स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के 20 प्रमुख कारण | Baby Crying During Breastfeeding

शिशु का रोना एक सामान्य स्थिति है माता पिता को कभी यह समझ में नहीं आता कि उनका शिशु क्यों रो रहा है किसी किसी बच्चे की बहुत रोने की आदत होती है। परिवार इस बात से परेशान रहता है कि उनका शिशु क्यों रो रहा है वह हर डॉक्टर से परामर्श लेते हैं कि आखिर शिशु के शरीर में क्या दिक्कत है । जिसके कारण बैठना रहता है परंतु कोई भी दिक्कत ना होने के बावजूद भी किसी किसी बच्चे की आवाज रोने की होती है जिस कारण वह अपने माता-पिता को बहुत परेशान करता है।

शिशुओं में किसी कारण की वजह से भी रोने की गतिविधि को देखा गया है। कुछ शिशु स्तनपान के दौरान बहुत अधिक रोते हैं स्तनपान के दौरान अधिकतर शिशु क्यों रोते हैं इसके विषय में इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको जानकारी प्रदान करेंगे स्तनपान के दौरान रोना शिशु के कुछ के प्रति गति विधियों का संकेत देता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए शिशु में स्तनपान के दौरान यदि रो रहा है तो उसे कोई शारीरिक समस्या भी हो सकती है इसलिए इसे गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करनी चाहिए।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इसी के स्तनपान के दौरान रोने के कुछ कारणों के विषय में बताएंगे और इन कारणों से कैसे निजात पाया जा सकता है। उसके विषय में भी बात करेंगे। यदि आपके घर में भी कोई ऐसा शिशु है जो स्तनपान के दौरान रोता है और आप इसके विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं।

बच्चे स्तनपान करते हुए क्यों रोते हैं?(Why babies cry during breast feeding?)

सबसे पहले माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रोना कोई शारीरिक समस्या नहीं है। बच्चे थोड़ी सी दिक्कत होने पर भी बड़ों की अपेक्षा बहुत अधिक तेजी से रोते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चे को कितनी अधिक दिक्कत है परंतु यह बच्चे की आदत होती है वह अधिक तेज रो कर अपनी परेशानी को जाहिर करने का प्रयास करते हैं। बच्चे का स्तनपान के दौरान रोना एक गंभीर समस्या नहीं है यह एक सामान्य दिक्कत है जो अधिकतर बच्चों में पाई जाती है। इसका कारण बच्चे का भूखा होना या उसकी सही पोजीशन ना होना भी हो सकता है।

स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के 20 प्रमुख कारण Baby Crying During Breastfeeding

स्तनपान के दौरान सामान्य था बच्चे चुप हो जाते हैं परंतु यदि स्तनपान के दौरान बच्चा रो रहा है तो बच्चे को कालिक की समस्या हो सकती कालकी समस्या के अंदर बच्चे को अधिक भूख लगना या भूख ना लगना, गैस होना, ऐसे कारण बन सकते हैं जिसकी वजह से बच्चा यह दिन में 3 घंटे से अधिक रोता है। इसके अलावा बच्चों को दांत में एलर्जी या मसूड़ों में सूजन की दिक्कत हो सकती है इसलिए भी बच्चे स्तनपान के दौरान होते हैं। नीचे हमने आपको स्तनपान के दौरान बच्चों के रोने से कुछ कारणों के विषय में बताएं इन पॉइंट्स को पढ़कर आपको यह मालूम पड़ जाएगा कि आपका बच्चा स्तनपान के दौरान क्यों रोता है।

स्तनपान करते हुए बच्चों के रोने का कारण (Reason behind crying during breast feeding)

स्तनपान के दौरान बच्चों के रोने होने की बहुत सारी कारण हो सकते हैं वैसे तो रोना एक सामान्य परेशानी है फिर भी यदि बच्चा जरूरत से अधिक रोता है तो उसे और कोई समस्या भी हो सकती है। बच्चों के रोने के कारणों के विषय में नीचे हमने आपको बताया है।

दूध का धीमा प्रवाह :

बच्चों को यह आशा रहती है कि जब भी उन्हें भूख लगी उन्हें आराम से दूध प्राप्त हो परंतु जब वह स्तनपान करते हैं। तब दूध का बीमा प्रवाह बच्चों को परेशान करता है। बच्चों को यह उम्मीद होती है कि उनका पेट तुरंत फट जाए परंतु यदि उन्हें दूध पीने में दिक्कत होती है या अपने मसूड़ों में जोर लगाना पड़ता है तो वह रोना शुरू कर देते हैं। बच्चे नासमझ होते हैं और उन्हें थोड़े समय का सब्र  नहीं होता बच्चे के मसूड़ों में भी दर्द हो सकता इसलिए भी बच्चा स्तनपान के दौरान रो सकता है।

भूख न लगने पर :

यदि बच्चे को भूख नहीं लगी है और माता के द्वारा उसे जबरदस्ती स्तनपान कराने का प्रयास किया जा रहा है। तब भी बच्चा तन पान के दौरान हो सकता है कभी-कभी जब बच्चा अधिक रोता है तो माता को एहसास होता है कि बच्चा भूखा है परंतु उसके रोने का कारण कुछ और भी हो सकता है और माता उसे दूध पिलाने लगती है जिससे बच्चा जिद में आकर और अधिक रो सकता है।

सोने के समय स्तनपान :

कई बार ऐसा होता है कि शिशु को नींद आती है तब मैं उसे स्तनपान कराती है। यदि शिशु को नींद के दौरान यदि माता के द्वारा बच्चे को बीच में डिस्टर्ब किया जाता है और नींद खराब होने के कारण वह परेशान होता है इसलिए भी बह रो सकते है। बहुत सारे बच्चे ऐसे होते हैं जो सोने के समय ही स्तनपान करते हैं परंतु यदि बच्चा भूखा नहीं है और आप जबरदस्ती उसकी नींद खराब करके उसे स्तनपान करा रही है तो बच्चा रो सकता है।

घुटन होने पर:

सामान्यता शिशु को स्तनपान कराने के दौरान माताएं अपने आंचल को अपने पल्लू या किसी कपड़े से ढक लेती हैं। इससे बच्चे को घुटन महसूस हो सकती है और वह हो सकता है कुछ बच्चे ऐसे होते हैं। जिन्हें टक्कर सोना आया ढक्कन लेटना पसंद नहीं होता इससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है इसलिए यदि बच्चे का चेहरा ढकने पर वह रोने लगता है तब माता को यह समझ लेना चाहिए कि बच्चे को घुटन महसूस होती है और स्तनपान कराने के दौरान उसके चेहरे को कपड़े से नहीं ढकना चाहिए।

गंद के कारण

बहुत सारे बच्चे  ऐसे होते हैं जिन्हें माता के शरीर से आने वाली गन से परेशानी होती है और वह रोने लगते हैं। माता के द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला साबुन , शैंपू, लोशन जिसके द्वारा शरीर से गंध आती है। जिससे बच्चा असहज महसूस कर सकता है और इससे बच्चा रो सकता है।

स्वाद में परिवर्तन के कारण:

कभी-कभी ऐसा होता है कि माता की तबीयत ठीक ना होने के कारण अथवा माता का स्थान पर जाने के कारण माता के दूध का स्वाद बदल जाता है। परंतु बच्चे को एक का दूध पीने की आदत होती है जिस कारण जब भी उन्हें स्वाद बदला हुआ महसूस होता है। वह रोने लगते हैं बच्चे को बहुत सारी स्वादु का ज्ञान नहीं होता उसे सिर्फ अपने मां के दूध का ही ज्ञान होता है इसलिए बच्चे को एक साथ दूध पीना पसंद होता है। कभी-कभी माता का स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण माता के दूध में स्वाद में परिवर्तन हो सकता है जिससे भी बच्चा रो सकता है।

दांत आने के कारण:

जब छोटे शिशु के दांत निकलने शुरू होते हैं उनके शरीर में बहुत सारी प्रकार की दिक्कतें  होने लगती हैं। जैसे बच्चे को डायरिया जैसी समस्याएं होने लगती हैं तथा उनके मसूड़ों में सूजन आती है और जब उनके दांत निकलते हैं तब मसूड़ों में दर्द होता है। दांत निकलने के समय जब भी बच्चे स्तनपान करते हैं तब मसूड़ों में दर्द होता है और उन्हें दूध पीने में तकलीफ महसूस हो सकती है जिसके कारण भी बच्चे  सकते हैं।

बंद नाक या भरी हुई नाक :

बच्चों में जो काम होने के कारण या तेज फ्लू होने के कारण बच्चे की नाक बंद हो सकती है और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। जब भी बच्चे स्तनपान करते हैं तब बच्चे का मुह भी बंद हो जाता है जिसके कारण बच्चा सांस नहीं ले पाता बच्चे को घुटन महसूस होने लगती है और वह असहज महसूस करने लगता है। जिसके कारण  वह रोने लगता है।

ध्यान भटकने पर :

कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जब तक उनका पेट नहीं भरता तब तक है। स्तनपान करने की कोशिश करते हैं परंतु अगर बीच में उन्हें रोका जाता है या उनका ध्यान भटकाने की कोशिश की जाती है तो वह रोना शुरू कर देते हैं। बच्चे नासमझ होते हैं और उन्हें यह उम्मीद होती है कि सारे काम उनके अनुसार ही है जिसके कारण यदि उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत होती है तो वह रोना शुरू कर देते हैं।

थकान महसूस होने पर:

बहुत सारे बच्चे जब थके हुए होते हैं तब उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है यदि बच्चे को किसी भी प्रकार की गतिविधि में उलझाया जाता है। अब रोने लगते हैं उदाहरण के लिए यदि बच्चा थका हुआ है और वह सो रहा है परंतु भूखा है और आप जगा कर उसे यदि स्तनपान कराने की कोशिश करेंगे तो वह रोने लग जाएगा। इसलिए माता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को सोने से पहले स्तनपान कराना चाहिए।

ओरल थ्रश:

ओरल थ्रश एक प्रकार की समस्या होती है जिसमें बच्चे के मुंह के अंदर अंदर का जमावड़ा हो जाता है जब वह किसी चीज को निकलता है। तब बच्चे के गले में दर्द होता है ओरल थ्रश का इन्फेक्शन होने के कारण जब भी बच्चा स्तनपान करने का प्रयास करता है और दूध को निकलता है। बच्चे के गले में दर्द होता है और वह रोने लगता है यदि बच्चा  ओरल थ्रश से पीड़ित है तो उसे दूध पीने में बहुत दिक्कत होगी और गले में दूध निकलने से बच्चे को पीड़ा महसूस होती है।

शिशु विकास:

जब शिशु का विकास होता है और वह बड़े हो जाते हैं तब उनके स्तनपान की चाहत कुछ कम हो जाती है। यदि माता के द्वारा उन्हें जबरदस्ती स्तनपान कराने का प्रयास किया जाता है तब वह रोना प्रारंभ कर सकते हैं शिशु के बड़े हो जाने के बाद वह बहुत सारी चीजों का सेवन करने लगता है जिसके कारण उसे दूध की चाहत कम हो जाती है। इसके वजह से भी शिशु विकास स्तनपान में रोने का कारण हो सकता है।

दूसरे स्तन से दूध पिलाने पर :

कुछ बच्चे एक स्तन से ही स्तनपान करना ज्यादा पसंद करते हैं। बच्चे उसकी स्तन से दूध पीना ज्यादा पसंद करते हैं जिनका इस्तेमाल उसने अधिक किया है इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। जैसे दूध का ज्यादा निकलना यह दूध का आराम से निकलना इसलिए बच्चा एक ही स्तन से दूध पीना चाहता है ऐसे  में शिशु को दूसरे स्तन से स्तनपान कराने पर वो रोने लग सकते हैं।

गलत पोजीशन:

कई बार शिशु के स्तनपान की पोजीशन गलत हो सकती है जिसके कारण बच्चा असहज महसूस कर सकता है। असहजता के कारण बच्चा दूध ठीक से नहीं पी पाता और वह रोने लगता है।

स्तनों में दूध का उत्पादन कम होना:

बच्चे सबसे ज्यादा तब होते हैं जब बह भूखे के होते हैं यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिलता तब बच्चों को चुप कराना बहुत मुश्किल हो जाता है। वैसे तो माता के स्तन में पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पन्न होता है जिससे शिशु का पेट भर जाए कभी-कभी माता के अंदर दुर्बलता या किसी स्वास्थ्य में कमी के कारण माता के स्तन में दूध उत्पादन कम होने लगता है। यदि इस समस्या में शिशु का पेट नहीं भरता तो वह रोने लग सकता है।

दूध से एलर्जी:

बहुत समय ऐसा होता है जब बच्चे को गाय के दूध से एलर्जी होती है। गाय के दूध में प्रोटीन पाया जाता है जो बच्चे को हजम नहीं होता और उसके स्वास्थ्य में दिक्कत आ सकती है। यदि माता मिल्क प्रोटीन का सेवन करती है और स्तन दूध के माध्यम से यह प्रोटीन बच्चे के अंदर पहुंच जाती है जिससे एलर्जी के कारण बच्चे को उल्टी तथा दस्त की दिक्कत हो सकती हैं। बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने के कारण बच्चा स्तनपान के दौरान रोने लगता हैं।

तनाव के कारण:

यदि बच्चा थकान या भूख के कारण या किसी भी वजह से तनाव महसूस करता है तब भी वह स्तनपान के दौरान रो सकता है।

स्तनपान के समय बच्चे का रोना कैसे शांत करें?(How to calm child during breast feeding ?)

शिशु को स्तनपान कराना बहुत अधिक आवश्यक है यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में आहार नहीं दिया जाएगा तो उनके स्वास्थ्य में दिक्कत आ सकती है और वह बीमार पड़ सकते हैं इसलिए स्तनपान के दौरान बच्चे को कैसे शांत कराया जाए। इसके विषय में कुछ टिप्स हमने आपको नीचे दिए हैं जिससे आप अपने बच्चे को शांत करा कर आराम से दूध पिला सकते हैं।

  • यदि शिशु स्तनपान के दौरान रोता है तो माता को उसे शांत कराने के लिए उसके साथ खेलना चाहिए। बच्चे के साथ खेलना उसे शांत कराने का सबसे बेहतर विकल्प है।
  • यदि बार-बार स्तनपान के दौरान रोता है तब माता को शिशु के बार-बार रोने का कारण समझने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा हो सकता है कि स्तनपान के दौरान उसे किसी प्रकार की समस्या हो रही हो या उसके मसूड़ों में कोई दिक्कत है इसलिए दिक्कत जानने के पश्चात आप शिशु का उपचार कर पाएंगे और उससे ठीक प्रकार से दूध पिला पाएंगे।
  • कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनके मुंह पर कपड़ा डालने से उन्हें घुटन महसूस होती है। ज्यादातर महिलाएं स्तनपान के दौरान अपने आंचल को ढक लेते हैं इससे बच्चा घुटन महसूस करता है और असहज होने लगता है इसलिए बच्चे को ऐसी स्थिति में स्तनपान कराना चाहिए जिससे उसे पर्याप्त हवा मिलती रहे।
  • शिशु को स्तनपान कराते समय उसके हाथ में झुनझुना पकड़ा ने से वह  बहल सकता है और आराम से दूध पी सकता है।
  • रोते बच्चे को शांत कराने के लिए लोरी गा सकते हैं या कोई मधुर संगीत सुना कर बच्चे को शांत कराया जा सकता है। बच्चे को किसी की भी आवाज बिल्कुल नहीं लगती है इसलिए  बच्चे का ध्यान आवाज की ओर केंद्रित हो जाता है जिसके कारण बच्चा रोते हुए से भी शांत हो जाता है।
  • रोते समय बच्चे को यदि चुप कराना है तो आप किसी भी प्रकार का अभिनय बच्चे के सामने कर सकते हैं। अजीब सा अभिनय करता हुआ देखकर बच्चा आपके अभिनय को समझेगा नहीं परंतु यह चीज से बहुत अलग लगेगी जिसके कारण वह मुस्कुराने लगता हैं। ऐसे प्रयास हम कई बार जीवन में करते हैं और इन प्रयासों में सफल भी होते हैं इसलिए बच्चे को चुप कराने का यह बहुत कारगर तरीका है।

स्तनपान करते हुए बच्चों को रोने से कैसे बचाएं?(prevent from crying during breast feeding)

स्तनपान करते हुए बच्चों ना रोए और वह आराम से दूध पी सके इसके लिए कुछ टिप्स नीचे पॉइंट्स में हमने आपको प्रदान कि है।

  • माता को शिशु का मूड देखना चाहिए जब उन्हें महसूस हो कि बच्चा खुश महसूस कर रहा है या किसी खेल में उलझा हुआ है और वह अभी नहीं रहेगा।तब माता को तुरंत बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। दिमाग किसी और चीज में उलझे रहने से जो चीज बच्चे को नहीं पसंद है उसके विषय में बच्चे का ध्यान नहीं जाता इसलिए खेल खेल में बच्चे को दूध पिलाना एक सही तरीका हो सकता है।
  • स्तनपान कराने का दूसरा तरीका बच्चे को थोड़ा सा बनाना चाहिए जिससे बच्चा नहीं है चीजों को देखें और उसका ध्यान उन चीजों की ओर केंद्रित हो जैसे उसे गार्डन में या रोड पर घुमाना चाहिए। जब बच्चा इन चीजों में उलझ जाए तब माता को स्तनपान कराना चाहिए।
  • बच्चे को स्तनपान किसी शांत जगह पर बैठकर कराना चाहिए। यदि माता बार-बार स्तनपान के दौरान अपने स्थान को बदलेंगे जिससे बच्चा असहज महसूस कर सकता है और वह तनाव में आकर रोना शुरु करता है इसलिए जब भी माता स्तनपान कराएं तो यह कोशिश करें कि जब तक बच्चे का पेट पूरा भर ना जाए तब तक वह उसे स्तनपान कराती रहें इसलिए माता को हमेशा किसी शांत स्थान पर बैठकर ही स्तनपान कराना चाहिए।
  • बहुत समय तक एक ही पोजीशन में रखने से शिशु को असहज महसूस हो सकता है। जिसके कारण उसके शरीर के किसी भाग में दर्द होना शुरू होता है और वह रोने लग सकता है इसलिए माता को शिशु की स्थिति को बदलते रहना चाहिए। बच्चे को आराम की स्थिति में रखना चाहिए जिससे बच्चे को किसी भी प्रकार की असहजता महसूस ना हो।
  • माता को ऐसे स्थान पर बैठकर शिशु को स्तनपान कराना चाहिए जहां पर बच्चे को खुली हवा मिल सकें। कभी-कभी चेहरे को पूरा ढक देने के कारण और अंधेरा होने के कारण बच्चे को घुटन महसूस होती है और वह रोने लगता है। इसलिए स्तनपान कराने के दौरान बच्चे का चेहरा हमेशा हवा में रखना चाहिए।
  • बच्चे का चेकअप समय-समय पर डॉक्टर से कराना चाहिए जिससे बच्चे के स्वास्थ्य में होने वाली दिक्कतों का पता लग जाता है और बच्चे के रोने का कारण भी समझ आता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको स्तनपान के दौरान बच्चों के रोने का कारण के विषय में बताया है। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बताया है कि किन-किन बजाओ के कारण बच्चे रोते हैं तथा यह भी स्पष्ट किया है कि किन जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप बच्चे को रोने से रोक सकते हैं और बच्चे को एक पौष्टिक आहार प्रदान कर सकते हैं। टॉपिक से संबंधित सारी जानकारी देने का हमने आपको प्रयास किया है।

दी गई जानकारी के पश्चात भी यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमें आपका उत्तर देने में आभार व्यक्त होगा हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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