावा वह रो कर भी अपने डर को व्यक्त करने का प्रयास करता है।

अजनबी के सामने चिंतित या शर्मिला स्वभाव :

12 महीने का बच्चा अजनबी और अपनों में फर्क समझने लगता है। वह अजनबी यों के सामने आकर असहज महसूस करने लगता है। जैसे जैसे वह बड़ा होता जाता है बच्चे का स्वभाव शर्मिला होता चला जाता है। जब है किसी अजनबी व्यक्ति से मिलते हैं तो वह शर्माने लगते हैं।

किसी खास व्यक्ति या वस्तु की तरफ रुझान –

जब बड़े होने लगते हैं उन्हें खास चीजों से लगाव होने लगता है वह जिस चीज को लगातार देखते रहते हैं। या जिस चीज का उपयोग करते रहते हैं। उन्हें उस चीज से लगाव हो जाता है इसके अलावा अपने आसपास रहने वाले हर व्यक्ति से वह लगाव जताने लगते हैं। सबसे ज्यादा लगाओ बच्चों को अपने माता-पिता से होता है इसलिए जब भी माता-पिता बच्चों की आंखों से ओझल हो जाते हैं वह रोने लगते हैं।

12 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं?

बच्चे के सही विकास के लिए बच्चे को रेगुलर टीके लगवाना आवश्यक है। (12 month ke sisu ke teeke) टीके से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे उन्हें बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है। 12 महीने के बच्चे को कौन कौन से टीके लगाए जाते हैं इसके विषय में नीचे प्वाइंट्स में जानकारी दी गई है।

  • टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (6 महीने के बाद)
  • हेप – ए 1
  • इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (यदि 6 महीने में नहीं दिया गया है)
  • मेनिंगोकोकल मेनिन्जाइटिस (Meningococcal meningitis)
  • जापानी इन्सेफेलाइटिस वैक्सीन (Japaneese encephalitis vaccine)

12 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

12 महीने के बच्चे के विकास के लिए पूरी नींद की जरूरत होती (12 month ke sisu ke liye zaroori neend)है। जन्म के बाद जब बच्चे बड़े होते हैं। धीरे-धीरे उनके नींद की आदतों में बदलाव आने लगता है।

 अगर 12 महीने के बच्चे की बात की जाए तो 12 महीने के बच्चे को 12 से 16 घंटे की नींद आवश्यक होती है। अच्छी नींद लेने से दिमाग को आराम मिलता है शिशु का विकास तेजी से होता हैं।

12 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां

12 महीने का बच्चा खेलना भी शुरू कर देता है। उसकी खेल गतिविधियों पर पेरेंट्स (12 month ke sisu ki khel gatividhi) को ध्यान रखना चाहिए। कि वह किस प्रकार के खेल पसंद कर रहा है। बच्चे के खेलने से बच्चे का शारीरिक विकास तेजी से होता है । नीचे कुछ खेल गतिविधियों के विषय में जानकारी दी गई है।

पजल या ब्लॉक खेल :

बाजार में बच्चों के लिए छोटे-छोटे ब्लॉक या पजल मिलते हैं।  पजल को सॉल्व करने से बच्चे के दिमाग का विकास होता है। पजल को सॉल्व करने से धीरे-धीरे बच्चे का दिमाग तेज होता रहता है। और उसे हर पहलू को समझने में मदद मिलती है।

शिशु से बात :

शिशु के साथ वक्त बिताना सबसे अहम कार्य होता है। आजकल जिंदगी में शिशु के साथ खेलना कूदना उसे समझना बहुत आवश्यक है। शिशु के साथ वक्त बिताने से शिशु भी अपने माता-पिता से प्रेम करने लगता है और वह उन्हें अच्छे से पहचाने लगता है।

संगीत सुनाएं :

शिशु को धीमी आवाज में मीठे संगीत सुनाने चाहिए। शिशु को लोरियां गाने कहानियां आदि सुनाने चाहिए जो उन्हें काल्पनिक लगे और मधुर प्रतीत हो।

आकार और गिनती के बारे में बताएं :

12 महीने का बच्चा धीरे-धीरे चीजों को समझने लगता है। इसलिए बच्चे को आकार और गिनती के बारे में सिखाना चाहिए धीरे-धीरे उससे अक्षर का ज्ञान कराना चाहिए। विभिन्न आकारों के विषय में जानकारी देनी चाहिए।

फलों और सब्जियों के बारे में बताएं :

शिशु के सामने जो भी वस्तु आए जैसे फल और सब्जियां आएं तो पेरेंट्स को उसके नाम बच्चे को बताने चाहिए। 12 महीने का बच्चा विभिन्न चीजों के नाम के अनुरूप चीजों को समझने लगता है ।

शरीर के अंगों के बारे में बताएं :

12 महीने के बच्चे को शरीर के अंगों के विषय में जानकारी देने की शुरुआत कर सकते हैं। उसे नाक कान हाथ पैरों के विषय में बता कर समझा सकते हैं कि यह शरीर के अंगों के विभिन्न नाम है। ऐसा करने से बच्चे धीरे-धीरे शरीर के अंगों के विषय में समझने लगते हैं।

12 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं (12 month ke sisu ki health problems)

दस्त या कब्ज

12 महीने का बच्चा ठोस आहार लेना प्रारंभ कर देता है वह विभिन्न चीजों को खाने लगता है। 12 महीने के बच्चे के अंदर किसी भी चीज को मुंह में डालने की आदत हो जाती है। कभी-कभी ध्यान ना देने के कारण मैं किसी गलत चीज को खा लेता है।

 जिसके कारण उसे उल्टी होने की समस्या होने लगती है। कभी-कभी यह दस्त या कब्ज बन जाता है इसलिए यदि बच्चा लगातार रो रहा है। यह वह पेट संबंधित समस्याओं से परेशान है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

अस्थमा या दमा

अगर बच्चा लगातार खास रहा है या उससे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। तो यह अस्थमा या दमा के लक्षण हो सकते हैं ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।

टीवी

अगर बच्चे को लगातार बुखार खांसी या ठंड लगने की समस्या हो रही है। तो यह टीवी के लक्षण हो सकते हैं इसके लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

बेबी स्वच्छता से जुड़ी कुछ बातें

नहाना

बच्चे के शरीर को साफ करने के लिए रोज नए लाना आवश्यक है। यदि रोज नहलाना संभव नहीं हो पा रहा है तो भी यह तौलिए से बच्चे के शरीर को साफ करना चाहिए मौसम के अनुसार गर्म या ठंडे पानी का उपयोग करना चाहिए।

दांत की सफाई

12 महीने के शिशु के दांत आ जाते हैं। और वह ठोस आहार भी खाना प्रारंभ कर देता है। इसलिए मुलायम भ्रष्ट से रोजाना शिशु के दांतो को साफ करना चाहिए।

हाथ धोना

12 महीने का बच्चा विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करता है। इसलिए समय-समय पर उसके हाथों को साफ करते रहना चाहिए। खाना खाने से पहले शिशु के हाथों को साफ करना चाहिए क्योंकि वह खुद भी खाना खाने का प्रयास करता है।

घर और खिलौनों की सफाई

12 महीने का बच्चा चलने लगता है इसलिए घर और खिलौने की सफाई करना आवश्यक है। घुटनों के बल चलने के कारण जो भी चीज उसे नीचे पड़ी हुई मिल जाती है। वह तुरंत उसे मुंह में डालने का प्रयास करता है।

 इसलिए सारी चीजों को बिल्कुल साफ सुथरा रखना चाहिए इससे बच्चे की बीमार होने की संभावनाएं कम होगी।

कपड़ों और बर्तन को साफ रखें

शिशु के कपड़े उनके तौलिए और बिछाई जाने वाली चादर को नियमित रूप से एंटीबायोटिक से साफ रखना चाहिए। इससे शरीर में इंफेक्शन होने की संभावनाएं कम होती हैं और बच्चे के बीमार होने का जोखिम नहीं रहता।

माता-पिता बच्चे के विकास में कैसे मदद कर सकते हैं?

एक छोटा बच्चा बना माता पिता की मदद (sisu vikas me parents ki help) के अपना विकास खुद नहीं कर पाता माता पिता शिशु के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। इसके विषय में जानकारी दी गई है।

  • बच्चा बड़ा होने पर माता-पिता को ज्यादा से ज्यादा वक्त चीजों के साथ बिताना चाहिए।
  • बच्चे को विभिन्न प्रकार की चीजों को दिखाकर उनकी पहचान करवाएं और उनके नामों के विषय में बताएं जिससे बच्चे की समझ विकसित होगी ।
  • घर को बेबी प्रूफ बनाकर रखना चाहिए घर में ऐसे किसी भी चीज को सामने नहीं रखना चाहिए। जो बच्चे के लिए खतरनाक हो चाकू कैंची आदि चीजों को सामने नहीं रखना चाहिए।
  • उन्हें कॉल करने से नीचे चलने दे और बिना सहारे के चलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • बच्चे के सामने लोरियां और कहानियों की किताबें पढ़ना शुरू करें जिससे कहानियों के शब्द बच्चे दोहराएं।

महीने के बच्चे के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?

  • अगर आपका बच्चा क्रॉल न करे।
  • अगर वो सहारे के साथ भी खड़ा न हो पा रहा हो।
  • अगर आपका बच्चा कुछ भी बोलना न सिखा हो।
  • हर वक्त रोता रहता हो या चिड़चिड़ा हो।
  • कोई हाव-भाव न देता हो।
  • अगर चीजों की तरफ इशारा न करता हो।
  • छुपाई हुई चीजों को न ढूंढ पा रहा हो।
  • जरूरत से ज्यादा सुस्त और शांत

इस महीने के लिए चेकलिस्ट

  • अपने शिशु की एक तस्वीर खींचा कर रखें और उस तस्वीर से शिशु को कंपेयर करें। कि आपके बच्चे की लंबाई या वजन में अंतर हुआ है या नहीं।
  • यदि बच्चा ठोस आहार लेने लगा है तो कोशिश करें कि उनकी बोतल से दूध पीने की आदत ही वीरे धीरे छूट जाए इसके लिए उन्हें कपिया गिलास में दूध पीने के लिए दें।
  • बच्चे को कौन सी वैक्सीन लगवानी है इसके विषय में सही जानकारी होना आवश्यक है।
  • डॉक्टर से शिशु का रूटीन चेकअप कराएं।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. 12 महीने के बच्चे के लिए कितने घंटे की नींद आवश्यक है?

12 महीने के बच्चे के लिए 12 से 16 घंटे की नींद आवश्यक है।

Q. 12 महीने के बेबी गर्ल की हाइट कितनी होती है?

12 महीने के बेबी गर्ल की हाइट 75 सेंटीमीटर होती है।

Q. 12 महीने के बेबी बॉय का वजन कितना होता है?

12 महीने के बेबी बॉय का वजन 8 से 10 किलोग्राम के बीच होता है।

Q. 12 महीने के शिशु में क्या गतिविधियां होती हैं?

12 महीने के शिशु कॉल करने लगते हैं चीजों को समझने लगते हैं चीजों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगते हैं शब्दों को बोलने लगते हैं।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको 12 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल (12 Mahine Ke Shishu Ka Vikas) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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