बच्चों के अकेले खेलना फायदे और यह बच्चों के लिए क्यों अच्छा है? 

वयस्क लोगों का जीवन बहुत ही ज्यादा कठिन होता है। वह अपने जीवन को जीने के लिए बहुत मेहनत करते हैं परंतु छोटे बच्चे अपनी दुनिया में मगन रहते हैं। उन्हें खेलने के लिए खिलौने चाहिए और एक कंपनी इसके बाद वह किसी से भी शिकायत नहीं करते। कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को खेलने के लिए कोई कंपनी नहीं होती और माता-पिता भी वर्किंग होते हैं। बच्चों को अकेले खेलना हम कैसे सीखा(Babies ko akele khelna kaise sikhyen) सकते हैं उसके विषय में अक्सर माता-पिता को जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चे के अकेले खेलने के फायदे (Babies ko akele khelne ke fayde)और अच्छाइयों के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी जानते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पड़े।

अकेले खेलना क्या है? 

अकेले खेलने का मतलब होता (Babies ko akele khelna kya hai)है और बच्चों को किसी कंपनी की आवश्यकता नहीं होती। वह अपने आप ही अपने खिलौने से खेल सकता है इसको इंडिपेंडेंट प्ले कहा जाता है। वैसे तो जब बच्चों को खिलौने की समझ होने लगती है तब उन्हें जैसे ही खिलौने दिखाई देते हैं वह खेलना शुरू कर देते हैं।

 यदि बच्चा ऐसा सीख जाता है कि वह खुद की कंपनी को इंजॉय करने लगे तो इससे अच्छा तरीका और कोई भी नहीं होता।जब बच्चे अपनी कंपनी इंजॉय करने लगते हैं तो आप कहीं भी उनके खिलौने को देखकर बच्चों को छोड़कर जा सकते हैं। जब बच्चे अकेला खेलना शुरू कर देते हैं तो बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम बढ़ाते हैं।

 यदि बच्चे खुद की कंपनी को एंजॉय करते हैं तो बच्चे सामाजिकता की ओर बढ़ते हैं उन्हें किसी दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती। वह खुद में खुश रहने का प्रयास करना ढूंढ लेते हैं।

 और शुरुआत से ही उनकी ही आदत हो जाती है कि उन्हें किसी दूसरे व्यक्ति की कंपनी की आवश्यकता नहीं होती। परंतु मां-बाप को अपने बच्चों को घर में अकेला छोड़ने की काफी चिंता लगी रहती है।

अकेले खेलने के लिए बच्चों की उम्र

बच्चा अकेले खेल कब शुरू (Babies ko akele khelne ki age)कर सकता हैं। उसकी कोई वैज्ञानिक समय सीमा तय नहीं की गई है परंतु हमें यह कह सकते हैं कि जब बच्चों को चीज साफ-साफ दिखाई देने लगती है या थोड़ी-थोड़ी समझ आने लगती है तब वह अकेले खेल सकता हैं।

 फिर भी जब बच्चा 6 से 8 महीने का हो जाता है तो वह अकेले खेलने की शुरुआत कर देता है क्योंकि इस समय में बच्चा ठीक से बैठना शुरू कर देता है और उसको अपने खिलौने के साथ एंजॉय करने में भी मजा आने लगता हैं।

अकेले खेलने के विभिन्न प्रकार

बच्चा किन-किन तरीकों के (Babies ko akele khelne ke tarike)माध्यम से अकेले खेल सकता हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1. ओपन एंडेड खिलौने

बच्चों का दिमाग बहुत ही ज्यादा कोमल होता है वह हर चीज को तलाशने का प्रयास करते हैं जो भी खिलौने बच्चों को खेलने के लिए दिए जाते हैं। वह उन खिलौने को तोड़ मरोड़ कर देखने का प्रयास करते हैं इसलिए हमें अपने बच्चों को ओपन एंडेड खिलौने दिलवाने चाहिए।

 ओपन एंडेड खिलौने वह होते हैं जिसमें बच्चा विभिन्न प्रकार की आकृतियों को अपने आप बन सकता हैं। इस प्रकार के खिलौने का स्ट्रक्चर बनाने में टाइम लगता हैं। इसलिए बच्चा अपने खिलौने में ही दिन भर मस्त रहता हैं। और अलग-अलग प्रकार के खिलौने की आकृतियों को बनाने में मग्न हो जाता है ऐसे खिलाना के टूटने का भी ज्यादा डर नहीं रहता।

2. चीजों को सेट करें

यदि हम बच्चे के बहुत सारे खिलौने को एक प्रॉपर ऑर्डर में सेट कर देते हैं तो बच्चे को ऐसे खेलने में बहुत मजा आता हैं।  उदाहरण के लिए यदि बच्चे के पास विभिन्न प्रकार के खिलौने हैं तो आप कहानी के रूप में बच्चों के सारे खिलौने को सेट कर दे और उसके बाद बच्चे को बताने का प्रयास करें कि यह खिलौने आपको कौन सी कहानी बता रहे हैं। बच्चा इसको खेलने में बहुत इंटरेस्ट लेगा ।

3. काल्पनिक खेल

यदि आपका बच्चा काल्पनिक खेल खेलता है तो यह उसके दिमाग के विकास के लिए बहुत ज्यादा अच्छा हैं। काल्पनिक खेलों के माध्यम से बच्चा सोचना शुरु करता है और हमने दिमाग को विभिन्न विभिन्न चीजों में लगाने का प्रयास करता हैं।

 उदाहरण के लिए यदि बच्चा ब्लॉक को बनाना सीखना है या फिर किसी गांठ को लगाना सीखना है या फिर ताले की चाबी लगाना सीखना है तो बच्चा अपने काल्पनिक दिमाग से उसे चीज को सोचेगा और उसके बाद उसे करने का प्रयास करेगा।

इन सभी खेलों से बच्चे का दिमागी विकास तेज होता है और वह चीजों को ठीक प्रकार से सोचने की शक्ति की ओर विकसित होता है।

बच्चों के अकेले खेलने के फायदे

हमने आपके ऊपर भी बच्चों के (Babies ko akele khelne ke fayde)अकेले खेलने के कुछ फायदे बताएं हैं। इसके अलावा बच्चों के अकेले खेलने के और क्या-क्या फायदे हो सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1. खुद के साथ खुश रहना :

जीवन में यह सबसे महत्वपूर्ण हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए कि वह खुद के साथ खुश रह पाता है या नहीं क्योंकि भाग दौड़ बड़े जीवन में आपकी कंपनी देने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति हो ऐसा जरूरी नहीं है इसलिए हमें अपने खुद के साथ खुश रहना सीखना चाहिए।

 इसी प्रकार हम अपने बच्चों को सिखा सकते हैं कि वह अकेले ही अपने खुद के साथ कैसे एंजॉय कर सकता है या अपने खिलौने के साथ अकेले ही कैसे खेल सकता हैं। यदि शुरुआत से ही बच्चों के दिमाग में इस प्रकार की आदत डाल दी जाती है तो बड़े होकर उसे किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती।

 वह खुद से ही अपने काल्पनिक दिमाग में विभिन्न चीजों को सोचकर उसे अप्लाई करने का प्रयास करता रहता है और भविष्य के जीवन में किसी दूसरे के ऊपर निर्भर नहीं करता।

2. कल्पना करने की कला उभरना :

जब तक आप अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ते हैं। आपको यह पता ही नहीं चलेगा कि आपका बच्चा कितना अच्छा सोचता है या उसके दिमाग में कितने अच्छे विचार आते हैं। हर समय किसी दूसरे व्यक्ति के साथ बिजी रहने के कारण बच्चे उतना ज्यादा नहीं सोच पाते।

 जितना वह अकेले रहने से सोते हैं यदि कल्पना करके वह अपनी किसी भी प्रतिभा को बाहर प्रदर्शित करता हैं। तभी माता-पिता को यह पता चल पाएगा कि उनका बच्चा कल्पना करने की कला में कितना महान हैं।

 आपके बच्चे की उसे आदत को अभी पता चल जाएगा कि आपका बच्चा दुनिया को कैसे देखा है और उसे किस प्रकार से समझने का प्रयास करता हैं। धीरे-धीरे आपको अपने बच्चों का व्यक्तित्व समझने में मदद मिलेगी।

3. सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनाना :

बड़े लोगों के जीवन में वह अपना हीरो किसी दूसरे व्यक्ति को मानते हैं जो उसका आइडल होता है परंतु आपको अपने बच्चों को शुरुआत से ही हैं। समझना चाहिए कि उसे अपने जीवन का हीरो खुद बना हैं।

 खुद उसे इतने अच्छे कार्य करने हैं कि उसे अपने आप पर गर्व हो और ऐसा तभी हो सकता हैं। जब अपने अपने बच्चों को अकेला रहना सिखाएंगे।

 उसे खुद की कंपनी इंजॉय करना सिखाएंगे और उसे यह बताएंगे कि अपने जीवन में वह कड़ी मेहनत करके सामाजिक रूप से कैसे स्वतंत्र बन सकता हैं। इस प्रकार वह आगे किसी भी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होगा।

4. स्कूल के लिए तैयार करना :

जब आप अपने बच्चों को घर में ही अकेला छोड़ रहे हैं तो आप इनडायरेक्ट रूप से उसके लिए बहुत सारी कोशिश से कर रहे हैं। यदि आपके बच्चे को पहले ही अकेले रहने की आदत हो जाएगी तो स्कूल जाते समय उन्हें किसी भी तरीके की परेशानी नहीं होगी।

 कई बार स्कूल जानते समय बच्चे बहुत ज्यादा परेशान करते हैं। क्योंकि वह अपने पेरेंट्स को नहीं छोड़ना चाहते परंतु आपके बच्चे की आदत पहले ही पड़ जाइए और वह आराम से स्कूल जाएगा और अच्छी पढ़ाई करेगा।

5. समस्या हल करना सीखना :

जब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ होते हैं। तब उन्हें किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वह तुरंत अपने पेरेंट्स को उसकी जानकारी देते हैं और उन्हें यह उम्मीद होती है कि उनके पैरेंट्स उनके सभी परेशानियों को ठीक कर देंगे।

 परंतु यदि बच्चे अकेले रहते हैं तो उन्हें जब कोई भी समस्या आती है तो वह उसे हल करने का तरीका खुद ढूंढते हैं। उन्हें पता होता है कि उनके आसपास कोई नहीं है इसलिए उन्हें खुद ही ऐसा प्रयास करना होता हैं।जिससे उनकी समस्या हल हो जाए ऐसा करने से बच्चे की कल्पना शक्ति विकसित होती है।

6. आपको ब्रेक मिलता है :

माता-पिता को अपने बच्चों को पालने में बहुत सारी चुनौती का सामना करना पड़ता हैं। वह बच्चों के हर मूवमेंट पर उसके साथ रहते हैं परंतु धीरे-धीरे माता-पिता को भी एक ब्रेक की आवश्यकता होती हैं।

 जब आप अपने बच्चों को अकेला खेलना और रहना सीख देते हैं। तब माता-पिता को भी थोड़ा ब्रेक मिलता हैं। वह भी अपने दिमाग को तरो ताजा कर पाते हैं। और अच्छे से एक नई स्टार्ट करके अपने बच्चों को और अच्छे से पालने का तरीका ढूंढ पाते हैं।

बच्चों को अकेले खेलने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें

बच्चों को अकेले खेलने के लिए (Babies ko akele khelne ka protsahan)हम कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1. सही खिलौने दे :

आपको अपने बच्चों को अकेले खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उसको सही तरीके के खिलौने लेने चाहिए। सही तरीके के खिलौने के साथ-साथ उसे नए खिलौने लेने चाहिए।

आप अपने बच्चों को कली जैसे गए प्रकार के खिलौने दे सकते हैं जिससे वह नई-नई आकृतियां बनाकर उसे खेल सकता है।

2. बच्चों को स्पेस दे :

बच्चों को समझने के लिए और उनकी कल्पना शक्ति को समझने के लिए यह जरूरी होता है कि आप बच्चे को थोडा एकांत में रहने दे। जब आप बच्चे को एकांत में छोड़ते हैं तो आपको समझ में आने लगता है कि आपका बच्चा किस प्रकार से सोचता हैं। और उसकी कल्पना शक्ति कैसी विकसित होती है।

3. बच्चों की जरूरत को समझें :

हमको अपने बच्चों की जरूरत को समझना चाहिए जितना आसानी से वह दूसरों के साथ हिल मिल जाते हैं। उतना ही देर में उसे बच्चों को एकांत में रहने में समय लगता है इसलिए बच्चों को इस प्रकार के खिलौने दें। जो उन्हें काफी पसंद हो अपने बच्चों की पसंद नापसंद को समझने का प्रयास करें। इससे बच्चों को भी अच्छा लगेगा कि वह अपने मनपसंद के खिलौने से खेल रहा है।

4. एक खुली जगह दे :

कभी भी हमें अपने बच्चों को बंद जगह में खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। बच्चों को एक खुला स्थान दे जिसमें वह टहलकर भाग कर या किसी भी तरीके से अपने आप में खेल सकें ।

 हम अपने बच्चों को गार्डन जैसा एरिया दे सकते हैं जिसमें बच्चा टहलकर के आसपास की चीजों को देखकर आनंद में होकर अपने आप में ही खेल सकता हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए कि उसे एक कमरे में या घर में बंद कर दें और फिर उसे अकेला खेलने के लिए छोड़ दें.

5. हस्तक्षेप ना करें :

जब बच्चे खेल रहे हो तो हमें किसी भी प्रकार से बच्चों से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। बच्चे यदि अपनी कंपनी इंजॉय कर रहे हैं और उत्साह पूर्वक खेल रहे हैं।

 यदि आप उन्हें हस्तक्षेप करते हैं तो उनके खेल में खलल पड़ सकती है या वह शर्मा भी सकते हैं इसलिए हमें कभी भी बच्चों के खेल में किसी भी प्रकार से बोलना नहीं चाहिए। इससे उन्हें रुकावट सा महसूस हो सकता है।

6. सब स्वाभाविक तौर पर होने दें :

बच्चों की किसी भी प्रकार की एक्टिविटी को क्वेश्चन नहीं करना चाहिए। बच्चा अपनी उम्र के साथ-साथ विभिन्न विभिन्न चीजों को सीखता रहता हैं। हमें बच्चों की इस व्यवहार पर क्वेश्चन नहीं करना चाहिए बच्चों के दिमागी विकास का क्रम पहले से सेट होता हैं।

 बच्चा अपनी उम्र के साथ अपने स्वभाव को सीखता रहता है इसलिए हमें अपने बच्चों की सीखने की कला पर कभी भी प्रश्न खड़ा नहीं करना चाहिए। बच्चों के विकास का क्रम निश्चित होता हैं।

 कुछ बच्चे जल्दी चीजों को सिखाते हैं कुछ बच्चों को सिखाने में समय लगता है इसलिए नेचुरल तरीके से बच्चे को सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ

Q. बच्चों को अकेले खेलने के लिए क्यों प्रोत्साहित करें?

बच्चों को अकेला खेलना इसलिए अच्छा रहता है क्योंकि वह जीवन में खुद पर निर्भर होने शुरू हो जाते हैं।

Q. बच्चों का अकेला खेलना किस प्रकार फायदेमंद है?

बच्चों के अकेले खेलने से आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम बढ़ता है और बच्चा कल्पना शक्ति में बहुत तेज होता है।

Q. बच्चों को अकेला खेलने के लिए हमें किस प्रकार की जगह देनी चाहिए?

बच्चों को अकेला खेलने के लिए हमें एक खुली जगह देनी चाहिए।

Q. बच्चों के दिमागी विकास में हमें किस प्रकार कार्य करना चाहिए? 

बच्चों के दिमागी विकास में हमें कभी भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के अकेले  खेलना फायदे (Babies ko akele khelna kaise sikhyen) और यह बच्चों के लिए क्यों अच्छा है? के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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