बच्चों को पढ़ाने के 18 सबसे अच्छे तरीके | Bacho Ko Padane Ka Tarika

हर माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही पढ़ाई की ट्रेनिंग देने लगते हैं वह उन्हें बचपन से ही अपने घर पर पढ़ाना शुरू कर देते हैं। जब बच्चा मां की गर्भ में होता है। तो मां बहुत सी दवाइयों का सेवन करती है जिससे उनके बच्चे का दिमाग बहुत ही तेज हो जब बच्चा दुनिया में जन्म लेता है तो मां उसे हर पौष्टिक आहार खिलाने की कोशिश करती है। जिससे उनके बच्चे का दिमाग बहुत अच्छा हो उनके बच्चे पढ़ाई में तेज निकले जब बच्चे पढ़ना शुरू कर देते हैं तो माता-पिता बचपन से ही उन्हें एक बहुत अच्छे स्कूल में दाखिला दीलाते हैं जिससे बच्चे की शुरुआती नीव ही मजबूत हो। बच्चे की नींव मजबूत होने से बच्चे को आगे पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है।

स्कूल के साथ-साथ माता-पिता बच्चे को घर में भी पढ़ाई का पूरा माहौल देने का प्रयास करते हैं। माता-पिता हमेशा यह प्रयास करते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में अब्बल हो जिससे वह अपने भविष्य में बहुत कुछ बेहतर कर सकें और अपने माता-पिता और अपना नाम रोशन कर सके ।

आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चे को पढ़ाने के 18 महत्वपूर्ण टिप्स बताने वाले हैं। क्योंकि कभी-कभी बच्चा मेहनत तो बहुत करता है। परंतु उसका फल उसे नहीं मिल पाता इसलिए यह जानना बहुत आवश्यक है कि बच्चे को पढ़ाने का सही तरीका क्या है। यदि आप भी इस विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

बच्चों को पढ़ाने के 18 सबसे अच्छे तरीके | Bacho Ko Padane Ka Tarika

जब बच्चा पढ़ाई की शुरुआत करता है तो उसका दिमाग बिल्कुल खाली होता है। उसमें जिस तरीके से चीजें डाली जाती है उस तरीकों से उन्हें ग्रहण करने लगता है माता पिता को कभी भी बच्चे को जोर जबरदस्ती या डांट फटकार कर नहीं पढ़ाना चाहिए। यदि पेरेंट्स के द्वारा बच्चों पर जबरदस्ती की जाएगी तो बच्चे कभी भी पढ़ाई करने में रुचि नहीं दिखाएंगे। इसलिए बच्चों के साथ बच्चा बनकर उन्हें खेल खेल के द्वारा पढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। हमें किसी भी बात को बहुत ही प्रेम से समझाना चाहिए। नीचे हमने बच्चों को पढ़ाने के कुछ तरीकों के विषय में बात की है।

1. बच्चे के साथ बैठें (Sit with child)

बच्चों को घर पर पढ़ाते समय माता पिता को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाते समय उनके पास ही बैठे रहे बच्चे पर ध्यान पूर्वक नजर रखें। ऐसा नहीं होना चाहिए कि माता बच्चे को पढ़ाते समय अपने घर के कामों में व्यस्त हैं। इससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चा अपना ध्यान अपने विषय से हटाकर किसी और काम में लगा सकता है।

इसलिए माता को बच्चे के पास बैठकर उसे देखते रहना चाहिए बच्चे को पढ़ाते समय माता-पिता को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के सामने कभी भी मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे का ध्यान भटकता है और बच्चे का भी ध्यान मोबाइल की ओर पहुंच जाता है। इसलिए जब भी आप बच्चे को पढ़ाते हैं तो लगातार उसके पास बैठ कर पढ़ाई और उसके द्वारा की गई गलतियों को तुरंत सुधारें।

2. ग्रेड्स को लेकर दबाव न डालें (Don’t pressurise for grades)

दुनिया की सभी माता-पिता यह चाहते हैं कि उनका बच्चा क्लास में टॉप करें। परंतु एक कक्षा में सभी बच्चों का टॉप कर पाना मुश्किल होता है माता पिता को बच्चे पर यह दबाव नहीं बनाना चाहिए  कि उन्हें सबसे अच्छे मार्क्स लाने हैं। बल्कि माता-पिता को बच्चे की सीखने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए माता-पिता को इस बात का अधिक ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा कितनी सरलता के साथ ज्ञान को प्राप्त कर रहा है जब भी बच्चा स्कूल से घर आए तो उससे पूछना चाहिए कि आज उसने नया क्या सीखा।

बच्चों के द्वारा लाए गए ग्रेड जीवन में कभी भी काम नहीं आते हर क्षेत्र में परीक्षा होती है और जो परीक्षा को पास करता है वही आगे जाता है इसलिए बच्चे के ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए बच्चे को प्रेरित करें जो कि भविष्य में बच्चे का ज्ञान ही उसके काम आता है।

3. बच्चे के पक्ष में रहें (Be in side of child)

जब बच्चा पढ़ाई की शुरुआत करता है तब कुछ बच्चे तो पढ़ाई के प्रति आकर्षित होते हैं और अच्छे से पढ़ाई करते हैं परंतु कुछ बच्चों को पढ़ाई करना बिल्कुल पसंद नहीं होती। ऐसे बच्चों के लिए माता पिता को कभी भी नकारात्मक रवैया नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि बच्चे का मन कोमल होता है और जिस प्रकार का व्यवहार माता-पिता उसके साथ करने लगते हैं। वह उसी व्यवहार को ग्रहण कर लेता है यदि बच्चे को डांट फटकार कर जबरदस्ती पढ़ाने के लिए बैठाया जाता है तो बच्चे के मन में डर बैठ जाता है। और बच्चा अपनी पढ़ाई के प्रति पूरा ध्यान नहीं लगा पाता। इसलिए माता-पिता को बच्चे के मनोदशा को समझना चाहिए और उसके अनुसार बच्चों से व्यवहार करना चाहिए।

यदि बच्चा पढ़ने के लिए मना कर रहा है तो बच्चे को कुछ समय का ब्रेक देना चाहिए बच्चे को दोबारा पढ़ने के लिए मनाना चाहिए और उसके बाद जब बच्चे का मन है। उसे पढ़ने के लिए बैठाना चाहिए माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे से कभी भी गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए।

4. पढ़ाई की बात करें (Talk about studies)

बच्चों को गृह कार्य कराते समय बच्चे के स्कूल के विषय में उससे बात करें। बच्चे से यह जानकारी लें कि विभिन्न विषयों में आज बच्चे ने क्या सीखा उसे कौन सा विषय सबसे अधिक पसंद है तथा कौन सा विषय पढ़ने में उसे रुचि नहीं है। उससे यह जानने का प्रयास करें कि उसे सबसे अच्छा अध्यापक कौन सा लगता है जिस भी विषय में बच्चे को रुचि नहीं है उस विषय को ग्रैफिक्स वीडियो य चित्र के द्वारा बच्चों को पढ़ाने का प्रयास करें वीडियो और चित्रों के माध्यम से बच्चे को विषय में रुचि उत्पन्न होती है। और विषय को पढ़ने से बच्चा और भी नहीं होता धीरे-धीरे बच्चे के ज्ञान में विषय के प्रति वृद्धि होने लगती है और उसकी रुचि जाग्रत हो जाती है।

5. पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं (Make schedule of study)

कुछ परिवारों में बच्चे का होमवर्क कराने के बाद पेरेंट्स बिल्कुल फ्री हो जाते हैं परंतु सिर्फ होमवर्क कराने से बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं होगा। बच्चे को एक अच्छा छात्र बनाने के लिए बच्चे की पढ़ाई का शेड्यूल तैयार करना चाहिए एक चार्ट के माध्यम से बच्चे के दिनभर की क्रियाओं को चार्ट पर उतारना चाहिए। इस चार्ट पर बच्चे के पढ़ने के टाइम तथा खेलने की टाइम को निश्चित करना चाहिए हर दिन बच्चा कौन से विषय को कब पड़ेगा यह सारी बातें इस चार्ट में अंकित करनी चाहिए।

बच्चे के लिए बनाया गया शेड्यूल बिल्कुल संतुलित होना चाहिए इसमें बच्चे के लिए खेलने पढ़ने खाने, सोने सभी का समय एकदम व्यवस्थित होना चाहिए। शेड्यूल के द्वारा बच्चे को उसका समय अंतराल भली-भांति पता होगा और वह अपनी पढ़ाई के प्रति भी बिल्कुल सजग रहेगा।

6. पढ़ाई का माहौल बनाएं (Study friendly atmosphere)

बच्चे को पढ़ाने के लिए उसको घर पर पढ़ाई का माहौल देना बहुत अधिक आवश्यक है क्योंकि यदि बच्चा पढ़ना चाहता है। और समय-समय पर उसे डिस्टर्ब किया जा रहा है तो ऐसे बच्चा नहीं पढ़ पाएगा। बच्चों को पढ़ाने के लिए उसे शांत माहौल देना चाहिए जिसमें किसी भी प्रकार का शोर-शराबा ना और ना ही टीवी की आवाज  हो टीवी की आवाज बच्चे को आकर्षित कर सकती है। और बच्चे का ध्यान पढ़ाई से भटक सकता है।

बच्चे को पढ़ाई का माहौल देने के लिए उसका एक स्टडी रूम तैयार करना चाहिए उसे स्टडी रूम में पहाड़, तथा उसकी किताब से संबंधित चित्रों को लगाना चाहिए। इससे बच्चे आकर्षित होंगे और एक बेहतर माहौल के साथ पढ़ाई कर पाएंगे।

7. बच्चे के टीचर से भी मिलें (Meet teacher)

बच्चे के विषय में जानने के लिए बच्चे की टीचर से मिलना बहुत अधिक आवश्यक है क्योंकि बच्चे का टीचर उसकी कक्षा उसकी सारी गतिविधियों को देखता रहता है। उसके विषय में एक सोच विकसित कर लेता है। जब पेरेंट्स की टीचर से बात होती है तो टीचर बच्चे के विषय में पूरी जानकारी देता है टीचर बच्चे को यह बताता है कि बच्चे की क्लास में क्या परफॉर्मेंस है। बच्चा क्लास में कितना एक्टिव है तथा उसका सहपाठियों के साथ क्या व्यवहार है बच्चा शांत स्वभाव का है या बच्चा लड़ाई झगड़े वाला है। यदि आपका बच्चा कमजोर है तो टीचर से बात करनी चाहिए के बच्चे को किस प्रकार बेहतर बनाया जा सकता है।

8. बच्चे के पढ़ने के तरीके को समझें (Understand method of study)

बच्चे विभिन्न तरीकों के द्वारा पढ़ना पसंद करते हैं पेरेंट्स को यह पता लगाया चाहिए कि कि बच्चे किन तरीकों से पढ़ना पसंद कर रहे हैं। आजकल पढ़ाई के बहुत सारे तरीके आ गए हैं बच्चे रीडिंग, राइटिंग, राइमिंग आदि तरीकों के द्वारा पढ़ाई करना पसंद करते हैं। माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा जिस भी तरीके से पढ़ाई कर रहा है। उसे उसी तरीके के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए दूसरे तरीके से पढ़ाई करने या अपने तरीके से पढ़ाई करने के लिए बच्चे पर दबाव नहीं डालना चाहिए।

आजकल फोन का चलन  बड़े पैमाने पर है बच्चे लैपटॉप फोन कंप्यूटर के द्वारा कहानियों से राइम्ज़ करना सीखते हैं तथा कहानियां के द्वारा विभिन्न विषयों के बारे में बहुत ही आसानी से सीख जाते हैं। इसलिए बच्चा जिस भी तरीके से पढ़ाई करना पसंद कर रहा है उसके तरीके को समझे और बच्चे को सपोर्ट करें।

9. बच्चे के साथ पढ़ाई का लक्ष्य तय करें (Make targets of syllabus)

बच्चे को पढ़ाई करते समय किस दिशा में बच्चे को रुचि है उसके अनुसार इसका लक्ष्य भाग करना चाहिए जब तक बच्चे को समझ नहीं आया। तब तक उसके माता-पिता ही उसके लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए उत्तरदाई हैं। यदि बच्चे को विज्ञान में ज्यादा लगाव है तो उसे अधिक से अधिक विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करवाना चाहिए। जिससे विज्ञान विषय में मैं अपना भविष्य बना सकें पढ़ाई कराने के साथ-साथ बच्चों को उसके भविष्य के विषय में सजग रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए ।जिससे बच्चा अपनी इमेज उसी प्रकार से तैयार कर सकें जैसा उसे आगे चलकर बनाना है।

माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि उन विषयों पर ज्यादा ध्यान दें जिसमें वह रुचि रखता है। उस विषय के बारे में बच्चे को संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए बच्चों को प्यार से समझाते हुए अपने लक्ष्य के लिए प्रेरित करना चाहिए।

10. पढ़ाई का महत्व बताएं (importance of education)

बच्चे को पढ़ाई करवाने के साथ-साथ बच्चे को पढ़ाई के महत्व को समझाना चाहिए। बच्चे को यह बताना चाहिए कि वह पढ़ाई के द्वारा अपने भविष्य में कितनी सारी ऊंचाइयों को छू सकता है। उसे उन महान हस्तियों का उदाहरण देना चाहिए जिन्होंने पढ़ाई करके बड़े-बड़े मुकाम हासिल कीय है। बच्चे को यह बताना चाहिए कि पढ़ाई के द्वारा व्यक्ति जो भी अपने जीवन में बनना चाहता है बन सकता है। और कितनी सुख सुविधाएं प्राप्त कर सकता है। बच्चे को यह समझाना चाहिए कि पढ़ाई के द्वारा समाज में व्यक्ति को कितने मान सम्मान के साथ रहने का दर्जा प्राप्त होता है पूरा समाज व्यक्ति को एक सभ्य पुरुष के रूप में देखता है।

बच्चे को दूसरे का उदाहरण देते वक्त बच्चे की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं करनी चाहिए इससे बच्चों के अंदर की भावना पैदा हो सकती है।

11. विफलताओं से सीखने में मदद करें (Help in faileure)

यदि बच्चे के कक्षा में अच्छा ग्रेड नहीं आ रहा है तथा बच्चा पढ़ाई में अच्छी तरीके से परफॉर्म नहीं कर पा रहा है तो बच्चे को डांटना फटकार ना या डराना नहीं चाहिए। बच्चे को उसकी पढ़ाई में मदद करनी चाहिए तथा उसकी कमियों को पहचानना चाहिए कि बच्चा कहां पर गलती कर रहा है। बच्चे को इन गलतियां को सुधारने में मदद करनी चाहिए बच्चे के साथ प्यार से पेश आना चाहिए। तथा उन्हें अगली बार अच्छे नंबर लाने के लिए उनकी मदद करनी चाहिए उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए और एक बेहतर भविष्य की राह दिखानी चाहिए।

12. बच्चे के चीजों में दिलचस्पी दिखाएं (Interest in equipment)

बच्चे को विभिन्न प्रकार के स्टेशनरी का सामान दिलवाना चाहिए। इससे बच्चा पढ़ने के लिए प्रेरित होता है। इसे विभिन्न विभिन्न प्रकार की चीजों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। माता-पिता इन चीजों के विषय में बच्चे से बात भी कर सकते हैं। जैसे पेन, पेंसिल का आविष्कार किसने ,कब और कैसे किया। इसके विषय में बच्चे से बात की जा सकती है और उसे ज्ञान प्राप्त करवाया जा सकता है।

यदि आप बच्चे को ले जा रहे हैं तो आपको भी बच्चे की स्टेशनरी का सामान अपने साथ लेकर चलें। इससे बच्चा अपने माता पिता से जुड़ा महसूस करेगा। बच्चे के मन में हमेशा या बाद में रहेगी कि उसके माता-पिता उसकी चीजों के विषय में कितना ख्याल रखते हैं। माता-पिता से प्राप्त जानकारी बच्चा अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेगा और बच्चे की पढ़ाई में रुचि उत्पन्न होगी ।

13. बच्चे को भाषण देने से बचें (Don’t give lectures )

कुछ पेरेंट्स अपने बच्चे के साथ बहुत सख्त रवैया अपनाते हैं। मैं अपने बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए उसे बात-बात पर डांटते है। बच्चे को हर समय डांटने के कारण बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है तथा उसके मन में हीन भावना जागृत हो सकता है। कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं। जो बच्चे की हर हरकत पर नजर रखते हैं तथा थोड़ी सी गलती करने पर ही रहे उसे बहुत तेज से डांटने लगते हैं। इसके कारण बच्चे के मन में किसी भी कार्य को करने से पहले यह डर बना रहता है कि कहीं उसकी डांट ना पड़ जाए। इसलिए बच्चे को बात-बात पर खरी-खोटी नहीं सुनानी चाहिए यदि बच्चा कोई शैतानी की हरकत कर भी रहा है। तो कभी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि अपनी शैतानियां के द्वारा बच्चे कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं।

14. बच्चों की उपलब्धियों की प्रशंसा करें (compliments on achivements)

यदि बच्चा कोई अच्छा कार्य कर रहा है तो माता-पिता को उसकी प्रशंसा अवश्य करनी चाहिए। इससे बच्चा आगे और अच्छा करने के लिए प्रेरित होता है। यदि बच्चा अपने कक्षा में कोई रैंक प्राप्त कर रहा है या उसका कक्षा में व्यवहार बहुत ही अच्छा है तो माता-पिता को बच्चे की तारीफ करनी चाहिए। यदि अच्छा कार्य करने के बावजूद भी उसे कोई शाबाशी प्राप्त नहीं हो रही तो वह आगे वैसा काम करने के लिए प्रेरित नहीं होता। बच्चा अगर कक्षा में किसी भी प्रकार की खेलकूद आदि एक्टिविटी करता है। तब भी माता-पिता को उसकी प्रशंसा करनी चाहिए और इससे आगे और अच्छे काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

यदि बच्चा किसी कार्य को करने के लिए पार्टिसिपेट करता है। परंतु वह हार जाता है तो बच्चे का मनोबल कम नहीं करना चाहिए बल्कि आगे और मेहनत करके और अच्छा करने के लिए बच्चे को प्रेरित करना चाहिए।

15. अनुशासन में रहें (Be in discipline)

बच्चे को पढ़ाते समय पेरेंट्स को पूरे अनुशासन में रहना चाहिए। अनुशासन का मतलब बच्चे के साथ कढ़ाई का व्यवहार करना नहीं होता। अनुशासन का अर्थ बच्चे को अच्छे से समझाना होता है कुछ टीचर बच्चे को पढ़ाते समय उसको इतनी तेज डांटते हैं। कि वह दोबारा किसी भी प्रश्न को टीचर से पूछने में कतर आता है। इसलिए माता-पिता को बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार रखना चाहिए जिससे बच्चा विषय से संबंधित किसी भी प्रकार के सवाल को बेझिझक अपने अध्यापक या माता-पिता से पूछ सके और उनका उत्तर अच्छे से समझ सके।

16. बच्चे को लालच ना दें (Never greed the child)

बच्चे को पढ़ाई करने के लिए या किसी भी प्रकार का कार्य कराने के लिए कभी भी चॉकलेट, टॉफी या पैसों का लालच नहीं देना चाहिए। बच्चों को यह नहीं कहना चाहिए कि पढ़ाई करने पर उन्हें इनाम दिया जाएगा इससे बच्चों को इसकी आदत लग सकती है और वह हर कार्य करने के लिए इनाम की मांग कर सकते हैं।

जब भी बच्चे को आप लालच देकर पढ़ाई करवाएंगे तो उनका ध्यान हमेशा उसी नाम पर लगा रहेगा कि कब तक अपने कार्य को खत्म करेंगे और कब उन्हें वह इनाम प्राप्त होगा। इसलिए बच्चे को कभी भी नाम देकर नहीं पढ़ाना चाहिए। बच्चा यदि क्लास में अच्छी ग्रेड से पास होता है तो बच्चे को उपहार देना चाहिए बच्चे को उपहार भी खास मौकों पर देना चाहिए जिससे बच्चे को इसकी आदत ना लगे।

माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादातर दिए गए उपहार पढ़ाई से संबंधित होने चाहिए जैसे पेंसिल बॉक्स, कलर बॉक्स, जमेट्री बॉक्स आदि उपहारों को बच्चों को देना चाहिए। जिससे बच्चा इनके विषय में जानकारी प्राप्त करें और माता-पिता से इस विषय में बात भी कर सके।

17. पढ़ाई को खेल की तरह लें (Learning through games)

बच्चों को खेल खिलाकर पढ़ाने का तरीका बहुत ही आसान तरीका है इसमें बच्चे कभी भी आनाकानी नहीं करते बच्चे को बचपन से ही खेल खेल कर पढ़ाने से बच्चे को पहले ही आधा पाठ्यक्रम याद करवाया जा सकता है। जब वह कक्षा में जाते हैं तो वह अच्छी तरीके से कक्षा के पाठ्यक्रम को ग्रहण कर पाते हैं। आज बाजार में बहुत सारे प्रकार के गेम्स पाए जाते हैं जो बच्चों को खेल खेल के माध्यम से पढ़ाने का तरीका बताते हैं।

जब बच्चे स्कूल में प्रवेश करेंगे तो उनका याद किया हुआ सारा पाठ्यक्रम रिवीजन हो जाएगा और वह चीजों को ठीक प्रकार से ग्रहण करेंगे। जब बच्चे रेगुलर स्कूल जाने लगे तो बच्चों को यह समझाना चाहिए कि पढ़ाई भी एक खेल है और उसको भी एक शेड्यूल बना कर करना चाहिए। इसको पूरे मेहनत से एवं मन लगाकर पढ़ना चाहिए। उन्हें पढ़ाई के महत्व को भी बच्चों को समझाना चाहिए।

18. बच्चों की मदद करें (Help your child)

यदि माता-पिता बच्चे को पढ़ाई तो बच्चे के साथ एकदम दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए। बच्चे जब भी गलतियां करें तो बच्चे की गलतियों को प्यार से सुलझाना चाहिए। यदि माता-पिता बच्चे के साथ फ्रेंडली व्यवहार तू बच्चा माता-पिता से दोबारा प्रश्न पूछने में नहीं डरेगा। यदि बच्चा पेरेंट्स से प्रश्न पूछने और अपने डाउट क्लियर करने से डरता है तो वह अपने कन्फ्यूजन को कभी भी क्लियर नहीं कर पाएगा और धीरे-धीरे उसकी पढ़ाई के प्रति रुचि कम होती चली जाएगी। माता पिता को कभी भी डांट फटकार कर बच्चे को नहीं पढ़ाना चाहिए। बच्चे की पढ़ाई के लिए घर में एक माहौल तैयार करना चाहिए अच्छे माहौल को देखकर बच्चे खुद ही पढ़ाई के लिए प्रेरित होगा।

बच्चे को जहां कहीं भी मदद की आवश्यकता हो माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को उसकी गलतियों को सुधारने में मदद करें।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आप को बच्चों को पढ़ाने के 18 बेस्ट तरीके बताएं है। इन तरीकों को अपनाकर आप ही अपने बच्चे को बहुत बेहतरीन तरीके से पढ़ा सकते हैं एवं उसे एक बेहतर छात्र बना सकते हैं।

वैसे तो हमने आपको आर्टिकल को पूरा समझाने का प्रयास किया है। परंतु फिर भी अगर आपके मन में आर्टिकल से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए वह कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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