बच्चों के हकलाने को कैसे ठीक करें? (Stammering kaise thik kare?) 

माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं और वह अपने बच्चों को बिल्कुल स्वस्थ देखना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनके बच्चे में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना हो परंतु यदि किसी भी कारणवश बच्चों में कोई कमी आ जाती हैं। तो वह उसका उपाय ढूंढने का प्रयास करते हैं। इनमें से एक समस्या होती है बच्चों के हकलाने की परंतु माता-पिता को अक्सर जानकारी नहीं होती कि बच्चे की हकलाने को (Stammering kaise thik kare?)कैसे ठीक कर सकते हैं।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों के हकलाने की समस्या को ठीक करने के उपाय (Stammering ko thik karne ke upay) )के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

बच्चों में हकलाना क्या है? 

हकलाना एक प्रकार का स्पीच (Stammering kya hai? )डिसऑर्डर होता है। इस स्पीच डिसऑर्डर में बच्चों के अंदर रुक-रुक कर बोलने की समस्या पाई जाती है। बच्चे फ्लूएंटली बोल नहीं पाते और उन्हें बोलने में भी दिक्कत होती है।

बच्चों के हकलाने को कैसे ठीक करें (Stammering kaise thik kare) 

 वह जो शब्द बोलते हैं उनमें कमी आ जाती है। एक अन्य शोध के माध्यम से यह पाया गया है। कि बच्चों के अंदर हकलाना एक न्यूरो डिसऑर्डर के तौर पर माना जाता है। 

बहुत सारे बच्चों में स्पीच डिसऑर्डर पाया जाता है। इसमें बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परंतु उसकी पर्सनालिटी पर प्रभाव पड़ता है।

बच्चों में हकलाने की समस्या कब शुरू होती है? 

बच्चों में हकलाने की समस्या (Stammering kab shuru hoti hai)तब शुरू होती है। जब वह 2 साल से 4 साल के बीच में होते हैं। इस समय बच्चे की पूर्णता बोलने की शुरुआत होती है। और इस उम्र में बच्चे ठीक प्रकार से बोल नहीं पाते जिसके कारण वह हकलाने लगते हैं।

 एक शोध के माध्यम से यह भी पता चला है कि प्रीस्कूल आगे में 11% बच्चों में हकलाने की समस्या पाई जाती है। शुरुआत में हकलाने की समस्या बच्चों के पूर्णता विकास ना हो पाने के कारण होता है। परंतु यदि बच्चा बड़ा हो गया हैं।

 फिर भी वह ठीक से बोल नहीं पता और उसके अंदर हकलाने की समस्या पाई जाती है। तो इसका मतलब यह है। कि बच्चा इस प्रकार के डिसऑर्डर से ग्रसित है।

हकलाने का प्रभाव

बच्चों के जीवन में हकलाने के(Stammering ka effect) बहुत सारे प्रभाव देखने को मिलते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों के पर्सनालिटी पर होती है। हकलाने की वजह से बच्चे की पर्सनैलिटी कमजोर होती है नीचे हम हकलाने के कुछ उपाय बताएंगे।

  • हकलाने के कारण बच्चे धारा प्रवाह में नहीं बोल पाते जिसके कारण उनकी पर्सनालिटी में कमी आती है।
  • हकलाने का विकार बच्चों को मानसिक रूप से प्रभावित करता है। बच्चा अपने मन की बात स्पष्ट रूप से दूसरों के सामने नहीं कर पाते है।
  • स्कूल में होने वाले किसी भी प्रकार के प्रदर्शन में बच्चों की परफॉर्मेंस खराब हो जाती है।
  • हकलाने के कारण बच्चों को किसी भी प्रकार के कार्य को करने में परेशानी होने लगती है।
  • समाज और संगठन में भागीदारी करने के लिए उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हकलाने के कारण समाज में लोग बच्चे से दूरी बनाने लगते हैं।

बच्चों में हकलाने के लक्षण

बच्चों में हकलाने के क्या-क्या लक्षण हो(Stammering ke symptoms) सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई हैं। जिसके माध्यम से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपका बच्चा स्टैमरिंग यानी कि हकलाने की समस्या से पीड़ित है।

  • शब्दों को बोलने के दौरान अक्सर झिझक ना या किसी दूसरे के सामने बात करने से डरना।
  • धीरे-धीरे बोलना या फिर बहुत अधिक रुकावट के साथ बात करना।
  • यदि बच्चा श, स, शुरू होने वाले शब्दों को लंबा बोल रहा हैं। तो आपको यह समझना चाहिए कि आपका बच्चा हकलाने की समस्या से पीड़ित है।
  • कई बार बच्चे बोलना चाहते हैं और कुछ बोलने के लिए उनका मुंह खुला रह जाता हैं। परंतु वह कुछ भी बोलने में असमर्थ होते हैं।
  • बात करते समय अटक अटक के सांस लेना और ज्यादा बोलते समय बच्चों के होठों का कापना।
  • बच्चों का हमेशा निराशा और हताश रहना।

बच्चों में हकलाने के अन्य लक्षण

  • यदि आपका बच्चा बोलते समय तेजी से पलकों को झटका रहा है या कांप रहा हैं। तो यह हकलाने का एक लक्षण होता है।
  • यदि आपका बच्चा बोलते समय सर या शरीर के अन्य अंगों को झटक रहा हैं। तो वह हकलाने की समस्या से पीड़ित है।
  • यदि आपका बच्चा बोलते समय बार-बार मुट्ठी को भेज रहा है तब भी वह हकलाने की समस्या से पीड़ित है।

बच्चों में हकलाने के कारण

बच्चों में हकलाने के क्या-क्या कारण(Stammering ke reason) हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी बताई गई हैं।

 आप इन पॉइंट्स के माध्यम से अपने बच्चों के हकलाने के कर्म के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

1. डेवलपमेंट :

जब तक बच्चे डेवलपमेन्टिंग स्टेज में होते हैं यानी कि वह छोटे होते हैं। तब तक बच्चों को यह समस्या ज्यादा पाई जाती हैं । कुछ बच्चों में डेवलपमेंट के साथ-साथ बस यह समस्या कम हो जाती है परंतु कुछ बच्चों में उम्र के साथ-साथ यह समस्या बढ़ती चली जाती है।

2. अनुवांशिक :

अनुवांशिकता भी बच्चों के हकलाने का मुख्य कारण बनती हैं। कुछ बच्चों के परिवार में पहले भी लोग हाल हकलाने की समस्या से पीड़ित होते हैं। जिसके कारण बच्चा भी आनुवांशिक तौर पर हकलाने की समस्या से पीड़ित होता है।

3. चोट या फिर स्ट्रोक के कारण :

कई बार बच्चों को बचपन में ऐसी चोट लग जाती है या फिर बच्चों को ऐसा सदमा लगता है। जिसके कारण उसके अंदर हकलाने यानी कि स्टैमरिंग की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दिमाग मे ऐसी चोट दिमाग पर लगने के कारण भी बच्चे को स्टैमरिंग की समस्या होने लगती है।

4. साइकोजेनिक :

बच्चों के अंदर हकलाने की समस्या के कारण भावात्मक स्ट्रोक भी हो सकता है। इसमें बच्चे का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। बच्चों को साइकोजेनिक स्ट्रोक अधिक पीड़ित करते हैं।

बच्चों की हकलाने का इलाज क्या है और उसे कैसे ठीक कर सकते हैं।

डॉक्टर के द्वारा यह बताया गया है (Stammering ka illaz)कि बच्चों के हकलाने का वैसे तो कोई इलाज नहीं है। परंतु कुछ थेरेपी के द्वारा बच्चों की हकलाने की समस्या को ठीक किया जा सकता हैं। इसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।

1.स्पीच थेरेपी : 

स्पीच थेरेपी में मरीज को धीरे-धीरे बोलने के लिए कहा जाता है और इसमें यह नोटिस किया जाता हैं। कि बच्चा किस शब्द पर अटकता हैं। बच्चा जिस शब्द पर अटकता है या जिस शब्द को अशुद्ध रूप से बोलता है।

 उसे शब्द को सुधारने का प्रयास किया जाता है। और उसे शब्द को किस प्रकार से बच्चा ठीक से बोल सकता है उसके विषय में उसे सिखाया जाता है। स्पीच थेरेपी के माध्यम से बच्चों के हकलाने की समस्या थोड़ी बहुत ठीक होती है।

2.इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा :

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा बच्चे अपने हकलाने की समस्या को ठीक कर पता हैं। और रुक-रुक कर बोलने की समस्या को भी ठीक कर पाने में उसे मदद मिलती है। बाजार में ऐसे बहुत सारे उपकरण मौजूद हैं। जो बच्चे के स्टैमरिंग की समस्या को ठीक करने में उसकी मदद कर सकते हैं। इन उपकरणों की मदद के साथ ही आप अपने बच्चे को स्टैमरिंग से निजात दिला पाते हैं।

3.मनोचिकित्सक के द्वारा :

मनोचिकित्सक के द्वारा भी बच्चे की स्टैमरिंग की समस्या को ठीक किया जा सकता है। बच्चे की इस समस्या को यह लोग पढ़ने का प्रयास करते हैं। और फिर बच्चों के बोलने के लहजे को ठीक करने की कोशिश करते हैं। जिसके माध्यम से मनोचिकित्सक की हेल्प से बच्चे की हकलाने की समस्या को ठीक किया जा सकता है।

4.घर में अभ्यास :

बच्चों की हकलाने की समस्या को ठीक करने के लिए स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट मौजूद होते हैं। जो बच्चे की इस समस्या को ठीक करने के विभिन्न विभिन्न अभ्यास घर में करने के लिए देते हैं। यदि यह अभ्यास माता-पिता के द्वारा बच्चों को करवाए जाते हैं। तो बच्चा इस प्रकार की समस्या से निजात पाने में समर्थ हो पता है।

5.मेडिसिन :

कुछ दवाइयां के माध्यम से बच्चों के हकलाने की समस्या का उपचार करने का तरीका ढूंढा गया। परंतु कोई भी तरीका या कोई भी दवाई बच्चों के हकलाने की समस्या को ठीक करने में समर्थ नहीं हो पाई।  बच्चों के हकलाने की समस्या दवाई से नहीं अपितु थेरेपी या अभ्यास के माध्यम से ही ठीक की जा सकती है यह डॉक्टर के द्वारा भी प्रमाणित किया गया है।

बच्चों को हकलाना ठीक करने के लिए व्यायाम

बच्चों की हकलाने की समस्या (Stammering ke liye exercise)को ठीक करने के लिए कौन-कौन से व्यायाम हो सकते हैं। या क्या-क्या तरीका हो सकते हैं। जिसके माध्यम से हम अपने बच्चों के हकलाने की समस्या को ठीक कर सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई।

1. जोर से किसी स्वर का उच्चारण :

जिन सवार को बच्चा ठीक प्रकार से बोल नहीं पता यह जिन शब्दों को बोलने में बच्चों को हकलाने की समस्या होती है। उन स्वरों का उच्चारण आपके बच्चे को तेज तेज करवाना चाहिए। यदि बच्चा तेज तेज इन स्वरों का उच्चारण करता है और साफ तरीके से बोलना सीख जाता है तो यह व्यायाम बच्चों के लिए अच्छा है।

2. रुकने की तकनीक सीखना :

जो बच्चे हकला कर बोलते हैं उन्हें यह भी सीखना चाहिए कि कब हमें किस शब्द में कहां पर रुकना चाहिए। यदि बच्चे को इस बात का ज्ञान हो जाता है तो धीरे-धीरे वह इस समस्या से उबर सकता है।

3. जा टेक्निक :

बच्चों के हकलाने की समस्या को ठीक करने के लिए जॉब तकनीक यानी कि जबड़े को खोलने का उपाय भी काम आ सकता है। इस व्यायाम में हम बच्चे को जीव से तालु तक ले जाने का व्यायाम करने की कोशिश करते हैं।

 जिस ढंग से शब्दों को साफ तरीके से बोला जाता है। यदि उसी ढंग से बच्चा अपने मुंह में व्यायाम करके शब्दों को साफ-साफ बोलने का प्रयास करेगा।  तभी वह शब्दों को ठीक प्रकार से बोल पाएगा और इसी प्रक्रिया को जा तकनीक कहा जाता है।

4. सांस लेने और रोकने की क्रिया :

बच्चों की सांस लेने और रोकने की प्रक्रिया को भी सीख कर हम बच्चे की हकलाने की समस्या को ठीक करने का प्रयास कर सकते हैं। जिन बच्चों में हकलाने की समस्या पाई जाती है। उन्हें अक्सर इस बात का ज्ञान नहीं होता कि वह अपने सांस को कब रोक। यदि हम ठीक प्रकार से इन चीजों के विषय में उन्हें जानकारी दे देंगे तो वह ठीक प्रकार से इसे बोलना सीख जाएंगे।

बच्चों का हकलाना दूर करने के घरेलू उपचार

बच्चों को हकलाने का उपचार (Stammering ke gharelu upchaar)करने के लिए हम क्या-क्या घरेलू नुक्से अपना सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है जिसके माध्यम से आप घर पर भी बच्चों के स्टैमरिंग का इलाज कर सकते हैं।

1. आबला :

वाला अक्षर हमारे घरेलू उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है। आवाले का स्वाद कसैला होता है और यह अक्सर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के हकलाने की समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं। बच्चों के हकलाने की समस्या को ठीक करने के लिए आप अपने बच्चों को आवाले का सेवन कर सकते हैं।

2. गाय का घी :

कई सारी बीमारियों से बचने के लिए गाय के घी का उपयोग किया जाता है। गाय का घी एक प्राकृतिक औषधि के रूप में काम करता हैं। इसमें बहुत सारे ऐसे गुण पाए जाते हैं जो अन्य किसी भी चीज में नहीं पाए जाते गाय का घी लगातार बच्चों के सिर पर लगाना चाहिए। और उसे खिलाना चाहिए इससे बच्चों के स्टैमरिंग की समस्या ठीक की जा सकती है।

3. शहद :

शहर को भी इस्तेमाल करने से बच्चों के स्टैमरिंग की समस्या को ठीक किया जा सकता है। सबसे पहले शहर को खुले हुए सुहाग के साथ मिलकर बच्चों की जीभ पर हल्के हल्के रगड़ना चाहिए इससे बच्चा हकलाने थोड़ा काम कर सकता है।

माता-पिता हकलाने वाले बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं।

माता-पिता हकलाने वाले बच्चों की मदद किस प्रकार कर सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।

  • बच्चों को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना चाहिए। और बच्चे के साथ बात करने का प्रयास करना चाहिए।
  • बच्चों को बोलते समय ठोकना नहीं चाहिए। और उसे धीरे-धीरे बात करने पर उसकी बातों को स्पष्ट करने का प्रयास करना चाहिए।
  • जब बच्चा बातचीत करें तो उसकी बातचीत पर ध्यान देना चाहिए। यदि बच्चा बात करने में कंफर्टेबल है तो उसे हकलाने के विषय में बात करने देना चाहिए।
  • बच्चों के शिक्षकों से भी बच्चों के हकलाने की समस्या के विषय में बात करना चाहिए। और उसे एक अच्छा माहौल देने का प्रयास करना चाहिए।

आर्टिकल से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों के अंदर हकलाने की समस्या क्यों उत्पन्न होती है?

बच्चों के अंदर दिमागी रूप से कमी होने के कारण उसमें हकलाने की समस्या होती है।

Q. हकलाने की समस्या में बच्चा कैसे बोलता है?

जब बच्चे को हकलाने की समस्या होती है तो अच्छा रुक रुक कर बोलता है।

Q. बच्चों के अंदर हकलाने की समस्या कब नजर आती है? 

बच्चों के अंदर हकलाने की समस्या 2 से 5 वर्ष के अंदर नजर आती है।

Q. बढ़ती उम्र के साथ क्या हकलाने की समस्या आम हो जाती है?

बढ़ती उम्र के साथ हकलाने की समस्या सामान्य हो जाती है।

 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के हकलाने को कैसे ठीक करें?(Stammering kaise thik kare?) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

Leave a Comment