गर्भावस्था का पांचवां महीना – लक्षण, बच्चे का विकास और शारीरिक बदलाव

जब एक मां गर्भावस्था के दौर से गुजर रही होती है उसके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं बदलाव अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी हो सकते हैं। भीतरी भी होते हैं और बाहरी भी होते हैं शरीर के अंदर गर्भावस्था के समय बहुत सारी परेशानियां मां को झेलनी पड़ती हैं तथा बाहरी रूप से भी बच्चा विकसित होने के कारण मां का पेट बढ़ने लगता है। उनके चेहरे पर भी गर्भावस्था की चमक साफ दिखाई देने लगती है। इतनी परेशानी होने के बाद भी मम्मा तो की खुशी मां के चेहरे पर साफ दिखाई देती है मैं अपनी परेशानी को कभी भी किसी के सामने नहीं जाहिर होने देती।

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गर्भावस्था में 5 महीने यानी 70 में से 20 में हफ्ते के बच्चे के विकास और उसके अंदर होने वाले शारीरिक बदलाव के विषय में बात करेंगे। इस समय बच्चे का विकास ठीक प्रकार से हो जाता है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको 5 महीने का बच्चा होने पर लक्षण बच्चे का विकास उसके शारीरिक बदलाव मां की देखभाल तथा पांचवें महीने में क्या-क्या व्यायाम करने चाहिए इसके विषय में जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आपके परिवार में भी कोई गर्भवती महिला है और आप उसके विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

गर्भावस्था में 5 महीने के लक्षण (5 month symptom of pregnancy)

जब महिला गर्भवती होती है उसके शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कुछ लक्षण पहले महीने से 9 महीने तक समान रहते हैं परंतु कुछ लक्षण समय-समय पर बदलते रहते हैं। गर्भावस्था में 5 महीने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं इस विषय में हम आपको बताने जा रहे हैं।

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थकान होना:

जैसे जैसे बच्चे का वजन बढ़ता है तथा बच्चे की ग्रोथ होती है और मां के अंदर भजन को झेलने की शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती है। इसलिए मां को थकान महसूस होती है। गर्भावस्था के पांचवे महीने में यदि मां थोड़ा भी काम करती है तो उससे जल्दी ही थकान महसूस होने लगती है।

पीठ दर्द होना:

गर्भावस्था के पांचवे महीने पर जैसे-जैसे शिशु का आकार बढ़ता रहता है। गर्भाशय के नीचे के अंगों तथा पीठ में दर्द होने लगता है। पीठ में दर्द होना एक सामान्य समस्या है कुछ गर्भवती महिलाओं को पीठ का दर्द पूरी कर व्यवस्था के समय जिला पड़ता है।

सिर दर्द होना:

गर्भावस्था के दौरान कब्ज और गैस की समस्या सामान्य समस्या है शरीर के अंदर जब थोड़ा बदलाव होता है। शरीर को उन बदलाव को ग्रहण कर पाने में थोड़ा समय लगता है इसलिए गैस के कारण सिर में दर्द रहता हैं ।

नाखून कमजोर पड़ना:

गर्भावस्था के पांचवे महीने में सामान्यता नाखून कमजोर पड़ने का लक्षण सबसे अलग लक्षण है। गर्भावस्था के पांचवे महीने में नाखून अपने आप कमजोर पढ़कर टूटने लगते हैं। यह समस्या शरीर में कैरेट इन की कमी के कारण होता है इसीलिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का खास ख्याल रखा जाता है।

मसूड़ों से खून आना:

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना एक सामान्य समस्या है। शरीर में विटामिन दिखी कमी और हार्मोन में बदलाव के कारण मसूड़ों से खून आ सकता है। सामान्यता सभी गर्भवती महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।

सांस लेने में तकलीफ होना :

जब मां गर्भवती होती है तब बच्चे के विकास के लिए शरीर के द्वारा एक हार्मोन अधिक मात्रा में निकाला जाता है। जिसे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कहते हैं प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण माता को सांस लेने में तकलीफ होती है। यदि मां के गर्भाशय में एक से अधिक बच्चे का विकास हो रहा है तब मां के घर पर अधिक जोर पड़ता है और उसके डायाफ्राम को प्रभावित करता है। डायाफ्राम पर प्रेशर बढ़ने के कारण मां को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

योनि से सफेद पानी आना :

जब मैं 5 महीने की गर्भवती होती है उस समय मां के योनि से सफेद रंग का स्त्राव आता है व्यस्त रहना ज्यादा गाढ़ा ना ज्यादा पतला होता है। इसमें किसी भी प्रकार की जलन या गंध नहीं होती है। योनि से सफेद पानी आना साफ-साफ मालूम पड़ जाता है इसलिए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना महिला के लिए उचित रहेगा।

भूलने की समस्या:

गर्भावस्था के समय माता के अंदर विभिन्न प्रकार के हार्मोन अल बदलाव होते हैं। इन हार्मोन अल बदलाव के कारण गर्भवती महिला को भूलने की समस्या होने लगती है। वह किसी भी चीज को थोड़े समय के पश्चात भूलने लगती है जैसे कोई सामान किसी स्थान पर रख कर बोलना आदि समस्याएं होने लगती हैं। परंतु गर्भावस्था से निकलने के बाद यह समस्या ठीक हो जाती है।

टखनों में सूजन आना और पैरों में दर्द होना :

हर गर्भवती महिला को सामान्यता सूजन और पैरों में दर्द की दिक्कत रहती है। 5 महीने के शिशु का विकास करने के लिए शरीर के भीतर रक्त अधिक मात्रा में बनता है। अधिक मात्रा में रक्त बनने के कारण पैरों की नसें ब्लॉक हो जाती हैं। खून का स्त्राव पैरों से सिर की ओर नहीं हो पाता जिस कारण टखनों में सूजन और पैरों में दर्द होता है। पैरों की लगातार मालिश करने से इस समस्या से निजात पाया जाता है।

गैस व कब्ज रहना :

शरीर के अंदर होने वाले बहुत सारे बदलाव के कारण शरीर में गैस व कब्ज गर्भवती महिला को होने वाली सामान्य दिक्कतें हैं।

कभी-कभी चक्कर आना:

जब महिला गर्भवती होती है वह दो जिंदगियां चला रही होती है। एक अपनी जिंदगी और एक अपने शिशु की जो पौष्टिक आहार महिला द्वारा ग्रहण किए जाते हैं। वह उसके शिशु और महिला के बीच बट जाते हैं आहार के बंटवारे के कारण कभी-कभी गर्भवती महिला को चक्कर आने की समस्या हो सकती है। चक्कर सामान्यता कमजोरी के कारण आते हैं इसलिए माता के स्वास्थ्य का बहुत अधिक ध्यान रखना आवश्यक होता है।

नाक से खून आना :

शिशु के विकास के कारण शरीर में बहुत अधिक मात्रा में रक्त का स्त्राव होता है। शरीर में रक्त की अधिकता के कारण कभी-कभी माता की नाक से खून आने लगता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिला का  खास ख्याल रखना चाहिए।

नोट- ऊपर दिए गए सारे लक्षण 5 महीने की गर्भावस्था के दौरान होने वाले सामान्य लक्षण है। यदि इन समस्याओं के अलावा महिला को और भी समस्याएं होती हैं तब डॉक्टर से संपर्क करना अति आवश्यक है। महिला का चेकअप लगातार डॉक्टर से करवाते रहें और उसके स्वास्थ्य के विषय में परामर्श लेते रहना चाहिए।

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में शरीर में होने वाले बदलाव (Changes inside mother in 5 month pregnancy)

5 महीने की गर्भवती महिला के अंदर सामान्यता कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं 5 महीने में बच्चे का विकास हो जाता है और मां का पेट बड़ा दिखाई देने लगता है। मां के बड़े पेट को बेबी बंप कहा जाता है पांचवे महीने से माता को इस बेबी बंप को संभाल ले की आदत डालनी चाहिए। शरीर में होने वाले दूसरे बदलाव के विषय में नीचे हम आपको जानकारी देंगे

गर्भाशय का आकार:

5 महीने के बच्चे का आकार बड़ा होने के कारण मां के पेट का आकार बढ़ जाता है। मां का पेट एक फुटबॉल जितना बड़ा हो सकता है इसलिए माता को इस समय से टाइट कपड़े नहीं पहने चाहिए गर्भवती महिला को इस समय से ढीले ढाले कपड़े पहन कर रहना चाहिए। क्योंकि पुराने कपड़े अब महिला को फिट नहीं आ पाएंगे।

पेट पर खिंचाव :

गर्भावस्था के दौरान पेट बढ़ने पर शरीर की सेल्स यानी लिगामेंट बढ़ते हैं जिस कारण खिंचाव के निशान पेट पर दिखाई दे सकते हैं। यह निशान सामान्यता हर गर्भवती महिला के अंदर दिखाई पड़ते हैं इन निशानों को स्ट्रेच मार्क क्रीम द्वारा ठीक किया जा सकता है।

हाथों में गर्माहट:

हाथों में गर्माहट सामान्यता महिलाओं में शरीर के अंदर अधिक मात्रा में रक्त स्त्राव के कारण होता है बच्चे के विकास के कारण शरीर के भीतर अधिक मात्रा में रक्त का इस तरह होता है। जिस कारण शरीर की नसें ब्लॉक होने लगती हैं हथेलियों पर लाल लकीरें भी उभर कर आ सकती हैं।

बालों में बदलाव :

गर्भावस्था के पांचवे महीने में बालों में भी बहुत अधिक बदलाव देखने को मिलता है। जब महिला गर्व से होती है उसके अंदर विभिन्न प्रकार के हार्मोन बनते हैं यह हार्मोन शरीर के सारे अंगों पर प्रभाव डालते हैं। इन हार्मोन के कारण है अचानक यह महसूस होने लगता है कि बाल मोटे हो गए हैं और झरना भी कम हो जाते हैं। बालों की ग्रोथ पड़ जाती है और बाल शाइनी नजर आने लगते हैं।

बहुत भूख लगना :

गर्भावस्था के समय माता को बहुत भूख लगती है क्योंकि माता का भोजन दो हिस्सों में बट जाता है। माता के अंदर पल रहे बच्चे को भी पौष्टिक आहार की जरूरत होती है तथा माता अपने शरीर के लिए भी पौष्टिक आहार लेती है। आहार ओ के बंटवारे के कारण गर्भावस्था के समय गर्भवती महिला को बहुत भूख लगती है।

गर्भावस्था के पांचवें महीने में बच्चे का विकास और आकार (Child development in 5 month under mother uterus)

गर्भावस्था के पांचवे महीने में मां के बेबी बंप का आकार एक  फुटबॉल की और के आकार का हो जाता है। बच्चे के शरीर के अंगो का भी विकास बहुत हद तक हो जाते हैं नीचे हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के पांचवे महीने में बच्चे का विकास और आकार कैसा होता है।

गर्भ में बच्चे का आकार और वजन

  • गर्भ में बच्चे का वजन 5 महीने के अंत तक साडे 6 इंच का हो जाता है।
  • एक स्वस्थ शिशु के अंदर 5 महीने के अंत तक 226 ग्राम वजन हो जाता है।

गर्भ में बच्चे का विकास:

  • 5 महीने के अंत तक शिशु के भीतर रक्त कणिकाएं दिखनी शुरू हो जाती हैं।
  • शिशु के अंदर हड्डियां और मांसपेशियां पूरी तरीके से विकसित हो जाती हैं।
  • शिशु घर में जम्हाई ब अंगड़ाई लेना  शुरू कर देता है।
  • अगर शिशु लड़का है तो उसके अंदर अंडकोष बनना शुरू हो जाता है।
  • यदि शिशु लड़की है तो उसके अंदर करवा से विकसित हो जाता है और अंडे बनने लगते हैं।
  • शिशु के सीने के ऊपर निप्पल दिखने लगते हैं
  • शिशु के हाथों में फिंगरप्रिंट बनने लगते हैं व मसूड़ों के अंदर दांत उगने लगते हैं।
  • किडनी पूरी तरीके से काम करने लगती है।

गर्भावस्था के पांचवें महीने में देखभाल

गर्भावस्था के पांचवे महीने मैं माता की देखभाल करना बहुत अधिक आवश्यक होता है। इसमें जीवन शैली से लेकर खानपान तक सभी का ध्यान रखना बहुत अधिक आवश्यक है गर्भवती महिला के साथ-साथ उसके शिशु का भी विकास महिला के अंदर होता है इसलिए महिला का पौष्टिक आहार लेना और स्वस्थ रहना बहुत अधिक आवश्यक है।

नीचे हमने आपको बताया है गर्भावस्था के पांचवे महीने में किन किन पौष्टिक आहार को लिया जा सकता है

गर्भावस्था के पांचवे महीने में क्या खाएं

ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ ले :

तरल पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक होते हैं शरीर को हाइड्रेट करने के लिए तरल पदार्थ लेते रहना बहुत आवश्यक है। गर्भवती महिला अपने शरीर के अलावा अपने अंदर पल रहे शिशु के शरीर का भी ख्याल रखती है इसलिए अधिक से अधिक पानी पीना बहुत आवश्यक है। इससे शिशु तथा माता दोनों को हाइड्रेशन मिलता है और वह स्वस्थ रहते हैं।

प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं :

शरीर को पौष्टिक बनाने के लिए प्रोटीन युक्त पदार्थ खाना बहुत आवश्यक है। गर्भवती महिला को यह सलाह दी जाती है कि वह हर तिमाही में 21 ग्राम प्रोटीन अवस्था में शरीर हष्ट पुष्ट होता है एवं शिशु के विकास में भी सहायता मिलती हैं गर्भवती महिला को प्रोटीन युक्त भोजन करना चाहिए। सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन सोयाबीन, पनीर, अंडा आदि में पाई जाती है इन चीजों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।

सलाद का सेवन करें :

गर्भवती महिला को अपने भोजन में सलाद अवश्य शामिल करना चाहिए क्योंकि सलाद में फाइबर पाया जाता है फाइबर शिशु के विकास के लिए बहुत आवश्यक होता है फाइबर की मदद से कब से जैसी समस्याएं दूर होती हैं। गाजर, मूली, खीरा आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। सब्जियों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोना बहुत अधिक आवश्यक है। सब्जियों छीलने के बाद दूल्हा चाहिए इससे सब्जियों के पोस्टिक आहार पानी के साथ नहीं बहते।

फल खाए :

कल स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक आवश्यक है गर्भवती महिला को फल खाने से विटामिन, फैट तथा फाइबर मिलता है इन सभी पौष्टिक तत्वों के द्वारा शरीर का विकास अच्छे से हो पाता है। माता के अंदर जिस शिशु की वृद्धि हो रही है वह सुसु इन सभी पौष्टिक आहार को पाकर हष्ट पुष्ट रहता है ब उसमें किसी भी प्रकार की पौष्टिक तत्वों की कोई कमी नहीं रहती।

 हरी सब्जियां खाएं :

बहुत सारे लोगों को हरी सब्जियां बिल्कुल पसंद नहीं होती परंतु हरी सब्जियों के अंदर पाए जाने वाले आहार शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। कुछ लोग हरी सब्जियों को खाकर खूब जाते हैं परंतु जिन महिलाओं के अंदर उनके शिशु का विकास हो रहा है। उन्हें अपने शिशु के लिए हरी सब्जियां खाना बहुत आवश्यक है हरी सब्जियों में आयरन पाया जाता है यदि गर्भवती महिला के भीतर आयरन की कमी होती है। तब यह शिशु के लिए बहुत कष्टकारी हो सकती है इसलिए हरी सब्जियों में पालक और ब्रॉकली हमेशा खानी चाहिए।

साबुत अनाज :

गर्भवती महिला के अंदर साबुत अनाज खाने से ऊर्जा मिलती है। साबुत अनाज में चना गेहूं कॉर्न ओट्स आदि को शामिल किया जा सकता है।

गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या न खाएं?

हमने आपको यह तो बताया कि गर्भावस्था के पांचवे महीने में क्या-क्या खाया जा सकता है। परंतु यह बताना भी बहुत आवश्यक है कि गर्भावस्था के पांचवे महीने मैं गर्भवती महिला को क्या क्या नहीं खाना चाहिए । कुछ चीजों का सेवन गर्भवती महिलाओं को  नुकसानदेह हो सकता है किसलिए नीचे दिए हुए पदार्थों का सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।

कोल्ड ड्रिंक को कहे ना :

गर्भावस्था के दौरान कोल्डड्रिंक पीने से परहेज करना चाहिए कोल्ड ड्रिंक में कैफीन पाया जाता है जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कोल्ड ड्रिंक के स्थान पर गर्भवती महिला जूस पी सकते हैं ताजा फलों का स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है तथा यह शरीर को ताकत देता है।

ना खाएं यह फल :

गर्भवती महिला को कभी भी कच्चा पपीता या अनन्नास नहीं खाना चाहिए। यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता है।

शराब का तंबाकू का सेवन ना करें :

शराब तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक हो सकता है। यह शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है तथा यह गर्भवती महिला के लिए बहुत हानिकारक होता है इसलिए धूम्रपान करना या शराब से बहुत अधिक दूर रहना चाहिए।

जंक फूड ना खाएं :

गर्भवती महिला को जंक फूड यानी पिज़्ज़ा बर्गर फ्रेंच फ्राइज आदि नहीं खाने चाहिए। यह बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं इसके साथ ही चाट पकौड़ी से भी गर्भवती महिला को प्रवेश करना चाहिए।

गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान सावधानियां

गर्भावस्था के पांचवे महीने के दौरान गर्भवती महिला को अपने शरीर का बहुत अधिक  ध्यान रखना पड़ता है। गर्भवती महिला कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है इसके विषय में नीचे हमने आपको जानकारी प्रदान की है ।

रैसेज का रखें ध्यान :

गर्भवती महिला को रेसेस का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए। जिससे महिला के बगल तथा स्थान पर जलन हो सकते हैं इसलिए गर्भवती महिला को रैसेज का ध्यान रखना चाहिए रैसेज में शावर लेना बहुत अधिक कारगर हो सकता है।

बाय और करवट लेकर सोये :

पांचवे महीने में माता का पेट बढ़ने लगता है इसलिए सामान अवस्था में लेट कर सोने में समस्या हो सकती है। गर्भवती महिला को पांचवें महीने के दौरान बाय और करवट लेकर सोना चाहिए। जिससे महिला को सहजता होती है और महिला के अंदर पल रहे बच्चे को भी किसी प्रकार की समस्या नहीं होती।

ढीले कपड़े पहने :

गर्भावस्था के दौरान माता के पेट बढ़ने लगता है जिस कारण पहले से बने हुए कपड़े गर्भवती महिला को पर नहीं बैठते इसलिए गर्भवती महिला को हमेशा ढीले कपड़े पहनने चाहिए। जिससे महिला कंफर्टेबल महसूस करें व कपड़ों के कारण उसे किसी प्रकार की दिक्कत ना हो क्योंकि गर्भवती होने के समय बहुत सारी समस्याएं महिला के स्वास्थ्य में होने लगती है।

फाइबर युक्त भोजन खाएं:

गर्भावस्था के समय महिला को कब्ज की समस्या रहती है इसलिए हम गर्भवती महिला को हमेशा फाइबर युक्त भोजन खाना चाहिए इससे कब्ज की दिक्कत कम होती है।

पोसचर का ध्यान रखें :

गर्भवती महिला को अपने पोस्चर का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है अधिक देर तक खड़े रहना महिला की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए कुछ समय खड़े रहने के बाद आराम करना आवश्यक है। अधिक देर तक काम नहीं करना चाहिए बीच-बीच में ब्रेक लेना महिला के स्वास्थ्य के लिए ठीक रहता है। दिन में कुछ समय के लिए सोना गर्भवती महिला के लिए अच्छा है इसलिए महिला को आराम करते रहना चाहिए लगातार काम करना महिला के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान चिंताएं

गर्भावस्था का पांचवा महीना महिला के अंदर मां बनने का एक खूबसूरत एहसास लेकर आता है। इसके साथ ही गर्भवती महिला को कुछ सामान्य समस्याएं होने की दिक्कत हो सकती है। इन्हीं दिक्कतों के विषय में नीचे कौन से माध्यम से हमने आपको स्पष्ट किया है जिससे आप थोड़ी होने वाली समस्या को अधिक समझ कर परेशान ना हो

धड़कन तेज होना:

तनाव मोटापा और खून की कमी के कारण गर्भवती महिला की धड़कन तथा नक्शा तेज हो जाती है। इससे महिला को सांस लेने में समस्या हो सकती है इसलिए ऐसी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बार बार चक्कर आना या बेहोश होना:

गर्भवती महिला को चक्कर आना एक आम समस्या है परंतु यदि गर्भवती महिला को बार बार चक्कर आ रहे हैं तो यह हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। महिला के खानपान का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए तथा यदि हाइपरटेंशन की समस्या है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

पैरों में ऐंठन व सूजन :

गर्भवती महिला के पैरों में सूजन एक सामान्य समस्या है खून के अधिक पड़ने के कारण कभी-कभी नशे ब्लॉक हो जाते हैं और संकेत दिमाग तक ना पहुंच पाने के कारण पैरों में ऐंठन या सूजन हो सकते हैं। यदि पैरों में सूजन की बहुत अधिक समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

पीठ में तेज दर्द :

महिला का पीठ तथा वजन दोनों करने के कारण शरीर के डायग्राम पर जो पड़ता है जिसकी वजह से पीठ में तेज दर्द होना और गर्भवती महिला की सामान्य समस्या होती है। इसलिए यदि पीठ में अधिक दर्द महसूस हो रहा है तो डॉक्टर से संपर्क और सलाह लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको गर्भवती महिलाओं में होने वाली बहुत सारी दिक्कत है तथा इसके उपचार महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए उसके विषय में बात की है। 5 महीने में महिला के शरीर में क्या-क्या बदलाव आ सकते हैं यह भी जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से प्रदान की गई है। यदि आपके परिवार में भी कोई गर्भवती महिला है और आप उसके विषय में जानकारी चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं।

आर्टिकल के माध्यम से टॉपिक से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको देने का प्रयास किया है। यदि इसके पश्चात भी आपके मन में कोई प्रश्न है नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं ।

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