प्रीमेच्योर बेबी की घर में देखभाल कैसे करें? 

माता-पिता के लिए चाहे उनका बच्चा कैसा भी हो वह उनकी अच्छी तरीके से देखभाल करते हैं और उन्हें हर पोषक तत्व खिलाने का प्रयास करते हैं। जिससे वह हमेशा स्वस्थ बने रहे और उनका पालन पोषण अच्छी तरीके से हो वह ऐसे बहुत सारे तरीके ढूंढते हैं। जिससे उनका बच्चा चलने लगे बोलने लगे अक्सर आपने देखा होगा की बहुत सारे बच्चे प्रीमेच्योर पैदा होते हैं। इनको अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है परंतु उनकी देखभाल कैसे (Premature baby ki dekhbhal) की जा सकती है इसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रीमेच्योर बेबी की घर में देखभाल करने के उपाय (Premature baby ki dekhbhal ke upay) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

प्रीमेच्योर बेबी क्या है? 

प्रीमेच्योर बेबी उन बच्चों को (Premature baby kya hai? ) कहा जाता है जिनका जन्म समय से पहले हो जाता हैं। भारत में लगभग साढे तीन लाख बच्चे हर वर्ष पर मेच्योर पैदा होते हैं। इन बच्चों को बहुत ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती हैं। क्योंकि समय से पहले जन्म लेने के कारण इनका शारीरिक विकास पूरी तरीके से नहीं हो पाता। 

इसलिए इन्हें स्पेशल डॉक्टर की निगरानी में निकों में रखा जाता है जिसमें इन्हें मां के पेट के जैसा ही एनवायरमेंट प्रदान किया जाता हैं। और उनकी अच्छी देखभाल की जाती है। जब तक बच्चे डॉक्टर की निगरानी में होते हैं। तब तक माता-पिता को चिंता लेने की आवश्यकता नहीं होती। 

क्योंकि डॉक्टर स्पेशलिस्ट होते हैं और वह बच्चों के अच्छे तरीके से ख्याल रखते हैं। परंतु जब आप अपने बच्चों को घर लेकर आएंगे तब अपने प्रीमेच्योर बेबी की देखभाल कैसे कर पाएंगे। उसके विषय में आपको नीचे स्पष्ट तरीके से बताया गया है। 

प्रीमेच्योर बेबी की घर में देखभाल कैसे करें? 

प्रीमेच्योर बेबी को विशेष देखभाल की (Premature baby ki dekhbhal) आवश्यकता होती हैं। जिसके लिए एक विशेष सेटअप करना होता हैं। प्रीमेच्योर बेबी को घर में कोसी एनवायरमेंट देना चाहिए।

 यदि बच्चों को अच्छा एनवायरमेंट मिलेगा तो वह पूरी तरीके से स्वस्थ रहेगा। इसके अलावा आप बच्चों के लिए क्या-क्या देखभाल के उपाय कर सकते हैं। उसे नीचे पॉइंट्स के माध्यम से बताया गया है। 

1.प्रीमेच्योर बेबी को दें पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन :

प्रीमेच्योर बेबी को पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन देना बहुत ज्यादा आवश्यक होता हैं। यदि बच्चे शरीर में पोषक तत्व की पूर्ति सही मात्रा में होगी तो उसका विकास भी तेजी से होगा। यदि किसी भी पोषक तत्व की कमी बच्चों के अंदर हो जाती है तो यह बच्चे के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता हैं।

 क्योंकि प्रीमेच्योर बेबी बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं। उन्हें हर चीज हर मात्रा में पहुंचने आवश्यक होती हैं। मां का दूध बच्चों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं। इसमें सभी तरीके के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के शरीर में पहुंचते हैं। और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में भी मदद करते हैं।

 बच्चे को घर लाकर आप लगातार उसे स्तनपान करवा सकते हैं। यदि बच्चा खुद स्तनपान करने में असमर्थ है तो आप चम्मच के माध्यम से या निप्पल के माध्यम से बच्चे को दूध पिला सकते हैं। परंतु उसे मां का दूध पिलाना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। जिसे अवश्य बच्चों को हमें पिलाना चाहिए। इस बात का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए की मां के दूध के अलावा बच्चों को किसी और तरीके के दूध यानी की गया भैंस के दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। 

2. प्रीमेच्योर बेबी को हर तरीके के इंफेक्शन से बचना चाहिए :

प्रीमेच्योर बेबी को हर तरीके से इंफेक्शन से बचना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं। प्रीमेच्योर बेबी के रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती हैं। उसे मां के दूध से धीरे-धीरे विकसित किया जाता हैं। इसलिए शुरुआत में बच्चों को संक्रमण बहुत जल्दी चपेट में ले लेता हैं।

 क्योंकि उसके शरीर के अंदर किसी भी तरीके के रोग के लिए इम्यूनिटी नहीं होती। इसलिए जब भी आप अपने प्रीमेच्योर बेबी को अपने घर पर लाइन तो डॉक्टर के द्वारा आपको यही सलाह दी जाती हैं। कि आपको अपने बच्चों को इंफेक्शन से बचाना हैं।

 इसके लिए आप किसी भी संक्रमित व्यक्ति के पास में अपने बच्चों को ना ले जाए जो लोग खास रहे हैं। छींक रहे हैं या बीमार है उनसे हमें अपने बच्चों को दूर रखना चाहिए गंदे हाथ बच्चों के चेहरे या मुंह के अंदर नहीं ले जाने चाहिए। या उसे हमें उसके होठों पर नहीं चूमना चाहिए। बाहर से मिलने आने वाले लोगों से बच्चे को थोड़ा सा दूर रखना चाहिए और साफ सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए। 

3. प्रीमेच्योर बेबी को सुरक्षित रखने के लिए पीडियाट्रिशियन की ही सुने :

प्रीमेच्योर बेबी को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ज्यादा सजग रहने की आवश्यकता होती हैं। इसलिए किसी विशेषज्ञ व्यक्ति से बच्चों के बारे में पूछना और उसके स्वास्थ्य के बारे में पूछना महत्वपूर्ण होता हैं। इसलिए आप पीरियड ट्रेशन की सलाह ले सकते हैं।

 पीडियाट्रिशियन वह व्यक्ति होते हैं जो प्रीमेच्योर बेबी या बेबीस के विषय में सारी इनफार्मेशन रखते हैं। उन्हें क्या चीज खिलानी पिलानी चाहिए। उन्हें किन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है उसे हम किस टेंपरेचर में रख सकते हैं। या उसे किस तरीके की चीजे उसके ऊपर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके विषय में पूरी जानकारी इन विशेषज्ञों को होती हैं। यह आपको आपके बच्चे के विषय में अच्छी सलाह देते हैं और उसके पालन पोषण में आपकी मदद कर सकते हैं। 

4. प्रीमेच्योर बेबी की घर में देखभाल के लिए उसे गर्म और सुरक्षित रखें :

प्रीमेच्योर बेबी की देखभाल के लिए और उसके अच्छे पालन पोषण के लिए आप कंगारू मदर केयर का इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चों को पालने के बहुत सारे तरीके डॉक्टर के द्वारा इन तरीकों में एक कंगारू मदर केयर भी हैं।

 कंगारू मदर केयर में बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उसे गर्म रखने संबंधी पालन पोषण और देखभाल की बात की जाती हैं। कंगारू मदर केयर में माता के सीने से बच्चे को चिपक कर उसे गर्माहट प्रदान करने की कोशिश की जाती हैं। माता के खून के दौडान और उसके सांस लेने की प्रक्रिया से बच्चों के सांस लेने की प्रक्रिया अच्छी होती है और उसे गर्माहट प्रदान होती हैं।

 बच्चों को यदि माता के स्थानों के पास रखा जाता है तो बच्चों को स्तनपान करने की इच्छा जागृत होती हैं। और धीरे-धीरे वह स्तनपान करना सीख जाता है। कंगारू मदर केयर का इस्तेमाल करने से माता को भी इसके बहुत सारे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। माता के स्थानों में दुग्ध की वृद्धि होती है। 

5. प्रीमेच्योर बेबी के सोने की स्थिति की  निगरानी :

प्रीमेच्योर बच्चों को सुलाते समय हमें उस बार-बार ध्यान देने की आवश्यकता होती हैं। उसकी पीठ के बल सुलाते समय हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा उसे कंबल उड़ते समय कंबल को हमेशा बच्चों के बगल के नीचे दबाना चाहिए।

 यह जरूरी होता है क्योंकि असावधानी पूर्वक यदि बच्चे के सिर तक हम उसे ढक देते हैं तो बच्चे को सांस लेने में समस्या हो सकती है। और शिशु मृत्यु सिंड्रोम जैसी घातक समस्याओं से बच्चा जूझ सकता है। इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

 कि बच्चों को सर को हमेशा खुला रखना चाहिए। जिससे उसे सांस लेने में समस्या ना हो या उसे घुटन जैसी कोई भी समस्या ना हो प्रीमेच्योर बेबी को सोते समय बार-बार हमें चेक करते रहना चाहिए कि बच्चा ठीक तरीके से सो रहा है या नहीं। क्योंकि वह छोटा होता है किसी भी चीज को संभालने में उसे बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। इसलिए उसे बार-बार देखना और उसके कंफर्ट का ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है। 

6. समय पूर्व हुए बच्चों की नियमित जांच कारए :

जो बच्चे समय पूर्व हुए हैं यह दिन का जन्म समय से पूर्व है। वह प्रेम प्रीमेच्योर हैं तो उनकी नियमित जांच करना आवश्यक होता है। नियमित जांच के माध्यम से हमें यह पता चल जाता है कि बच्चों के शरीर में किन चीजों की आवश्यकता है।

 और क्या-क्या चीज खिलाकर हम बच्चे को स्वस्थ और तंदुरुस्त कर सकते हैं और उसका विकास तेजी से हो सकता है। इसलिए जांच को हमें हर नियम के अनुसार करना चाहिए। डॉक्टर के द्वारा जो चार्ट बच्चों के लिए सेट किया गया है। उसके अनुसार बच्चों को दवाइयां और जांच की आवश्यकता होती है।

 इसमें हमें किसी भी तरीके की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और बच्चे को हमेशा डॉक्टर को समय-समय पर दिखाते रहना चाहिए। इससे डॉक्टर बच्चे की स्थिति को स्पष्ट कर देगा और उसे किस प्रकार से और अच्छी तरीके से पालन पोषण किया जा सकता है। उसके विषय में पेरेंट्स को टिप्स दे देगा जिससे बच्चे का विकास और अच्छा होगा और तेजी से होगा। 

7. प्रीमेच्योर बेबी के द्वारा खतरनाक संकेत और लक्षण पहचान :

माता-पिता को अपने बच्चों की देखभाल करते समय बच्चों के द्वारा दिखाए गए। खतरनाक संकेत और लक्षणों की भी पहचान करते रहनी चाहिए। यदि हमें महसूस हो रहा है कि हमारा बच्चा आप है जाए तो हमें उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 बच्चों के खतरनाक संकेत कुछ ऐसे हो सकते हैं कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वह बहुत ज्यादा रो रहा है उसके दूध पीने की दर में कमी आई है। तेज बुखार हो रहा है ऐंठन हो रही है या बच्चा अपने शरीर के समान तापमान को नहीं बन पा रहा।  जिस तरीके की रोजाना गतिविधि बच्चा करता हैं। उसे तरीके की गतिविधि नहीं कर रहा है तो यह बच्चों के खतरनाक संकेत हो सकते हैं। और इन संकेतों के दिखाई देने के बाद हमें उसे डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए। 

8. प्रीमेच्योर बेबी के साथ समय बिताने की आवश्यकता :

जो बच्चे प्रीमेच्योर होते हैं। उन्हें ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है इसलिए ऐसा जरूरी है कि पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बचाएं ज्यादा से ज्यादा समय बताने से बच्चा अपने पेरेंट्स को पहचाने लगता हैं।

 उनके साथ धीरे-धीरे प्रेम संबंध जागृत करने लगता हैं। बच्चा काफी जल्दी विकास कर पता है जब माता-पिता उसके साथ ज्यादा समय बिताते हैं। यदि माता-पिता के साथ बच्चे का लगाओ कम होगा तो धीरे-धीरे बच्चों को भी यह महसूस होने लगेगा और उसका विकास धीमा हो सकता हैं। इसलिए यह जरूरी है की माता-पिता अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बताएं। 

9. मौसमी परिवर्तन से प्रीमेच्योर बेबी को रखें दूर :

मौसम में होने वाले परिवर्तन बच्चों को बहुत ज्यादा इनफैक्ट करते हैं। मौसम में परिवर्तन होने पर वयस्क प्रभावित होते हैं उसी प्रकार से बच्चे भी प्रभावित होते हैं। इसलिए मौसमी परिवर्तनों से हमें अपने बच्चों को दूर रखना चाहिए।

 जब ठंड से गर्मी आई है या गर्मी से ठंड आती है तब अक्सर सर्दी खांसी बुखार जैसी समस्याएं बच्चों के अंदर देखने को मिलती हैं। हमें खुले में अपने बच्चों को ऐसे समय पर नहीं ले जाना चाहिए क्योंकि यदि बच्चा बीमार हो जाता है तो उसे ठीक कर पाना काफी मुश्किल हो जाता हैं।

 क्योंकि उसके शरीर में रोगों को झेलने की बिल्कुल भी क्षमता नहीं होती बाहरी रूप से उसे दवाइयां देने की आवश्यकता पड़ जाती हैं। जिससे बच्चों को बहुत ज्यादा परेशानी होती है इसलिए मौसम में होने वाले परिवर्तनों से हमें बच्चों को बचा कर रखना चाहिए। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. भारत में लगभग कितने बच्चों का जन्म प्रीमेच्योर होता है? 

भारत में हर साल लगभग 3.30 लाख बच्चे प्रीमेच्योर जन्म लेते हैं। 

Q. प्रीमेच्योर बेबी कितने महीने के हो सकते हैं? 

जिन बच्चों का जन्म 6 महीने 7 महीने 8 महीने का हो जाता हैं। उन बच्चों को प्रीमेच्योर बेबी कहा जाता है। 

Q. प्रीमेच्योर बेबी की देखभाल कैसे की जा सकती है? 

प्रीमेच्योर बेबी को संक्रमण से दूर रखें मां के देखभाल से मौसमी परिवर्तनों से दूर रखें। नियमित जांच के द्वारा देखभाल की जा सकती है। 

Q. कितने महीने का बच्चा मेच्योर बेबी कहलाता है? 

जो बच्चे 9 महीने के बाद जन्म लेते हैं वह मेच्योर बेबी कहलाते हैं। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको प्रीमेच्योर बेबी के घर में देखभाल कैसे करें (Premature baby ki dekhbhal) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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